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‘सखी’ से लेकर ‘सुविधा’ तक, दायरा बढ़ा रहीं पैडवूमेन

स्वास्थ्य के साथ ही महिलाओं को आर्थिक मजबूती देने का जरिया बना पैड, चंबल की तीन हजार महिलाओं ने उतारा ब्रांड सुविधा, जम्मू-कश्मीर की पहली सैनेटरी निर्माण इकाई है सखी

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 08:46 AM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 09:14 AM (IST)
‘सखी’ से लेकर ‘सुविधा’ तक, दायरा बढ़ा रहीं पैडवूमेन
‘सखी’ से लेकर ‘सुविधा’ तक, दायरा बढ़ा रहीं पैडवूमेन

[जागरण स्पेशल]। चंबल की करीब तीन हजार महिलाओं ने स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए एक दूसरे का हाथ थामा है। सैनेटरी पैड के अभाव में स्वास्थ्यगत समस्याओं का सामना करने वाली गरीब महिलाओं के लिए ये सभी महिलाएं मिलकर सुविधा नामक किफायती सैनेटरी पैड तैयार कर रही हैं। उधर, कठुआ में भी कुछ महिलाओं ने मिलकर जम्मू-कश्मीर की पहली सैनेटरी पैड यूनिट शुरू की है, नाम रखा है सखी।

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सैनेटरी पैड को लेकर अब देश में स्वस्थ माहौल बनते दिख रहा है। इसे लेकर न केवल चुप्पी टूटी है बल्कि परिवार-समाज और महिलाओं की सोच में आए बदलाव को देखा जा सकता है। सैनेटरी पैड न केवल ग्रामीण व गरीब महिलाओं को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान कर रहा है बल्कि यह इनके आर्थिक सशक्तीकरण का भी जरिया बन रहा है।

देश में अलग-अलग जगहों पर महिला समूहों द्वारा सैनेटरी पैड निर्माण का काम बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है। समूहों द्वारा न केवल किफायती पैड तैयार किए जा रहे हैं, बल्कि अपने-अपने ब्रांड की मार्केटिंग भी खुद की जा रही है। इससे कस्बा और गांव स्तर पर इसे लेकर जागरूकता भी तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय उत्पादन के कारण किफायती दामों में महिलाओं को पैड उपलब्ध हो रहे हैं।

चंबल में इस महिला समूह ने सुविधा सैनेटरी पैड नाम से अपना ब्रांड उतारा है। अपने इस उत्पाद को तैयार करने से लेकर इसकी मार्केटिंग भी ये महिलाएं खुद ही कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली जो महिलाएं महंगे पैड नहीं खरीद सकतीं उनके लिए सुविधा पैड वरदान बन गए हैं। इसी के साथ चंबल अंचल रूढ़िवादी सोच से उबर रहा है।

यहां की जो महिलाएं घूंघट तक सरकाना गंवारा नहीं करतीं वे अब पैड बना रही हैं और इससे दूसरी महिलाओं को फायदा पहुंचा रही हैं। इस समूह को मां शीतला जनहितकारी महिला मंडल नाम दिया गया है। समूह में 12 से 20 महिलाओं के 200 उप समूह हैं, जिनकी अपनी-अपनी जिम्मेदारी है। इस समूह की शुरुआत डेढ़ साल पहले 25 महिलाओं से हुई थी। एक महीने के भीतर ही 25 महिलाओं ने तीन हजार महिलाओं का पूरा नेटवर्क तैयार कर

लिया था।

सभी महिलाओं ने 100-100 रुपए एकत्रित किए। करीब तीन लाख रुपए एकत्रित होने के बाद इन महिलाओं ने अपने ब्रांड की शुरुआत की। इसके लिए अभी तक कोई सरकारी सहायता भी नहीं ली है। ये बात अलग है कि अब जिला प्रशासन इस सस्ते और गुणवत्ता युक्त सैनेटरी पैड को गांव-गांव उपलब्ध करवाने को तैयार हुआ है। अब समूह की हर महिला रोजाना 200 रुपए तक की आय प्राप्त कर रही है।

उधर, जम्मू संभाग के सांबा जिले के नारन गांव की महिलाएं राज्य की पहली सेनेटरी पैड बनाने वाली यूनिट की संस्थापक बन गई हैं। घगवाल ब्लॉक के समूह ‘उम्मीद’ की क्लस्टर कोआर्डिनेटर अर्चना कुमार बताती हैं, चार साल पहले हमने विभिन्न गांवों की दर्जन भर महिलाओं के साथ स्वयं सहायता समूह बनाया। आज ऐसे 92 समूह हैं। प्रत्येक समूह में न्यूनतम 10 महिलाएं हैं। इनके लिए सदस्यता शुल्क 100 रुपये है।

अकेले घगवाल ब्लॉक के उम्मीद समूह से ही पांच हजार महिलाएं जुड़ चुकी हैं। रोजाना 400 की दर से अब तक उनके स्टॉक में आठ हजार पैड तैयार हो चुके हैं। खास बात यह कि जितना स्टॉक तैयार है उससे ज्यादा की मांग स्थानीय बाजार से ही आ रही है।

[मुरैना से शिवप्रताप सिंह और कठुआ से राकेश शर्मा] 


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