जम्मू-कश्मीरः अमन बहाली के लिए शुरू हो बातचीत-कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा हालात सामान्य बनाने के लिए एक रचनात्मक विपक्ष की जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार का हर संभव सहयोग किया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आरोप में बर्खास्त हुए सरकारी कर्मियों के समर्थन में सोमवार को कांग्रेस भी मैदान में उतर आई। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर ने सरकारी कर्मियों की बर्खास्तगी को गैर लोकतांत्रिक करार देते हुए हालात सामान्य बनाने के लिए हुर्रियत समेत सभी संबधित पक्षों से एक यथार्थवादी बातचीत की प्रक्रिया शुरु करने की मांग की है।
आज सुबह अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस जीए मीर कहा कि मौजूदा पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार पूरी तरह निरंकुश हो चुकी है। उन्होंने कहा कि 15 सप्ताह हो रहे हैं,लेकिन यहां हालात सुधरने के बजाय बिगड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने हालात सामान्य बनाने के लिए एक रचनात्मक विपक्ष की जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार का हर संभव सहयोग किया है।
वर्ष 2010 में जब नेकां-कांग्रेस की गठबंधन सरकार थी तो उस समय रियासत में हालात बिगडऩे पर विपक्ष में बैठे पीडीपी, भाजपा व अन्य दलों ने हालात सामान्य बनाने के बजाय उन्हें बिगाडऩे का ही काम किया था।
सुबह राज्यपाल एनएन वोहरा से हुई अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए जीए मीर ने कहा कि पूर्वमंत्री ताज मोहिउददीन समेत हमारे वरिष्ठ साथियों का एक दल राजभवन में राज्यपाल से मिला है। हमने उन्हें कश्मीर के मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए बताया कि वर्तमान राज्य सरकार हालात पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम रही है। सरकार की गलत नीतियों के कारण ही 95 लोगों की मौत हुई है और 10 हजार से ज्यादा जख्मी हुए हैं। हमने हालात सामान्य बनाने के लिए राज्यपाल को कुछ सुझाव भी दिए हैं।
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प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने परीक्षाओं के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि परीक्षाओं के आयोजन से पहले राज्य सरकार को कश्मीर में हालात सामान्य बनाते हुए अमन व सुरक्षा का माहौल बनाना होगा। मौजूदा हालात में छात्र परीक्षा किस मनोस्थिति में देंगे, यह सोचने लायक बात है।
सरकारी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और विभिन्न तत्वों के खिलाफ पीएसए संंबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसी भी नाबालिग को इस काले कानून के तहत बंदी नहीं बनाना चाहिए। उनका पूरा भविष्य इससे चौपट हो जाएगा। इसके अलावा बर्खास्त कर्मियों के खिलाफ जांच होनी चाहिए और जांच पूरी होने तक उन्हें बहाल किया जाए।
चुनावी वादों को पूरा न करने के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए जीए मीर ने कहा कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने कश्मीर मसले के हल के लिए हुर्रियत समेत सभी पक्षों से बातचीत का यकीन दिलाया था। हम राज्य व केंद्र सरकार से पूछते हैं कि इस वादे का क्या हुआ,क्यों बातचीत शुरु नहीं हो रही है। कश्मीर समस्या के समाधान के लिए हुर्रियत और पाकिस्तान समेत सभी संबधित पक्षों से बिना देरी यथार्थवादी बातचीत की प्रक्रिया बहाल होनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि हमने गत तीन माह के दौरान रियासत में हुई मौतों व हालात बिगडऩे के कारणों की छानबीन व राज् सरकार की भूमिका पर उच्चतम न्यायालय के एक रिटार्यड जज से जांच की मांग भी राज्यपाल के समक्ष रखी है। इसके अलावा मीडिया पर पाबंदी को लेकर भी हमने अपना एतराज जताया है। यह सरकार की हालात से निपटने में अक्षमता को ही प्रकट करता है।
अर्थव्यवस्था को पूरी तरह भंग
मीर ने कहा कि बीते तीन माह से जारी हालात ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह भंग कर दिया है। पर्यटन,शिक्षा, स्वास्थ्य,उद्योग जगत समेत ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो बरबाद नहीं हुआ है। सरकारी खजाने का भी दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह कश्मीर में अगले छह माह तक प्रत्येक परिवार को 50-50 किलो राशन हर माह निशुल्क दे। मौजूदा हालात से सभी संकट में हैं। इसके अलावा सभी दैनिक वेतनभोगियों और एसपीओ की सेवाएं नियमित की जाएं।
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