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बदलाव की बयार का नया चेहरा है..लड़कियां

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। ईरान की निदा आगा सोल्तानी, मिस्त्र की वो नीली ब्रा वाली लड़की, पाकिस्तान में मलाला यूसुफजई और भारत में गैंगरेप की शिकार 23 वर्षीय छात्रा और रूस में पुसी रॉयट ग‌र्ल्स। यह केवल नाम नहीं बल्कि हालिया वक्त में दुनिया के कई मुल्कों में व्यवस्था के खिलाफ बदलाव की लहर के नए प्रतीक हैं। ट्यूनीशिया में जास्मीन क्रांति के बाद से पूरे विश्व में जनता ने अपने हक के लिए सीधे सड़क पर उतरना सीख लिया है, वहीं महिलाएं इस बदलाव की नई नायिकाएं और क्रांति पुत्रियां हैं।

By Edited By: Published: Thu, 27 Dec 2012 08:51 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2012 09:26 PM (IST)
बदलाव की बयार का नया चेहरा है..लड़कियां

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। ईरान की निदा आगा सोल्तानी, मिस्त्र की वो नीली ब्रा वाली लड़की, पाकिस्तान में मलाला यूसुफजई और भारत में गैंगरेप की शिकार 23 वर्षीय छात्रा और रूस में पुसी रॉयट ग‌र्ल्स। यह केवल नाम नहीं बल्कि हालिया वक्त में दुनिया के कई मुल्कों में व्यवस्था के खिलाफ बदलाव की लहर के नए प्रतीक हैं। ट्यूनीशिया में जास्मीन क्रांति के बाद से पूरे विश्व में जनता ने अपने हक के लिए सीधे सड़क पर उतरना सीख लिया है, वहीं महिलाएं इस बदलाव की नई नायिकाएं और क्रांति पुत्रियां हैं।

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एक साल पहले 18 दिसंबर 2011 को मिस्त्र के तहरीर चौक पर सत्ता विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सैनिकों के हाथों मारपीट और खींचतान में सड़क पर एक लड़की खुले पेट व नीली ब्रा में तस्वीरों में कैद हो गई। इसके बाद तत्कालीन सत्ता का नियंत्रण कर रही मिस्त्र सेना की बदसलूकी पर जनता का जो गुस्सा काहिरा की सड़कों पर उबला उसने साफ कर दिया कि 'मिस्त्र की बेटियां लाल रेखा हैं' जिसे किसी को भी पार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। ठीक एक साल बाद दिल्ली में 23 वर्षीय लड़की के साथ गैंगरेप की घटना ने भी भारत में सड़कों पर दिखा दिया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अब मौजूदा स्थिति बर्दाश्त के काबिल नहीं है।

विशेषज्ञों की नजर में यह पूरी दुनिया में बदलाव का नया ट्रेंड और एक नए तरह की सामाजिक क्रांति है। अमेरिका में ऑक्यूपाय वॉल स्ट्रीट, ट्यूनीशिया में जेस्मिन क्रांति और मध्य पूर्व में शुरू हुई अरब स्प्रिंग की लहर ने महिलाओं को बदलाव व हक की लड़ाई में अभी नहीं तो कभी नहीं का मौका दिया है। लिहाजा भारत में भी सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों में महिलाओं की हिस्सेदारी इसी वैश्विक लहर की निशानी है।

परिवर्तन की नई नायिकाएं

निदा आगा सुल्तानी : ईरान में चुनावों के बाद सत्ता विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 19 जून 2009 को गोली का शिकार हो मारी गई। उसकी मौत ने 26 वर्षीय निदा की तस्वीरों को सत्ता विरोधी लहर का चेहरा बना दिया।

मलाला युसुफ जई

स्वात घाटी में 14 वर्षीय इस लड़की को शिक्षा विरोधी तालिबानी विचारों की मुखालिफत के कारण इस साल अक्टूबर में गोली मारी गई जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गई। उसके समर्थन में पाकिस्तान ही नहीं दुनिया भर से आवाज उठी। उसका इलाज इन दिनों लंदन में चल रहा है।

ब्लू ब्रा गर्ल

काहिरा में सत्ता विरोधी प्रदर्शनों को दौरान दिसंबर 2011 में सैनिकों की बबर्रता से निर्वस्त्र हुई लड़की की तस्वीरों और वीडियो ने उसे मिस्त्र में महिला अधिकारों के खिलाफ आंदोलन का नया चेहरा बना दिया।

शाहीन और रेणु

शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की मौत के बाद नवंबर 2012 में फेसबुक पर मुंबई की दो लड़कियों की टिप्पणी को आपत्तिजनक मान इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का दुहाई देते हुए इसके खिलाफ उठी आवाजों और प्रदर्शनों के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।

पूसी रॉयट बैंड

गानों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ऑर्थोडॉक्स चर्च के खिलाफ इनकी टिप्पणियों को गलत मानते हुए महिला बैंड की कुछ सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। बाद में इसे लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों और आलोचना के बाद प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने भी माना कि उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए था।

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