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Geeta from Pakistan: पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार, असली नाम है राधा, जानें कैसे पूरी हुई फैमिली की तलाश

साल 2015 में पाकिस्तान से भारत आई गीता को उनका असली परिवार मिल गया है। प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक गीता महाराष्ट्र के परभणी की निवासी है। उसका असली नाम राधा है। परिवार में मां मीना पंडारे और शादीशुदा बहन पूजा बंसोड हैं। जानें कैसे पूरी हुई पर‍िवार की तलाश...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 04:25 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 04:30 PM (IST)
Geeta from Pakistan: पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार, असली नाम है राधा, जानें कैसे पूरी हुई फैमिली की तलाश
पाकिस्तान से 2015 में भारत लाई गई गीता को उनका असली परिवार मिल गया है।

भोपाल, जेएनएन। पाकिस्तान से 2015 में भारत आई गीता को उनका असली परिवार मिल गया है। गीता मूलत: महाराष्ट्र के परभणी की रहने वाली है, उसका असली नाम राधा है। परिवार में मां मीना पंडारे और शादीशुदा बहन पूजा बंसोड है। गीता का परिवार मार्च 2021 में मिल गया था, तब से वह परिवार के साथ रह रही है, लेकिन तब कोरोना के प्रकोप के चलते सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो सका था। ऐसे में गीता उर्फ राधा मंगलवार को परिवार के साथ भदभदा स्थित रेलवे पुलिस मुख्यालय पहुंची और परिवार से मिलाने की मुहिम में शामिल सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को धन्यवाद दिया।

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ऐसे पहुंची थी पाकिस्तान

मां मीना पंडारे ने बताया कि 1999 में आठ साल की उम्र में राधा घर से निकलकर भटकते हुए नजदीक स्थित स्टेशन पहुंची और सचखंड एक्सप्रेस में बैठकर अमृतसर पहुंच गई। वहां वह स्टेशन पर भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में बैठ गई। इस तरह गलती से वह पाकिस्तान पहुंच गई।

ईधी फाउंडेशन ने दिया सहारा

पाकिस्तान में गीता पुलिस को लावारिस मिली थी, जिसे एक संस्था को सौंप दिया। बाद में पाकिस्तान की ईधी फाउंडेशन ने गीता को रखा और परिजनों को ढूंढ़ने की मुहिम शुरू की। तात्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर 2015 में गीता को भारत लाया गया।

ऐसे मिला परिवार

भारत आने के बाद गीता इंदौर में मूक-बधिरों की मदद करने वाली संस्था आनंद में रह रही थी। आनंद संस्था के संचालक ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने कई स्तर पर परिवार तलाशने की कोशिश की। गीता से बातचीत के दौरान उन्हें पता चला कि उसके घर के पास रेलवे स्टेशन के साथ-साथ अस्पताल भी है। तब रेलवे के मिसिंग चाइल्ड नेटवर्क की मदद से ऐसे शहर तलाशे गए जहां रेलवे स्टेशन और अस्पताल नजदीक हों तब महाराष्ट्र का परभणी चिह्नित हुआ।

ऐसे हुई परिवार की तलाश 

अब महाराष्ट्र की पहल संस्था के अशोक कुलकर्णी ने भी तलाश शुरू की। इस बीच परभणी की बस्तियों में ऐसे गायब बच्चों को तलाश गया। तब एक परिवार ने अपने रिश्तेदार की मूक बधिर बेटी राधा के गुमशुदा होने की सूचना दी। फिर मां मीना ने बताया कि राधा उर्फ गीता के पेट पर जन्म से एक निशान है। इसका मिलान होने के बाद गीता को मां से मिलाया गया है। बाद में  डीएनए मिलान में भी मीना की ही बेटी होने की पुष्टि हुई।

बड़े होकर साइन लैंग्वेज टीचर बनना चाहती हूं

इस बीच गीता के पिता की मौत हो चुकी है, मां मीना पंडारे ने दूसरी शादी कर ली है। अब अपने परिवार के साथ रह रही गीता ने बताया कि सभी ने मेरी बहुत मदद की है, खासकर रेलवे पुलिस मेरे आंसुओं का सहारा बनी। मेरा परिवार मिल गया है। अब मैं साइन लैंग्‍वेज टीचर बनना चाहती हूं और अपने जैसे बच्चों की मदद करना चाहती हूं। कार्यक्रम के दौरान आईजी रेलवे पुलिस एमएस सिकरवार और रेलवे पुलिस अधीक्षक हितेश चौधरी ओर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेलवे अमित वर्मा सहित आनंद संस्था के ज्ञानेन्द्र पुरोहित महाराष्ट्र की आनंद संस्था के अशोक कुलकर्णी, साइन लैंग्वेज टीचर अनिकेत उपस्थित थे। 


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