Gandhi Jayanti 2022: महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित भारतीय अंग्रेजी कथा साहित्य
गांधीवादी विचार भारतीय अंग्रेजी कथा साहित्य का अपरिहार्य तत्व रहा है जिसमें गांधीजी या तो एक चरित्र के रूप में या सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव के रूप में प्रकट होते हैं। गांधी जयंती (दो अक्टूबर) पर विशेष...
अयोध्या, डा. असीम त्रिपाठी। 21वीं सदी की नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए महात्मा गांधी और उनके जीवन दर्शन को शक्ति के स्रोत के रूप में देखने की आवश्यकता है। यह केवल गांधी ही थे जिन्होंने अहिंसा और शांति के माध्यम से विरोध करने का रास्ता दिखाया और उनके इसी गुण ने उन्हें वैश्विक स्तर का व्यक्ति बना दिया। दो विश्व युद्धों के बीच की अवधि को भारत में गांधीवादी युग के नाम से जाना जाता है। यह वह समय था जब भारत ब्रिटिश दमन के कारण हताशा के दौर से गुजर रहा था। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधीजी ने लोगों का आहवान करते हुए विद्रोह का ऐसा बिगुल बजाया, जिससे सुप्तावस्था में पड़ा राष्ट्र जाग उठा और लोगों ने एक नए जीवन के रक्तप्रवाह को अपनी नसों में महसूस किया। गांधीवादी विचार कई भारतीय अंग्रेजी उपन्यासों का अपरिहार्य तत्व रहा है, जिसमें गांधीजी या तो एक चरित्र के रूप में या सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव के रूप में प्रकट होते हैं।
भारतीय अंग्रेजी कथा साहित्य के दिग्गज कमला मार्कंडेय, मुल्कराज आनंद, राजा राव और आर. के. नारायण ने वर्ष 1930 के दशक में लिखना शुरू किया और उनके उपन्यासों की एक अच्छी संख्या गांधीवादी प्रभाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है। महात्मा गांधी की उपस्थिति, चाहे वह चरित्र के रूप में या अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में, भारतीय अंग्रेजी उपन्यासों में एक पैटर्न निर्धारित करती है। कहीं वह स्वयं नायक के रूप में दिखाई पड़ते हैं, कही नायक के रोल माडल के रूप में कार्य करते हैं। गांधीजी विशेष रूप से युवाओं के आदर्श हैं। प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार आर. के. नारायण ने अपने उपन्यास 'वेटिंग फार द महात्मा' में उन्हें एक चरित्र के रूप में दिखाया है और यही मुल्कराज आनंद ने अपने उपन्यास 'अनटचेबुल' और 'द सोर्ड एन्ड द सिकिल' में किया है।
नारायण ने अपने उपन्यास 'वेटिंग फार द महात्मा' में न केवल महात्मा गांधी का एक शानदार चित्र प्रस्तुत किया है, बल्कि उनके दर्शन और विचारों का एक विश्लेषण भी प्रस्तुत किया है। मालगुड़ी की धरती पर अपने पहले भाषण में गांधीजी अपने संत दर्शन का वर्णन करते हुए कहते हैं, 'हमारे पास अपनी खुद की एक प्रणाली है, जिससे हम अपने जीवन को शांत एवं समृद्ध बना सकते हैं और वह है- रामधुन, चरखा पर कताई और अहिंसा तथा पूर्ण सत्य का अभ्यास।'
इस उपन्यास के नायक 'श्रीराम' और नायिका 'भारती' गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित दिखते हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं एवं उनकी सलाह के अनुसार कार्य करते हैं। 'द वेटिंग फार महात्मा' में महात्मा गांधी की मृत्यु से राष्ट्रीय स्तर पर नुकसान होता है, लेकिन नायक 'श्रीराम' के निजी जीवन में पूर्णता की भावना होती है, क्योंकि वह उन्हें अपना आदर्श मानता है और उसके लिए गांधी कभी नहीं मरे। 'भारती' गांधीजी को अपने पिता के रूप में स्वीकार करती है और उनका अनुसरण करती है। गांधीजी भी उसे अपनी बेटी के रूप में प्यार करते हैं और अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद वह भारती और श्रीराम के बीच पनपते प्यार को पहचानते हैं और उन दोनों को शादी करने की अनुमति देते हैं और विवाह में पुजारी के रूप में कार्य करने का निर्णय करते हैं। इस प्रकार श्रीराम और भारती के संबंध को जीवन के गांधीवादी आदर्शों के आलोक में प्रस्तुत किया गया है।
उपन्यास में गांधीजी सभी नौजवानों के रोल माडल के रूप में मौजूद हैं। उपन्यास में महात्मा गांधी की उपस्थिति दूरस्थ और अलौकिक नहीं है, बल्कि एक ऊर्जावान व दयालु इंसान की है जो युवा जीवन को छूते है। गांधीजी को हरिजनों, बच्चों और स्वयंसेवकों के बीच भी देखा जा सकता है जो उनसे दैनिक जीवन के मामलों में बात करते हैं। आर. के. नारायण के एक और उपन्यास 'दे पेंटर आफ साइन्स' में नायक 'रमन' गांधीजी से प्रभावित होकर उनकी एक छोटी प्रतिमा हमेशा अपने बैग में रखता है और उनकी सलाह को याद करता रहता है कि दिन में अपने पैर की उंगलियों पर और रात में सितारों पर अपनी नजरें रखकर चलें।
मुल्क राज आनंद की किताब 'अनटचेबुल' एक सफाई कर्मचारी के मन मस्तिष्क पर गांधी के प्रभाव को दर्शाती है जो यह समझने में असमर्थ है कि गांधीजी जैसा महान व्यक्ति अपने सार्वजनिक भाषण में क्या-क्या कह रहा है, लेकिन महात्मा के चेहरे पर एक संत का भाव देखकर वह समझ जाता है कि यह व्यक्ति उसका हमदर्द है और उसकी समस्याओं को दूर करने में समर्थ है। 'अनटचेबुल' का नायक 'बखा' एक संवेदनशील नौजवान है जिसका कार्य सिर पर मैला ढोना है और इसीलिए वह अछूत है। वह समाज द्वारा तिरस्कृत और सताया हुआ है और अपनी स्थिति से उत्पन्न उदासी को दूर करने की कोशिश करता है। वह महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित होता है जो एक जनसभा को संबोधित कर रहे हैं और कहते हैं, 'मैं अस्पृश्यता को हिंदू धर्म पर सबसे बड़ा धब्बा मानता हूं।' अछूत वास्तव में वो लोग थे, जिन्हें गांधीजी ने हरिजन अर्थात ईश्वर का आदमी नाम दिया। बखा, गांधीजी को अपना आदर्श मानते हुए भविष्य के प्रति आशान्वित है और उत्साहित होकर अपने पिता को गांधीजी और उस मशीन के बारे में बताता है जो स्वत: शौचालय को शौचमुक्त कर देगी।
उपन्यास 'द सोल्ड एंड द सिकिल ' में लालू सिंह जो एक क्रांतिकारी व्यक्ति और उपन्यास का नायक भी है, गांधी जी का साक्षात्कार लेता है। इस दौरान वह उनकी शक्ति और ईमानदारी को महसूस करता है। पुन: वह गांधीजी से मिलता है और उनकी मानव मात्र के प्रति सोच एवं उनके सशक्त व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित होता है। महात्मा लालू से कहते हैं, 'सबसे पहले मैं किसानों से अपील करूंगा कि वे डर को छोड़े। असली राहत उनके लिए डर से मुक्त होना है।'
आनंद के एक और उपन्यास 'कुली ' में नायक मुन्नू का हर समय किसी न किसी रूप में किसी न किसी व्यक्ति द्वारा शोषण किया जाता है। वह गांधीजी के संपर्क में आता है और उनसे बहुत प्रभावित होता है। वह उनसे प्रेरणा लेता है तथा उनसे नैतिक समर्थन प्राप्त करता है और उन्हें अपना आदर्श मानता है। राजा राव के उपन्यास 'कांथापुरा' में गांधीजी को एक आदर्श, एक मिथक, एक प्रतीक, एक मूर्त वास्तविकता और एक परोपकारी इंसान के रूप में माना गया है। राजा राव स्वयं गांधीजी से बहुत प्रभावित थे। इस उपन्यास में गांधीजी स्वयं एक व्यक्ति के रूप में उपस्थित न होकर चरित्रों के विचारों एवं कार्यों के रूप में दिखाई पड़ते हैं। उपन्यास के नायक 'मूर्ति' को गांधी के अवतार के रूप में दिखाया गया है जो एक आदर्श व्यक्ति है और जिसने अपना जीवन मानवता की निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।
के. ए. अब्बास द्वारा लिखित उपन्यास 'इंकलाब' में महात्मा गांधी और उनके युग की प्रमुख हस्तियों का परिचय दिया गया है। इस उपन्यास का उद्देश्य गांधीवादी क्रांतिकारी युग को उसकी संपूर्णता में प्रस्तुत करना है। नायक 'अनवर' महात्मा के जादुई व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित है और यह जानता है कि उन्हें महान आत्मा क्यों कहा जाता है। वह गांधीजी के चेहरे पर दु:ख, दया और करुणा के भाव देखता है, मानो उन्होंने व्यक्तिगत रुप से हर एक इंसान के दुख को महसूस किया हो। जब गांधी जी को गिरफ्तार किया जाता है तो अनवर चलती ट्रेन में कूद जाता है और महात्मा से लोगों के लिए उनका संदेश मांगता है। गांधीजी लोगों से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखने के लिए कहते हैं। गांधी के सपने को पूरा करने के लिए अनवर बेहद भावुक नजर आता है।
के. नागराजन द्वारा लिखित उपन्यास 'द क्रानिकल आफ केदारम' युवाओं पर गांधीवादी प्रभाव को दर्शाता है। केदारम का समाज प्राचीन एवं नवीन के बीच का संघर्ष, ब्रिटिश एवं भारतीयों के बीच संघर्ष, नौकरशाही और लोगों के बीच, कंाग्रेस और न्यायपार्टी के बीच, हिंदू और मुस्लिम, ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण के बीच संघर्ष से बंधा हुआ है। इस उपन्यास की नायिका निर्मला कुछ मायनों में एक सच्ची गांधीवादी महिला है। वह आर.के. नारायण के 'वेटिंग फार द महात्मा' की नायिका भारती की तरह है। विवाह और प्रेम में असफलता का अनुभव होने पर एवं माता-पिता को खोने के बाद वह साबरमती आश्रम में शरण लेती है। वह केदारम में गांधीजी की भौतिक उपस्थिति की तुलना में आश्रम में उनके व्यक्तित्व को बहुत बेहतर पाती है। वहां निर्मला जैसी सैकड़ों पीडि़त महिलाओं ने महात्मा के प्रेम से अपनी कुंठाओं और कष्टों से मुक्ति पाई है।
के. एस. वेंकटरमानी का उपन्यास 'मुरूगन-द टिलर' गांधीवादी अर्थशास्त्र का प्रतिपादक है। गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित इस उपन्यास का नायक मुरूगन आत्मनिर्भर ग्राम समुदाय के चारों ओर निर्मित एक नये समाज और यूटोपिया का वर्णन करता है जो पूरी तरह से अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए भूमि पर निर्भर है। गांधी उसके लिए एक जुनून हैं। वेंकटरमानी का अगला उपन्यास 'कंदन-द पैट्रियाटिक' गांधीवादी राजनीति को दर्शाता है। गांधी से प्रभावित नायक कंदन, स्वतंत्रता संघर्ष और भारत के भविष्य का वर्णन करता है जिसमें महान नैतिक भावना से युक्त लोग रहते हैं। इन दोनों नायकों के पास समाज सुधार की एक दृष्टि है और वे दोनों वह लक्ष्य हासिल करते हैं जिसे वह चाहते हैं।
अंग्रेजी के सबसे प्रसिद्ध भारतीय लेखकों में से एक भवानी भट्टाचार्य ने गांधी को एक प्रतिक्रियावादी व्यक्ति के रूप में देखा था और उन्हें अपने सभी लेखन में स्थान दिया। उनके लगभग सभी उपन्यासों में गांधी का प्रभाव दिखता है। उपन्यास 'सो मेनी हंगर्स' में नायक देवास बसु, गांधी और उनके आदर्शों से मिलता-जुुलता है जो लाखों लोगों को अपने संकीर्ण हितों से ऊपर उठने और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है । यह सन् 1943 का वह समय था जब बंगाल अपने सबसे भयानक मानव निर्मित अकाल के संकट से गुजर रहा था। इतने बड़े संकट के बावजूद लोगों ने शासन के खिलाफ आंदोलन को मजबूत किया। शहरी प्रलोभनों की शिकार होने की कगार पर भूख से त्रस्त काजोली, देवास बसु के भाषण को सुनकर हिम्मत जुटाती है। जब वह कहता है, 'साथियों, झंडे के साथ विश्वासघात मत करो। अपने आपको धोखा मत दो। सर्वोच्च परीक्षा मजबूत होने के लिए आई है। सच्चे और अमर बनो।' काजोली आंदोलन से जुड़ जाती है तथा एक अन्य युवा राहुल जो विदेश से लौटा है, अपनी भव्य जीवन शैली के बावजूद अन्य राष्ट्रवादियों के साथ आंदोलन से जुड़ जाता है।
उनके एक अन्य उपन्यास 'म्यूजिक फार मोहिनी' का नायक जयदेव गांधीजी से प्रभावित है और उनका सच्चा अनुयायी है। उसका संपूर्ण व्यक्तित्व प्राचीन और नवीन, भारतीय और पश्चिमी मूल्यों का एक स्वस्थ मिश्रण जो गांधीजी को पसंद है से प्रभावित है। वास्तव में गांधीजी ने भारतीय संस्कृति को एक प्रगतिशील दृष्टिकोण के साथ आत्मसात किया। एक अन्य उपन्यास 'शैडो फ्राम लद्दाख' में गांधीवादी आदर्शों को बेहतर और मजबूत तरीके से देखा जा सकता है। इस उपन्यास का नायक सत्यजीत महात्मा का पुनर्जन्म है। स्टील टाउन द्वारा गांधी ग्राम को अतिक्रमण से बचाने के लिए उनके उपवास में सत्याग्रह के गांधीवादी तरीकों का एक स्वर है। उपन्यास 'ए ड्रीम इन हवाई' में केंद्रीय चरित्र स्वामी योगानन्द गांधी को अपना आदर्श मानते हुए कहता है, 'महात्मा गांधी भारत की धरा पर एक देवता के रूप में उतरे है। देवताओं को तो हमने मूर्ति के रूप में पाया है जिनके पैरों पर फूल चढ़े होते हैं पर गांधीजी तो एक जीते-जागते देवता के रूप में हमारे बीच हैं।'
चमन नहल के उपन्यास 'आजादी' में दो प्रमुख पात्र लाला खुशीराम और चौधरी बरकत अली महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित हैं। हिंदू-मुस्लिम एकता के बारे में महात्मा की शिक्षा का प्रभाव इतना बड़ा है कि दोनों हाथ मिलाते हैं और उसी दिन से ही भाई बनने की शपथ लेते हैं। के. नागराजन द्वारा लिखे उपन्यास 'अथावर हाउस' में नायक चंद्रकांत डे गांधीजी को अपना आदर्श मानता है और उनके असहयोग आंदोलन एवं विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के आह्वान को विभिन्न सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में शांतिपूर्ण तरीके से प्रचारित एवं प्रसारित करता है।
भारतीय अंग्रेजी कथा साहित्य में मौजूद युवा गांधीजी से प्रभावित और सम्मोहित थे। वे जानते थे कि गांधीजी ने वही किया जो उनके लिए हितकर था और इसलिए वे गांधी को अपना आदर्श मानते थे एवं गांधीजी के एक-एक शब्द का अक्षरश: पालन करते थे।
नयनतारा सहगल की 'ए टाइम टू बी हैप्पी' में कुंती बहन कहती हैं, 'मेरे पति का निधन हो गया था जब हमारी शादी को केवल तीन साल हुये थे। मेरे कोई बच्चे नहीं हैं क्योंकि मेरा विवाह ही पूर्ण नहीं था। ऐसा इसलिए कि मेरे पति गांधीजी के सच्चे अनुयायी थे।' यह स्पष्ट है कि गांधीवाद और कुछ नहीं, बल्कि जीवन की अच्छाई और श्रेष्ठता है। गांधीजी का कहना था कि गांधीवाद जैसी कोई चीज नहीं है और मैं अपने बाद ऐसा कुछ छोडऩा भी नहीं चाहता। मैंने अपने तरीके से शाश्वत सत्य को अपने दैनिक जीवन और समस्याओं पर लागू करने की कोशिश की है और यही कारण था कि उनके हजारों-लाखों अनुयायी पैदा हुए। जवाहर लाल नेहरू भी मानते थे कि गांधीजी ने भारत में लाखों लोगों को अलग-अलग ढंग से प्रभावित किया और अपने पूरे जीवन की संरचना को बदल दिया और यही कारण है कि भारतीय अंग्रेजी कथा साहित्य के लेखकों ने ऐसे चरित्रों का निर्माण किया जिन्होंने गांधी को अपना आदर्श बनाया।
महात्मा गांधी विश्व को भारत की देन है। उनकी संयमित जीवन-शैली, दृढ़ विश्वास और प्रतिबद्धता किसी भी रचनात्मक मस्तिष्क को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त है। आज पूरी दुनिया में गांधीजी और उनकी आवाज गूंज रही है। हर संकट में हम उन्हें याद करते है। आज भी बड़ी संख्या में लोग गांधीजी के कार्यों से जुड़े हैं और उनमें से ज्यादातर युवा है। बालीवुड की एक बेहद हिट फिल्म 'लगे रहो मुन्ना भाई' यह साबित करती है कि गांधीजी और उनकी शिक्षाएं युवाओं में कितनी लोकप्रिय है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि आज गांधीवादी दर्शन कितना उपयोगी है। आजकल गांधीगिरी का जादू हर जगह है, क्योंकि यह किसी भी समस्या का पूर्ण समाधान है। विश्व के किसी हिस्से में किसी अन्य राजनीतिक या धार्मिक नेता ने लोगों के दिलों में ऐसा स्थान नहीं बनाया जैसा कि गांधीजी ने किया। वह हमेशा आने वाली पीढिय़ों के आदर्श रहेंगे।
[लेखक का. सु. साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में असि. सप्रोफेसर एवं अध्यक्ष]