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अब घर नहीं पहुंचेगा गैस सिलेंडर

गैस सिलेंडर में कोटा सिस्टम लागू होने यानी एक साल में सब्सिडी वाले सिर्फ छह सिलेंडर देने के केंद्र सरकार के फैसले के साथ ही तेल कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों के पर कतरने का इंतजाम कर दिया है। सिलेंडरों की बुकिंग के सभी शॉर्टकट तरीके खत्म कर तेल कंपनियों ने कमान अपने हाथ में संभाल ली है ताकि सरकार

By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2012 10:41 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2012 03:02 PM (IST)
अब घर नहीं पहुंचेगा गैस सिलेंडर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा प्रति परिवार सब्सिडी प्राप्त सिलिंडरों की संख्या सालाना छह तक सीमित करने के फैसले से परेशान उपभोक्तओं को अब वितरकों ने भी झटका देने की तैयारी कर ली है। देशभर में लगभग 65 करोड़ उपभोक्ताओं को घर पर गैस सिलिंडर मुहैया कराने वाले वितरक अब इस सुविधा को बंद करने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही वितरकों ने तेल कंपनियों के बुकिंग व्यवस्था अपने हाथ में लेने के फैसले के विरोध में 1 अक्टूबर को सांकेतिक हड़ताल करने का निर्णय लिया है।

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भारतीय एलपीजी वितरक संघ के अध्यक्ष प्रताप दोषी ने कहा कि सब्सिडी प्राप्त सिलिंडरों की संख्या सीमित करने से पहले सरकार को एलपीजी वितरण नेटवर्क

को दुरुस्त करना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें सरकार के नीतिगत फैसलों से लड़ाई लड़नी है। सरकार सभी सिलिंडरों को बाजार कीमत पर बेचे, तो भी हमें कोई समस्या नहीं है। सब्सिडी देने या नहीं देने का अधिकार सरकार का है। हमसे सलाह किए बिना गलत नीतिया अपनाई जा रही हैं, जिससे कालाबाजारी और गलत तरीके से कारोबार करने का चलन बढ़ेगा। रसोई गैस पर सरकार के हालिया फैसले से उपभोक्ताओं और वितरकों दोनों को ही मुश्किल हो रही है।

महासंघ के सचिव डॉ. एमएस कामत के अनुसार, डिलीवरीमैन को प्रति सिलिंडर पांच रुपये कमीशन दिया जाता है और यदि यह बंद हो जाएगा तो वितरकों को प्रति माह लगभग एक लाख रुपये की बचत होगी।

प्रति सिलिंडर बिक्री पर तेल कंपनियों से मिलने वाले 25.83 रुपये के मामूली कमीशन से भी एलपीजी वितरक खासे खफा हैं। इस कमीशन को 2010 में बदला गया था।

सरकार ने 13 सितंबर को फैसला किया कि साल भर में प्रत्येक परिवार को सब्सिडी प्राप्त अधिकतम 6 सिलिंडरों की ही आपूर्ति की जाएगी। फिलहाल दिल्ली में सब्सिडी प्राप्त सिलिंडर 399 रुपये में मिलता है जबकि 6 सिलिंडरों के अलावा गैर-सब्सिडी प्राप्त सिलिंडर खरीदने के लिए ग्राहकों को 750 रुपये खर्चने होंगे।

उधर, सिलेंडरों की बुकिंग के सभी शॉर्टकट तरीके खत्म कर तेल कंपनियों ने कमान अपने हाथ में संभाल ली है ताकि सरकार द्वारा लागू कोटा सिस्टम के अमल की निगरानी की जा सके। तेल कंपनियों के इस फैसले से भी एलपीजी वितरक खासे नाराज हैं।

तेल कंपनियों की वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग या फिर टेलीफोन से इलेक्ट्रानिक वायस रिकार्डिग सिस्टम [ईवीआरएस] के जरिये गैस सिलेंडर की बुकिंग प्रक्रिया गत डेढ़ साल से जारी थी। इसके साथ ही गैस सिलेंडर वितरक भी अपने स्तर पर बुकिंग चालू रख उपभोक्ता को सिलेंडर उपलब्ध करा रहे थे। तेल कंपनियों ने जो नई व्यवस्था की है, उसके उपभोक्ता केवल दो तरीके से ही गैस की बुकिंग करा सकते हैं। एक इंटरनेट के जरिये और दूसरे ईवीआरएस यानी फोन के जरिये। तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि इससे गैस सिलेंडरों की संख्या का हिसाब-किताब जानने में आसानी होगी और वितरकों की मनमानी नहीं चलेगी। तेल कंपनियों के मुताबिक, सब उपभोक्ताओं की खपत एक जैसी नहीं होती है। कम सिलेंडर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता का कंज्यूमर नंबर रिकॉर्ड में रख वितरक रोटेशन में उसका सिलेंडर बुक कर अन्य को लाभ पहुंचाते थे।

नई व्यवस्था के तहत या तो टेलीफोन से सिलेंडर की बुकिंग मान्य होगी या फिर ऑनलाइन। किसी अन्य तरीके से बुकिंग को कंपनी ने अस्वीकार करने का फैसला लिया है।

ऑल इंडिया एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन के महासचिव पीएन सेठी ने कहा कि अभी तक वितरकों को यह नहीं पता कि रियायती सिलेंडर कब तक दें या बाजार भाव कैसे वसूलें।

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