गंगा महासभा ने कहा, गंगा विधेयक का मसौदा सार्वजनिक करे मोदी सरकार
भारतीय संस्कृति में गंगा नदी के विशेष स्थान और आस्था के कारण पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने 2008 में गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा के लिए कानून बनाने की सरकार की तैयारियों के बीच गंगा महासभा ने इस विधेयक का मसौदा सार्वजनिक करने की मांग की है। गंगा महासभा का कहना है कि इस विधेयक के प्रावधानों को गंगा नदी को व्यवसायिक दृष्टि से न देखकर, भारतीयों की आस्था और गंगा की विशिष्टता को ध्यान में रख कर तैयार करना चाहिए।
गंगा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने दैनिक जागरण से कहा कि सरकार ने गंगा के लिए कानून बनाने को जो विधेयक तैयार किया है उसमें गंगा के अद्वितीय स्थान और विशिष्ट गुणों के संरक्षण और समुचित प्रबंधन का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा को निर्मल बनाने के लिए सबसे पहले इसे अविरल करना होगा।
संसद में विधेयक पेश करने से पहले सार्वजनिक किए जाएं प्रावधान
उल्लेखनीय है कि सरकार गंगा के लिए विशेष कानून बनाने जा रही है। माना जा रहा है कि इसके लिए एक विधेयक 11 दिसंबर से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।
गंगा महासभा के महासचिव ने कहा कि राज्यों और केंद्र के बीच गंगा पर अधिकार और व्यवसायिक दोहन को लेकर फिलहाल जो खींचतान है, केंद्र सरकार इसे दूर करने के लिए कानूनी प्रावधान करे। साथ ही गंगा कानून के तहत जो भी निकाय बनें, उनको पूरी तरह सरकारी अधिकारीयों के नियंत्रण में रखने के बजाए गंगा पर काम करने वाले प्रमाणिक वैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं गंगा पर आस्था रखने वाले विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों सहित धार्मिक जगत के पुरोधाओं को भी उसमें शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि गंगा पर सिर्फ उन राज्यों का अधिकार नहीं है जो इसे प्रवाह क्षेत्र में बसे हैं बल्कि दुनियाभर में रहने वाले और गंगा में आस्था रखन वालों का इस पर अधिकार है। ऐसे लोगों की भावनाओं को भी गंगा पर फैसला लेते समय ध्यान में रखा जाए। इसके अलावा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली प्रस्तावित शीर्ष समिति में गंगा किनारे बसे राज्यों के अतिरिक्त अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी स्थान दिया जाये।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गंगा नदी के विशेष स्थान और आस्था के कारण पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने 2008 में गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया था। गंगाजल में जो विशिष्ट गुण हैं उनका संरक्षण सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।