ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का कृत्रिम तरीका फसलों के लिए बना खतरा
वैज्ञानिकों की स्टडी में पता चला कि इससे धरती को गर्म होने से तो रोका जा सकता है, लेकिन तब फसल उत्पादन संभव नहीं होगा। लिहाजा दुनिया की खाद्य सुरक्षा पर खतरा बढ़ेगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वायुमंडल में सल्फेट एयरोसोल भेजकर सूर्य की किरणों को धरती पर नियंत्रित करके ग्लोबल वार्मिंग की समस्या हल करने वाली अब तक की सबसे बड़ी थ्योरी को वैज्ञानिकों ने गलत साबित कर दिया है। उन्होंने बताया कि इसके फायदे से ज्यादा नुकसान हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के वैज्ञानिकों की स्टडी में पता चला कि इससे धरती को गर्म होने से तो रोका जा सकता है, लेकिन तब फसल उत्पादन संभव नहीं होगा। लिहाजा दुनिया की खाद्य सुरक्षा पर खतरा बढ़ेगा।
पहले का सिद्धांत
वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि वायुमंडल में सल्फेट एयरोसोल कणों को भेजकर सूरज की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव को धरती पर कम किया जा सकता है। इससे धरती गर्म नहीं होगी और ग्लोबल वॉर्मिंग से राहत मिलेगी।
नया सिद्धांत
अब वैज्ञानिकों ने धरती के उस समय काल को अपने अध्ययन का केंद्र बिंदु बनाया है जिसमें ज्वालामुखियों से निकला लावा वायुमंडल में छा गया था। लिहाजा सूर्य की किरणें प्रभावी रूप से धरती तक नहीं पहुंच सकी और तापमान कम दर्ज हुआ। वैज्ञानिकों ने 1979 से 2009 के दौरान 105 देशों में मक्का, सोया, चावल और गेहूं की फसलों पर अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि जहां-जहां ज्वालामुखी के लावे से सूर्य की पूरी रोशनी धरती पर नहीं पड़ी, वहां फसलों का उत्पादन कम हुआ।
जियो इंजीनियरिंग के नुस्खे
वैज्ञानिकों ने अब तक ग्लोबल वार्मिंग के ऐसे तमाम जियो इंजीनियरिंग तरीके बताए हैं, लेकिन उनके दुष्प्रभाव भी कम नहीं हैं।
वनों का रकबा बढ़ाना
अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड सोखने के लिए ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानों में वन लगाने की रणनीति।
दुष्प्रभाव: रेगिस्तान से सूर्य की रोशनी परावर्तित हो अंतरिक्ष में जाती है और यहां जंगल होने पर ऐसा नहीं होता। रोशनी अवशोषित हो जाती है।
महासागर क्षारीयकरण
महासागर में चूना का ढ़ेर लगाकर कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित की जाए।
दुष्प्रभाव: ग्लोबल वॉर्मिंग कम करने में इसका प्रभाव बहुत कम होगा।
महासागर में लोहे की मात्रा बढ़ाना
महासागर में लौह तत्व डालकर प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बढ़ाया जाए जिससे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित जा सकेगा।
दुष्प्रभाव: इसका प्रभाव न के बराबर रहेगा।
महासागरों को ठंडा करना
लंबे पाइपों से ठंडे, शुद्ध और पोषक तत्वों से भरे पानी को महासागर की सतह पर फैला दिया जाएगा।
दुष्प्रभाव: प्रक्रिया जैसे रुकेगी, महासागर का तापमान बढ़ने लगेगा।