चेन्नई-मैसूर के बीच हाईस्पीड ट्रेन चलाने को जर्मनी तैयार
जर्मन राजदूत ने कहा कि यदि परियोजना पर 2020 में काम शुरू हो गया तो इसे 2035 तक पूरा कर दिया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जर्मनी ने चेन्नई से वाया बंगलूर मैसूर तक हाईस्पीड ट्रेन चलाने की हामी भर दी है। फीजिबिलिटी अध्ययन में उसने 435 किलोमीटर के रूट को हाईस्पीड ट्रेन के लिए उपयुक्त पाया है।
बृहस्पतिवार को जर्मन अध्ययन दल ने राजदूत मार्टिन ने के नेतृत्व में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी को अध्ययन रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में इस रूट को 320 किलोमीटर की गति वाली हाईस्पीड ट्रेनों के संचालन के अनुकूल बताया गया है। साथ ही राय दी गई है कि यदि यह प्रोजेक्ट पूरी होती है तो सात घंटे का मौजूदा सफर महज दो घंटा 20 मिनट में पूरा होने लगेगा।
जर्मन सरकार द्वारा कराए गए इस अध्ययन का खर्चा भी जर्मनी ने ही उठाया है। जर्मन राजदूत ने कहा कि यदि परियोजना पर 2020 में काम शुरू हो गया तो इसे 2035 तक पूरा कर दिया जाएगा। इस पर 16 अरब डालर अर्थात एक लाख करोड़ से थोड़ा अधिक खर्च आने का अनुमान है।
प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इस पर हाईस्पीड ट्रेनों के अलावा सामान्य ट्रेनों यहां तक कि मालगाडि़यों का संचालन भी संभव होगा।
जर्मन रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई-अराकोनम-बंगलूर-मैसूर रूट का 85 फीसद हिस्सा एलीवेटेड तथा 11 फीसद सुरंगों में और शेष जमीन पर होगा। जमीन पर न होने से इस प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण का कोई झंझट नहीं है। इससे अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन की तर्ज पर (राजधानी के फर्स्ट एसी से डेढ़ गुना) किराया रखने के बावजूद इसकी लागत जल्दी निकल आएगी। परियोजना की लागत वहन करने का तरीका जर्मन कंपनियों का कंसोर्टियम तय करेगा।