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युवती ने नागदेवता के साथ किया विवाह, भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को करनी मशक्‍कत

इस दौरान घर में मंडप सजाया गया। बारात आई और भोज भी हुआ। शादी में दुल्हन तो थी लेकिन दूल्हे की जगह लोहे के बने नागदेव नजर आए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 01:23 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 01:23 PM (IST)
युवती ने नागदेवता के साथ किया विवाह, भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को करनी मशक्‍कत
युवती ने नागदेवता के साथ किया विवाह, भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को करनी मशक्‍कत

आशीष मिश्रा, छिंदवाड़ा। Marriage With Snake: मध्‍य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक अनोखा विवाह समारोह देखने को मिला। इस शादी का गवाह परासिया ब्लाक का धमनिया कोंटा गांव बना। इस दौरान घर में मंडप सजाया गया। बारात आई और भोज भी हुआ। शादी में दुल्हन तो थी, लेकिन दूल्हे की जगह लोहे के बने नागदेव नजर आए। सबसे अहम बात यह थी दुल्‍हन बालिग थी। धमनिया कोंटा के रहने वाले इंदर कुमार के दो बेटे और एक बेटी है। बेटी गीता ने आठवीं तक पढ़ाई की है। गीता ने कुछ दिनों पहले अपने मां-बाप को बताया कि पिछले कुछ दिनों से उसके सपने में नागराज दिखाई दे रहे हैं। ये सिलसिला पिछले नागपंचमी से जारी है। इसके बाद से वह अपनी शादी नाग से करवाने की जिद करने लगी। साथ ही ऐसा नहीं करने पर गीता परिजनों को खुदकुशी करने की धमकी देने लगी।

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उमड़ पड़े आसपास के ग्रामीण 

ऐसे में बेटी गीता की जिद के आगे परिजन मजबूर हो गए। शादी की रस्म  आदिवासी रीति रिवाज से 16 सितंबर को पूरी की गई। इस दौरान लोहे के नागदेव को बैठाया गया और गीता का विवाह मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे लेकर नागदेव से कराया गया। इस बात की जानकारी जब आसपास के ग्रामीणों को मिली तो वे भी इस बड़ी संख्‍या समारोह को देखने के लिए पहुंचे। वहां भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस बारे में सरपंच किसना बाई मर्सकोले ने बताया कि लड़की की शादी नागराज से होने की जानकारी आसपास के ग्रामीणों को मिली। इस पर वे लोग शादी को देखने के लिए आसपास के गांव के लोग आने लगे, जिन्हें किसी तरह आने से रोका गया। वहीं इस बारे में पंचायत सचिव उदलशाह ने बताया कि उन्हें विवाह की जानकारी देरी से मिली। न्यूटन चिखली पुलिस चौकी प्रभारी पारस नाथ आमो ने बताया कि अंधविश्वास के चलते लोग जमा हो गए थे, जिन्हें समझाने के बाद लौटा दिया गया।

ऐसी परंपरा नहीं

इस बारे में जुन्नारदेव के पूर्व विधायक और आदिवासी समाज के प्रमुख नेता रामदास उइके ने बताया कि आदिवासी समाज के लोग आजादी के 70 सालों बाद भी  काफी पिछड़े हैं। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों के सामने रोजगार का संकट है। इस कारण वे इस तरह के मनोविकार का शिकार हो रहे हैं। आदिवासी समाज में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है। युवती की जिद के आगे झुककर माता-पिता इस विवाह के लिए मजबूर हुए।

इस बारे में सिम्‍स के मनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. तुषार तह्लन का कहना है कि  कि कुछ लोगों की इंद्रियों में असामान्य विकार होते हैं। इस कारण वो कभी-कभी असामान्य तरीके से सोचने लगते हैं। ऐसे मामले मनोरोग की श्रेणी में आते हैं। 


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