राम जेठमलानी की पूरी राम कहानी
राम जेठमलानी का पूरा नाम राम बूलचंद जेठमलानी है, लेकिन लोग उनको राम जेठमलानी के नाम से ही जानते है। उनका जन्म 14 सितंबर 1
नई दिल्ली। राम जेठमलानी का पूरा नाम राम बूलचंद जेठमलानी है, लेकिन लोग उनको राम जेठमलानी के नाम से ही जानते है। उनका जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। जेठमलानी एक विख्यात वकील और भाजपा के सक्रिय सदस्य भी हैं। वे देश के कानून मंत्री के अलावा बार एसोसिएशन के चैयरमैन भी रह चुके हैं।
वरिष्ठ वकील जेठमलानी की गिनती भारत में मंहगे वकीलों की श्रेणी में की जाती है। उनका विवादों से पुराना नाता रहा है। उन्होंने कई विवादास्पद और हाई प्रोफाइल केसों की भी पैरवी की है, जिसके कारण उनकी अलोचना भी हुई। इंदिरा गांधी-राजीव गांधी के हत्यारों की ओर से पैरवी, हवाला कांड में आडवाणी की ओर से पैरवी करने, हर्षद मेहता केस में हर्षद मेहता की ओर से पैरवी करने के कारण वह चर्चा में रह चुके हैं। तमाम रईसों की ओर से बड़े-बड़े केस लड़ने वाले राम जेठमलानी को जनता कानूनी शख्सियत के तौर पर जानती है। वह मूल तौर पर फांसी की सजा पाए अभियुक्तों की ओर से पैरवी करने के लिए मशहूर हैं।
राम जेठमलानी ने 18 साल के उम्र में ही कानून की डिग्री को हासिल कर लिया और प्रैक्टिस करने लगे। आजादी के बाद वे पाकिस्तान को छोड़कर अपने परिवार के साथ मुबंई शिफ्ट कर गए। उन्होंने भारत में ही अपनी जिंदगी को नई दिशा दी और यहां के प्रख्यात वकील बन गए। राम जेठमलानी ने दो शादियां की हैं। जेठमलानी की पहली पत्नी रत्ना जेठमलानी है और दूसरी पत्नी का नाम दुर्गा है।
दूसरी पत्नी दुर्गा से जेठमलानी को दो पुत्र और दो पुत्रियां है। उनके एक पुत्र महेश जेठमलानी भी जाने-माने वकील है और उनका भी नाता बीजेपी से है। उनकी पुत्री रानी जेठमलानी भी जानकार वकील थीं, जिनकी कुछ ही माह पहले मत्यु हुई है।
राम जेठमलानी छठी और सातवीं लोकसभा का चुनाव भाजपा के टिकट पर मुंबई से लड़ा और एमपी भी बने। अटल बिहारी बाजपेयी के सरकार में उन्हें कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री भी बनाया गया। जेठमालनी ने भाजपा नेता अटल बिहारी बाजपेयी के खिलाफ भी लखनऊ से चुनाव लड़ा था। जिसके कारण उनकों पार्टी से निलंबित कर दिया गया। निलंबन के बाद वे वे फिर भाजपा में आए और उन्हें राजस्थान से राज्यसभा का सदस्य बनाया गया।
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ बगावत का झंडा सबसे पहले जेठमलानी और उनके पुत्र महेश जेठमलानी ने ही उठाया था, जिसके कारण गडकरी दुबारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाएं। जेठमलानी अपने हरकतों से भाजपा को भी असहज कर देते है। जिसके कारण वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं।
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