Move to Jagran APP

कतर संकट के चलते बंद हो सकता है बेपोर का पंद्रह सौ साल पुराना ये कारोबार

एडाथोडी ने बताया कि वह जो नाव बना रहा है, उसकी कीमत लगभग 2.5 करोड़ रुपये है। वह बताते हैं कि इससे पहले 5 करोड़ रुपये की लग्‍जरी नाव भी बना चुके हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 14 Jun 2017 03:21 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jun 2017 04:55 PM (IST)
कतर संकट के चलते बंद हो सकता है बेपोर का पंद्रह सौ साल पुराना ये कारोबार
कतर संकट के चलते बंद हो सकता है बेपोर का पंद्रह सौ साल पुराना ये कारोबार

कोझिकोड, जेएनएन। कतर पर आए संकट के बादल भारत में बेपोर के नाव निर्माताओं पर भी छाने लगे हैं। साल 2011 से अब तक बेपोर बंदरगाह से निर्मित लगभग 10 लग्‍जरी नाव कतर पहुंचीं। लेकिन कतर पर अन्‍य अरब देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से बेपोर के पारंपरिक नाव निर्माताओं के भविष्‍य अनिश्चिताओं में घिरे नजर आ रहे हैं।    

बेपोर, कोझिकोड शहर से लगभग दस किमी दक्षिण चलियार नदी के मुहाने पर स्थित है। इतिहास में इस स्थान का एक विशेष स्थान है जो प्रमुख बंदरगाह, फिशिंग हार्बर के लिए पहचाना जाता है। प्राचीन समय में यह अरब और चीनी व्यापारियों के लिए व्यापार तथा समुद्री तटीय केंद्र रहा था। बंदरगाह तथा व्यापार केंद्र के रूप में प्रसिद्धि पाने के जल्द बाद ही बेपोर जहाज निर्माण का भी एक प्रसिद्ध केंद्र बन गया। पश्चिमी एशियाई व्यापारियों के बीच यहां के जहाजों की काफी मांग थी।

बेपोर में स्थित जहाज निर्माण यार्ड लगभग 1500 वर्ष पुराना है और यहां के लोगों की कारीगरी बेजोड़ है। यही वजह है कि आज भी कतर के शेख और रईस लोग निजी इस्‍तेमाल के लिए गल्‍फ पोर्ट्स के बीच यात्रा करने के लिए जिन शानदार नावों का इस्‍तेमाल करते हैं, वो बेपोर में ही बनाई जाती हैं। लेकिन कतर में आए तूफान से बेपोर की नाव मझधार में अटकी नजर आ रही है।

prime article banner



टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, बेपोर के एक लग्‍जरी नाव निर्माता सथ्‍यान एडाथोडी इन समय कतर के शाही परिवार के लिए दो नावों का निर्माण कर रहे हैं। इन 120 फीट लंबी नावों को उन्‍हें 2018 के मध्‍य में दोहा पहुंचाना है। लेकिन इससे पहले उन्‍हें नावों के इंटीरियर वर्क, कैबिन, लग्‍जरी वर्क और एयरकंडीशन के लिए इन्‍हें दुबई लेकर जाना था। वहां इंटीरियर वर्क पूरा होने के बाद एडाथोडी को इन नावों को दोहा तक इनके मालिकों तक पहुंचाना था। लेकिन कतर के मौजूदा संकट की वजह से अब इंटीरियर वर्क के लिए कोई दूसरा विकल्‍प तलाश रहे हैं।

एडाथोडी कहते हैं, 'मैं अपने कतरी दोस्‍त यूसुफ अहमद के संपर्क में हूं, जिसने मुझे शाही परिवार की ओर से नावों के निर्माण का ऑर्डर दिया है। उन्‍होंने मुझसे कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। कतर का मौजूदा संकट जल्‍द ही टल जाएगा। फिर कतर के हालात पहले जैसे हो जाएंगे। दूसरे देश जल्‍द ही कतर से प्रतिबंध हटा लेंगे।' एडाथोडी ने बताया कि वह जो नाव बना रहा है, उसकी कीमत लगभग 2.5 करोड़ रुपये है। वह बताते हैं कि इससे पहले 5 करोड़ रुपये की लग्‍जरी नाव भी बना चुके हैं।
 
भले ही कहा जा रहा हो कि कतर पर आया संकट जल्‍द टल जाएगा, लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है। ऐसे में बेपोर के लग्‍जरी नाव निर्माओं के भविष्‍य पर संकट के बादल छाए हुए हैं। दरअसल, पारंपरिक रूप से जहाजों की खरीददारों में अरब के निवासियों का बड़ा हिस्सा रहा। वे अपनी जरूरत के मुताबिक ऑर्डर देते थे। आधुनिक जहाज निर्माण प्रक्रिया के विपरीत जहां पहले जहाज का ब्लूप्रिंट और मशीनरी तैयार की जाती है और फिर निर्माण कार्य शुरू किया जाता है। वहीं बेपोर में हर चीज जहाज बनाने वाले कारीगरों के दिमाग में आकार लेती है, जो अपनी टीम के साथ लकड़ी का काफी बारीक काम कर जहाज तैयार करते हैं। उरु (पारंपरिक नाव) जिस तरह से आकार लेता है और जिसमें कम से कम आधुनिक साधनों का इस्तेमाल किया जाता है, उसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है।



गौरतलब है कि सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने कतर के साथ कूटनीतिक और परिवहन संबंधों को तोड़ लिया है। इन देशों ने कतर पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया है। इससे कतर में हालात काफी खराब हो गए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.