एसटी में 15 फीसद और एससी में 13 फीसद हो रहे हैं बाल विवाह
यह रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएचएफएस) के 2005-06 और 2015-16 के आंकड़ों के तुलनात्मक आधार पर जारी की गई है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति (एसटी) में लड़कियों का बाल विवाह करने की कुरीति 15 फीसद है जबकि अनुसूचित जाति (एससी) में 13 फीसद है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएचएफएस) के 2005-06 और 2015-16 के आंकड़ों के तुलनात्मक आधार पर जारी की गई है।
बुधवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग की वेबसाइट पर जारी रिपोर्ट में 15-19 साल की उम्र में शादी का ब्योरा दिया गया है। यह रिपोर्ट एनसीपीसीआर के सहयोग से यंग लिव्स इंडिया नामक रीसर्च सेंटर ने तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक यह कुप्रथा दस प्रमुख राज्यों में प्रबलता से देखी जा सकती है। पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति की लड़कियों के बाल विवाह की दर सबसे अधिक है। जबकि अरुणाचल प्रदेश में यह दर अनुसूचित जनजाति में सबसे अधिक है। दूसरी ओर, अन्य जातियों में बाल विवाह की दर सबसे अधिक महाराष्ट्र में है। इसके अलावा, बिहार, गुजरात और तेलंगाना में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की लड़कियों का सर्वाधिक बाल विवाह होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 19 साल की लड़कियों पर एनएफएचएस-3 (2005-06) और एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़ों की तुलना से पता चला है कि पिछले दस सालों में बहुत से राज्यों में बाल विवाह की दर में भारी कमी आई है। बिहार, झारखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 15-19 आयु समूह में बाल विवाह में 20 प्रतिशत प्वाइंट से अधिक की कमी आई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इसी आयु वर्ग में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों में तो बाल विवाह का चलन है ही, हरियाणा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मणिपुर जैसे राज्यों के शहरी इलाकों में भी बड़े पैमाने पर बाल विवाह होता है। बाल विवाह के मुख्य कारणों में आर्थिक स्थिति और महिला शिक्षा का स्तर जिम्मेदार है।