जीजा से मिला 80 लाख रुपये का गिफ्ट, आयकर विभाग ने तुरंत भेजा नोटिस; क्या व्यक्ति को देना पड़ा टैक्स?
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आइटीएटी) कोलकाता ने कहा है कि रिश्तेदारों से मिले उपहार पर कोई आयकर नहीं लगेगा। यूएई में रहने वाले डॉ. चौधरी को जीजा से 80 लाख रुपये का उपहार मिला था, जिसे आयकर विभाग ने आय मानकर कर लगाने की कोशिश की। आइटीएटी ने स्पष्ट किया कि जीजा रिश्तेदार की परिभाषा में आते हैं, इसलिए उपहार पर कर नहीं लगेगा।

रिश्तेदारों से उपहार पर टैक्स नहीं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, कोलकाता। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आइटीएटी) कोलकाता बेंच ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि रिश्तेदार से मिले उपहार पर कोई आयकर देय नहीं होता। यह मामला डॉक्टर चौधरी नाम के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जो यूएई में रहते हैं।
उन्हें अपने जीजा से 80 लाख रुपये का उपहार प्राप्त हुआ था। आयकर विभाग ने इस राशि को उनकी आय मानकर कर लगाने की कोशिश की थी, लेकिन आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, कोलकाता ने साफ कर दिया है कि रिश्तेदारों से मिले उपहार पर कर नहीं लगता है।
रिश्तेदार से मिले उपहार पर कोई टैक्स नहीं
आइटीएटी कोलकाता बेंच ने अपने फैसले में साफ किया कि सेक्शन 56(2)(पांच) के तहत जीजा रिश्तेदार की परिभाषा में आता है। इसलिए ऐसे रिश्तेदार से मिला कोई भी उपहार, कुल आय में नहीं गिना जाएगा।
डॉ. चौधरी ने अपना इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) फाइल किया था, जिसमें उन्होंने 20 लाख रुपये की कुल इनकम और 5.5 लाख रुपये टैक्स दिखाया था। लेकिन, उनके बैंक खाते में कुछ बड़े लेन-देन देखकर इनकम टैक्स विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा। इसके लिए उन्हें से सेक्शन 131 के तहत नोटिस मिला। इसके बाद डॉ. चौधरी को सेक्शन 133(6) के तहत एक और नोटिस मिला।
अधिक लेनदेन होने पर इनकम टैक्स ने भेजा नोटिस
उन्होंने अपने बैंक खाते में हुए बड़े लेन-देन के लिए जरूरी कागजात जमा किए। लेकिन विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और उनके मामले को सेक्शन 148 के तहत री-असेसमेंट के लिए चुना गया। इस पर डॉ. चौधरी को एक और आइटीआर फाइल करना पड़ा। उन्हें सेक्शन 142(1) का नोटिस भी मिला, जिसका उन्होंने जवाब दिया। इसके बावजूद, टैक्स अधिकारी उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सेक्शन 143(3) के साथ सेक्शन 147 के तहत एक असेसमेंट ऑर्डर जारी कर दिया।
इनकम टैक्स ने 69 लाख का भेजा नोटिस
इस ऑर्डर में टैक्स अधिकारी ने डॉ. चौधरी की कुल आय 1.5 करोड़ रुपये बताई और 69 लाख रुपये का टैक्स डिमांड भी थमा दिया। इस असेसमेंट ऑर्डर से परेशान होकर चौधरी ने सीआइटीए में अपील की। सीआइटीए ने सभी सबूतों, आदेशों और डॉ चौधरी की दलीलों को ध्यान से देखा। उन्होंने उनकी अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया, लेकिन 55 लाख रुपये के गिफ्ट डीड से जुड़े एक मुद्दे को खारिज कर दिया।
इसके बाद, डॉ चौधरी ने आइटीएटी कोलकाता में अपील दायर की और 4 नवंबर 2025 को वे यह केस जीत गए। आइटीएटी कोलकाता ने अपने फैसले में साफ किया कि सेक्शन 56(2)(vii) के तहत जीजा रिश्तेदार की परिभाषा में आता है। इसलिए ऐसे रिश्तेदार से मिला कोई भी गिफ्ट, उनकी कुल इनकम में नहीं गिना जाएगा।

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