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कारोबार का चोला बदलने को तैयार दिग्गज इनर्जी पीएसयू

देश में ऊर्जा आपूर्ति का पूरा परिदृश्य अगले तीन दशकों के भीतर बदल जाएगा।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 07:51 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 07:51 PM (IST)
कारोबार का चोला बदलने को तैयार दिग्गज इनर्जी पीएसयू
कारोबार का चोला बदलने को तैयार दिग्गज इनर्जी पीएसयू

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ऊर्जा क्षेत्र को लेकर एक बात सभी विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि जो अब तक हुआ आगे वैसा नहीं होगा। प्रासंगिक बने रहना है तो खुद को बदलना ही होगा। दिसंबर, 2015 में पेरिस पर्यावरण सम्मेलन में भारत की तरफ से किया गया यह वादा कि वह वर्ष 2030 तक यहां कार्बन उत्सर्जन में 35 फीसद तक कटौती करेगा, देश के समूचे ऊर्जा इकोनोमी को बदलने की शुरुआत कर चुका है।

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ऐसे में ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज नवरत्न कंपनियां भी अपने मौजूदा कारोबार का चोला बदलने की तैयारी में जुट गई हैं। आने वाले दिनों में देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी इलेक्टि्रक वाहनों की चार्जिग स्टेशन लगाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर स्थापित हो सकती है। कोयला क्षेत्र की देश की दिग्गज सरकारी उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड सौर ऊर्जा बनाने वाली भी देश की एक बड़ी कंपनी बन जाए तो आश्चर्य नहीं। और इंडियन आयल कार्पोरेशन (आईओसी) पेट्रोलियम क्षेत्र के इतर अब एक इनर्जी सोल्यूशंस कंपनी बनने की मंशा रखती है।

इन सरकारी कंपनियों के लिए अपनी पूरी रणनीति को बदलना इनकी मजबूरी भी है। देश में ऊर्जा आपूर्ति का पूरा परिदृश्य अगले तीन दशकों के भीतर बदल जाएगा। प्रदूषण की वजह से कोयला, कच्चे तेल पर घरेलू अर्थव्यवस्था की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। वर्ष 2030 के बाद से देश में सिर्फ बिजली चालित वाहनों की बिक्री शुरु होने की योजना अगर लागू होती है तो इससे पूरी पेट्रोलियम अर्थव्यवस्था बदल जाएगी। वर्ष 2022 तक देश में रिनीवल स्त्रोतों से 1.75 लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य पूरा होने से ताप बिजली आधारित कंपनियों पर व्यापक असर होगा। ऐसे में इंडियन आयल (आईओसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनटीपीसी, बीएचईएल के लिए अगर एक कारोबार बंद होगा तो उनके लिए ऊर्जा के क्षेत्र में ही दूसरी संभावनाएं बनने लगी है।

कोल इंडिया के सीएमडी गोपाल सिंह का कहना है कि ''सौर ऊर्जा भविष्य का ईंधन है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ हमारा आकलन है कि हम सौर ऊर्जा में भी एक दिग्गज कंपनी बन सकते हैं क्योंकि हमारे पास पर्याप्त जमीन है और हम उस जगह पर हैं जहां सूरज भी काफी देर तक रहता है। ऐसे में हमने 10 वर्षो में 20 हजार मेगावाट की बिजली सौर ऊर्जा से बनाने का लक्ष्य रखा है।'' उनका मानना है कि वर्ष 2050 तक देश में कोयले की मांग में कोई कमी नहीं होगी लेकिन उसके बाद रिनीवल इनर्जी का ही बोलबाला रहेगा। ऐसे में कंपनी को आगे के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। एनटीपीसी भी ऊर्जा कारोबार के दूसरे क्षेत्रों में उतरने की होड़ में है। इसके साथ ही कंपनी बिजली से चलने वाली कारों के लिए चार्जिग स्टेशन नेटवर्क लगाने के कारोबार में भी बड़े पैमाने पर उतरने जा रही है। इसके लिए कंपनी राष्ट्रीय लाइसेंस लेना चाहती है। बिजली संयंत्रों के लिए भारी उपक्रम बनाने वाली बीएचईएल भी ई-वाहनों के लिए चार्जिग स्टेशन कारोबार में दिलचस्पी दिखा रही है।

आईओसी के निदेशक (रिफाइनरी)बीवी रामागोपाल के मुताबिक, ''हम सिर्फ एक पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनी बन कर नहीं रह सकते। पेट्रोरसायन के साथ ही ईंधन के नए स्त्रोतों में बड़े पैमाने पर जाने की तैयारी चल रही है।'' आइओसी की मंशा एक समग्र इनर्जी सोल्यूशंस कंपनी के तौर पर स्थापित होने की है। कंपनी के शीर्ष प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, बिजली को स्टाक करना भविष्य का सबसे बड़ा कारोबार होगा। जो कंपनी इसमें तकनीकी हासिल कर लेगी वह काफी आगे जाएगी। हम इसकी कोशिश कर रही है।


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