इस साल शीतकालीन सत्र में राज्यसभा के कामकाज में 5.60 फीसद हुआ सुधार
इस साल शीतकालीन सत्र में कामकाज में सुधार दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 12 सांसदों के निलंबन रद्द करने की विपक्ष की मांग के बीच शीतकालीन सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान राज्यसभा के कामकाज में पहले सप्ताह की तुलना में 5.60 फीसद सुधार हुआ है।
नई दिल्ली, एएनआइ। इस साल शीतकालीन सत्र में कामकाज में सुधार दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 12 सांसदों के निलंबन रद्द करने की विपक्ष की मांग के बीच शीतकालीन सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान राज्यसभा के कामकाज में पहले सप्ताह की तुलना में 5.60 फीसद सुधार हुआ है। सदन ने 52.50 फीसद फलदायक कार्य दर्ज किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान शीतकालीन सत्र के इन दो हफ्तों के दौरान, राज्य सभा ने पहले सप्ताह के दौरान पारित किए गए 2 विधेयकों सहित कुल 5 विधेयकों को पारित करने के लिए सरकार के विधायी कार्य पर 34.25 फीसद कार्यात्मक समय दिया।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन 12 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। मानसून सत्र में इन सांसदों ने अशोभनीय आचरण किया था। सदन के अंदर तोड़फोड़ आसन पर पेपर फेंकने टेबल पर चढ़कर डांस करने और मार्शल के साथ अभद्रता के इन पर आरोप थे। पूरी छानबीन के बाद शीतकालीन सत्र के पहले दिन यह कार्रवाई हुई है। इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने आक्रामक तेवर अख्तियार कर लिए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि हम इस कदम की निंदा करते हैं।
जिन 12 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सदन से निलंबित किया गया है, उनमें माकपा के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भाकपा के विनय विस्वम शामिल हैं।
सांसदों को शीतकालीन सत्र से सस्पेंड करने पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह लोकतंत्र विरोधी कदम है और सरकार सांसदों में डर पैदा करने के लिए ये कदम उठाई है। डराना-धमकाना उनकी अदत बन गई है। सरकार ने 12 सांसदों पर एक्शन लेने के लिए जो रेजोल्यूशन मूव किया है ये पूरी तरह गलत है। यह लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश है। हम इसकी निंदा करते हैं और इस पर सभी विपक्षी पार्टी सहमत है।