Move to Jagran APP

2022 में अंतरिक्ष में लहराएगा तिरंगा, इसरो कर रहा तैयारी; जीरो ग्रैविटी की मिलेगी ट्रेनिंग

कैसा होगा इसरो का मानव युक्‍त अंतरिक्ष अभियान। संगठन ने अब तक क्‍या-क्‍या तैयरियां कर ली हैं। इस योजना को पूरा करने में इसरो के समक्ष क्‍या हैं बड़ी चुनौतियां।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 09:39 PM (IST)
2022 में अंतरिक्ष में लहराएगा तिरंगा, इसरो कर रहा तैयारी; जीरो ग्रैविटी की मिलेगी ट्रेनिंग
2022 में अंतरिक्ष में लहराएगा तिरंगा, इसरो कर रहा तैयारी; जीरो ग्रैविटी की मिलेगी ट्रेनिंग

नई दिल्‍ली [रमेश मिश्र]। एक बार फ‍िर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की महत्‍वाकांक्षी स्‍पेस योजना 'गगन यान' सुर्खियों में है। दरअसल, 15 अगस्‍त को लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'जब देश 75वां स्‍वतंत्रता दिवस मना रहा होगा, उसके पहले भारत की कोई संतान फ‍िर चाहे वह बेटा हो या बेटी अंतरिक्ष में अपने साथ भारत का झंडा लेकर जाएगा।' इसके बाद से यह गगन यान लोगों के लिए जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है।

loksabha election banner

प्रधानमंत्री के हालिया बयान के बाद इसरो ने इस योजना के लिए कमर कस ली है। इसरो ने इस योजना को राष्‍ट्रीय अभियान घोषित कर दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कैसा होगा इसरो का मानव युक्‍त अंतरिक्ष अभियान। संगठन ने अब तक क्‍या-क्‍या तैयरियां कर ली हैं। इस योजना को पूरा करने में इसरो के समक्ष क्‍या हैं बड़ी चुनौतियां। आइए आपको बताते हैं गगन यान से जुड़े इन सवालों के जबाव के साथ उसकी खूबियों के बारे में।

गगन यान की खूबियां
1- गगन यान इसरो के सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 के जरिए लॉन्‍च किया जाएगा। मिशन में करीब नौ हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। मानव को स्‍पेस में भेजने सेे पहले मानव रहित मिशन को अंजाम दिया जाएगा।
2- गगन यान भारतीय चलित कक्षीय अंतरिक्ष यान है। इस यान को तीन लोगों को स्‍पेस में ले जाने के हिसाब से डिजाइन किया जा रहा है।
3- इस यान में लिक्विड प्रोपेले-2 युक्‍त दो इंजन होंगे। बेंगलुरू में इसरो टेलीमेंट्री ट्रैकिंग कमांड सेंटर से इस यान की निगरानी होगी।
4- यह यान सात दिनों के लिए 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्‍वी की परिक्रमा करेगा। इस गगन यान में 3.7 टन के कैप्‍सूल में तीन लोगों को ले जाने की क्षमता है।
6- गगन यान के अंदर इस कैप्‍सूल में जीवन नियंत्रक और पर्यावरण नियंत्रक प्रणाली होगी।
5- मानव को अंतरिक्ष तक पहुंचने और धरती पर वापस सुरक्षित लाने की सारी तकनीक शामिल है।

बेंगलुरू शहर में होगा अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण
ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण केंद्र के लिए जमीन आवंटित हो चुकी है। बेंगलुरू शहर के बाहरी इलाके देवनहल्ली में इस ट्रेनिंग सेंटर के लिए जगह दी गई है, जो यहां के केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर है। इस प्रशिक्षण केंद्र का नाम एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग एंड बायोमेडिकल इंजीनियरिंग सेंटर होगा। इसे इसरो विकसित करेगा। 40 से 50 एकड़ में विकसित किया जाने वाला यह प्रशिक्षण केंद्र बहुत कुछ रूस के कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर की तर्ज पर ही बनेगा, जहां दुनियाभर के अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग दी जाती है।

भारतीय वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन मेडिसिन के सहयोग से विकसित किए जाने वाले इस ट्रेनिंग सेंटर को भविष्य में मानव सहित अंतरिक्ष यान मिशन के लिए एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग, रिकवरी मिशन और रेस्क्यू ऑपरेशन आदि के प्रशिक्षण-केंद्र के रूप में तैयार करने की योजना है।

अंतरिक्ष यात्रियों को जीरो ग्रैविटी में रहने का मिलेगा प्रशिक्षण
1- इसरो के प्रशिक्षण केंद्र को अत्याधुनिक बनाए जाने की योजना है। इस ट्रेनिंग सेंटर में अंतरिक्ष यात्रियों को जीरो ग्रैविटी में रहने का प्रशिक्षण मिलेगा।
2- प्रशिक्षित एस्ट्रोनॉट के जीरो ग्रैविटी में रहने की भी व्यवस्था होगी, ताकि अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर ही अंतरिक्ष में रहने का माहौल मिले। इसके लिए सेंटर में जीरो ग्रैविटी फैसिलिटी देने वाले उपकरण लगाए जाएंगे।
3- इसके अलावा इस प्रशिक्षण केंद्र में थर्मल साइक्लिंग और रेडिएशन रेगुलेशन चैंबर भी होंगे। अंतरिक्ष यात्रियों को वाटर-सिम्युलेटर में ट्रेनिंग दी जाएगी। वाटर सिम्युलेटर, स्वीमिंग-पूल जैसा माहौल देता है। अंतरिक्ष यात्रियों को पानी के नीचे जाना होगा, जहां वे जीरो ग्रैविटी में रहने का प्रशिक्षण ले सकेंगे।
4- यह इंतजाम भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा द्वारा बताए गए अनुभवों के आधार पर किया जा रहा है। राकेश शर्मा ने वर्ष 1984 में तत्‍कालीन सोवियत रूस के एक मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी।

पहले अभियान की ट्रेनिंग रूस या अमेरिका में
हालांकि, कम समय के कारण भारत के पहले अंतरिक्ष यात्रियों को रूस या अमेरिका में ही प्रशिक्षित किए जाने की योजना है। भारत के ट्रेनिंग सेंटर के पूरी तरह से विकसित होने के बाद ही यहां पर अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने बताया कि देश के पहले मानव-सहित अंतरिक्ष यान मिशन के लिए अब बहुत ही कम समय बचा है, लिहाजा  अभी देवनहल्ली ट्रेनिंग सेंटर में किसी अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता।

महिला वैज्ञानिक डॉ. ललितांबिका को मिला जिम्मा
यह बड़े ही गर्व की बात है कि स्पेस मिशन 2022 नारी की अगुवाई में आगे बढेगा। इस प्रोजेक्ट का जिमा महिला वैज्ञानिक डॉ. ललितांबिका को दिया गया है। डॉ. ललितांबिका एक राकेट इंजिनियर हैं। बीते 30 वर्षों से इसरो में काम कर रही हैं। वह इस प्रोजेक्ट को लेकर दो माह के भीतर ही प्रधानमंत्री के समक्ष पहली रिपोर्ट रखेंगी।

'इस मिशन को कैसे चलाएंगे, कौन चलाएगा, किस प्रकार काम करना होगा, इसके लिए हम दो माह में फाइल बनाकर रिपोर्ट को सबमिट कर देंगे। प्रधानमंत्री का यह ऐलान इसरो के लिए बड़ी खुशी की बात है। हर कोई मुझसे यह पूछता है कि क्या यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। तो उन सबको मैं एक ही बात कहना चाहूंगा कि इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए हमें नई तकनीक पर काम करना होगा, तब जाकर इसे हम 2022 तक पूरा कर सकेंगे। यह पल हर भारतीय के लिए गर्व महसूस करने का पल है।  इसके लिए हम छोटा ही बजट रखेंगे। इस मिशन के लिए हमें बस अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं की जरूरत होगी। अभी तक यह बात कंफर्म नहीं हो पाई है कि इस मिशन में कौन जाएगा पर लिंग के हिसाब से किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।' - इसरो अध्‍यक्ष, के. सिवान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.