नैनो पार्टिकल के प्रयोग से लहसुन हुआ और गुणकारी, हृदय के लिए भी फायदेमंद
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में किया गया प्रयोग सफल, 22 फीसद तक बढ़े औषधीय तत्व, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाओं के सस्ता होने की संभावना बढ़ी
इलाहाबाद [अमरीश शुक्ल]। आयुर्वेद और रसोई दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण औषधीय गुणों वाला लहसुन अब और गुणकारी हो गया है। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी ने लहसुन पर नैनो पार्टिकल के प्रयोग कर उसमें पोषक तत्वों को 22 फीसद तक बढ़ा दिया है। इससे भविष्य में लहसुन जैसे अन्य औषधीय पौधों में मिलने वाले पोषक तत्वों के प्रयोग से बनने वाली आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाओं के सस्ता होने की संभावना बढ़ गई है।
इस शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल स्पेक्ट्रोस्कोपी लेटर्स ने हाल ही में प्रकाशित किया है। हमारे पूर्वज प्राचीन काल से ही पेड़-पौधों में मौजूद औषधीय गुणों से परिचित थे। शायद इसीलिए देश में औषधीय गुणों वाले तमाम पौधों मसलन आंवला, नीम आदि की पूजा की जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा भी परंपरागत ज्ञान पर आधारित है।
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञानी प्रो. केएन उत्तम ने परंपरागत ज्ञान को आधुनिक तकनीकी के प्रयोग से औषधीय पौधों में पाए जाने वाले बायोकेमिकल संरचना का अध्ययन किया। अभिसारिका भारती व श्वेता शर्मा ने प्रो. उत्तम के मार्गदर्शन में लहसुन पर शोध किया। लहसुन को प्रयोगशाला में उगाया गया। 29 दिन के पौधे पर नैनोपार्टिकल टिटैनियम डाईआक्साइड का प्रयोग हुआ।
नैनो पार्टिकल को पानी में घोलकर मिट्टी में मिलाया गया। इसके बाद टिटैनियम डाई आक्साइड की विभिन्न मात्रा देने पर लहसुन में पाए जाने क्र्वेसीटीन नामक फ्लेवनायड में 22 फीसद तक बढ़ोत्तरी पाई गई। यह बढ़ोतरी अधिकतम 35 फीसद थी। इससे न सिर्फ लहसुन के औषधीय गुण बढ़े, बल्कि पौधे का विकास भी तेजी से हुआ। यह भी पता चला कि नैनो पार्टिकल के प्रयोग से औषधीय गुण तो बढ़ाया ही जा सकता है, साथ ही साथ उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। फसल चक्र की अवधि भी कम की जा सकती है।
कैसे होगा व्यावसायिक प्रयोग
प्रो. केएन उत्तम बताते हैं कि अभी इसका प्रयोग प्रयोगशाला में किया गया है। बायो फर्टिलाइजर बनाने वाली कंपनियां नैनो पार्टिकल के प्रयोग से इस तकनीकी को नैनो फर्टिलाइजर के रूप में विकसित कर सकती हैं। फसलों पर नैनो पार्टिकल टिटैनियम डाई आक्साइड का प्रयोग पानी या उर्वरक में मिलाकर किया जा सकता है। इसकी लागत वर्तमान में उपलब्ध उर्वरक से पाच से 10 रुपये ही अधिक होगी।
लहसुन में पाए जाने वाले पोषकतत्व
लहसुन में गंधक की मात्रा अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा प्रोटीन, एंजाइम, विटामिन ए,बी व सी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड, वसा, ऐलीसिन, सेलेनियम, सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। सल्फर यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होता है। सल्फर पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। सिलेनियम मूड ठीक रखने में मदद करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है। लहसुन, स्किन, हृदय के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।