बड़वानी: बापू के अस्थि कलश का विस्थापन, 8 घंटे चला हंगामा
दोपहर को बड़ी संख्या में पहुंचे पुलिस बल ने अचानक कार्यकर्ताओं को खदेड़ना शुरू किया। जमकर हुई धक्का-मुक्की के बाद वेदी को पिकअप में रख कुकरा बसाहट ले जाया गया।
बड़वानी, नईदुनिया। डूब में आ रहे राजघाट स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मारक को विस्थापित करने में प्रशासन को गुरुवार को खासी मशक्कत करना पड़ी। विरोध कर रहे लोगों को खदेड़ने में पुलिस और प्रशासन को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। स्मारक को तोड़ कर अस्थि कलश अस्थायी रूप से कुकरा बसाहट में विस्थापित कर दिया गया।
सुबह से शुरू हुआ हंगामा दोपहर 2 बजे तक चला। 70 से अधिक आंदोलनकारियों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन के 5 दिन पूर्व गुरवार को प्रशासन अचानक हरकत में आया और अलसुबह 4 बजे से पहले ही दल-बल के साथ गांधी स्मारक पहुंचा। करीब 6.30 बजे बापू सहित कस्तूरबा गांधी और महादेव भाई देसाई के अस्थि कलशयुक्त कांक्रीट की वेदी को एसडीएम महेश बड़ोले की अगुवाई में जेसीबी से ले जाया जा रहा था, तभी नबआं के कार्यकर्ता और मेधा पाटकर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनका कहना था कि विस्थापन स्थल पर समुचित व्यवस्था नहीं है। विरोध के चलते वेदी को पुन: स्मारक स्थल रख दिया गया।
दोपहर को बड़ी संख्या में पहुंचे पुलिस बल ने अचानक कार्यकर्ताओं को खदेड़ना शुरू किया। जमकर हुई धक्का-मुक्की के बाद वेदी को पिकअप में रख कुकरा बसाहट ले जाया गया। वहां तत्काल अस्थायी स्मारक का कार्य शुरू किया गया। ज्ञात हो कि सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में राजघाट स्थित गांधी स्मारक भी आ रहा था। इसके विस्थापन को लेकर लंबे समय से जद्दोजहद चल रही थी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेशभर से कांग्रेस के 56 विधायक 28 जुलाई को बड़वानी पहुंच रहे हैं। पूर्व में वे डूब प्रभावितों की समस्याओं को देखने आ रहे थे, लेकिन गुरवार की घटना के बाद बापू स्मारक के विस्थापन का विरोध भी वे कर सकते हैं। इधर, दोपहर 3 बजे राजघाट से सैक़़डों लोग बैनर-झंडे लेकर रैली के रूप में धार के ग्राम चिखल्दा पहुंचे। वहां मेधा पाटकर के साथ कार्यकर्ताओं ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। शर्मनाक घटना स्मारक को अलसुबह अंधेरे में तोड़ने का कार्य किया गया है।
मेधा पाटकर ने कहा कि न तो किसी को सूचना दी गई और न नियम कायदे का पालन किया गया। यह प्रशासन की हठधर्मिता है। बिना पूर्ण पुनर्वास अस्थिकलश को विस्थापित किया जाना शर्मनाक है।
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