मुंडे को संभालने की कोशिश में गडकरी
मुबंई [ओमप्रकाश तिवारी]। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी अपने गृहराज्य के प्रतिद्वंद्वी गोपीनाथ मुंडे को संभालने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इसी कोशिश के तहत 2014 के विधानसभा चुनाव की कमान पूर्व उपमुख्यमंत्री मुंडे को दे दी गई है। राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व भी मुंडे ही करते दिखाई देंगे।
मुबंई [ओमप्रकाश तिवारी]। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी अपने गृहराज्य के प्रतिद्वंद्वी गोपीनाथ मुंडे को संभालने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इसी कोशिश के तहत 2014 के विधानसभा चुनाव की कमान पूर्व उपमुख्यमंत्री मुंडे को दे दी गई है। राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व भी मुंडे ही करते दिखाई देंगे।
आज लंबे समय बाद भाजपा के महाराष्ट्र प्रदेश कार्यालय में गोपीनाथ मुंडे अपने पुराने रुतबे में दिखाई दिए। एक ओर प्रदेश अध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार तो दूसरी ओर गडकरी समर्थक मराठा नेता विनोद तावड़े के साथ मुंडे पूरे आत्मविश्वास के साथ अजीत पवार पर बरसते दिखाई दिए । कांग्रेस के दिग्गज नेता विलासराव देशमुख के निधन के बाद मुंडे के कांग्रेस प्रवेश की अटकलों को खारिज करते हुए पहली बार विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े ने मुंडे को पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया था। एक दिन पहले स्वयं गडकरी ने एक टीवी साक्षात्कार में इसी संकेत को दोहराया। आज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार ने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व मुंडे ही करेंगे। इसे गडकरी द्वारा अपने ही प्रदेश में चल रही फुटमस को कम करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा नेता प्रमोद महाजन के निधन के बाद से मुंडे उपेक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। वह स्वयं को महाजन के विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने वह मौका अब तक उन्हें नहीं दिया है। मसलन् आज भी महाराष्ट्र भाजपा का प्रभारी बनने की उनकी इच्छा पूरी नहीं की गई है। लेकिन पार्टी की ओर से उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया जाना जहां उनके सम्मानजनक पुनर्वास का संकेत है, वहीं पार्टी के लिए भी यह एक बड़ी राहत है। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना को पछाड़कर पार्टी विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों के नेता विरोधीदल का पद कब्जाने में सफल रही। इसके बावजूद अंतर्कलह के कारण अब तक वह तेजतर्रार मुख्य विपक्षी पार्टी की छाप छोड़ने में नाकाम रही है। अब मुंडे को कमान सौंपकर पार्टी एक बार फिर उनसे 1993 से 1995 के बीच उनके द्वारा शरद पवार के विरुद्ध छेड़े गए अभियान जैसी अपेक्षा कर रही है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर