मिलिए तीन चेहरों वाले दुनिया के एकलौते शख्स से!
फ्रांस के जेरोमी हैमोन जो तीन चेहरों वाले दुनिया के पहले शख्स हैं। एक बीमारी के चलते उन्हें इस तकलीफ से गुजरना पड़ा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। एक छोटा सा ऑपरेशन भी बर्दाश्त करना लोगों के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि यह शख्स कितने दर्द से गुजरा है। न सिर्फ इसके चेहरे का दो बार प्रत्यारोपण हुआ है, बल्कि दोनों बार उसे अपनी पुरानी पहचान भूलकर नई पहचान को स्वीकार करना पड़ा है।
यह है फ्रांस के जेरोमी हैमोन जो तीन चेहरों वाले दुनिया के पहले शख्स हैं। एक बीमारी के चलते उन्हें इस तकलीफ से गुजरना पड़ा। तीन महीने पहले पेरिस में चेहरे के दूसरे प्रत्यारोपण के बाद वह धीरे-धीरे सामान्य जीवन की तरफ लौट रहे है।
गंभीर बीमारी
जेरोमी न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप-1 नामक जेनेटिक विकार से ग्रस्त हैं। इसमें जेनेटिक बदलावों के चलते त्वचा का रंग बदल जाता है। त्वचा, मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों में तंत्रिकाओं के आस-पास ट्यूमर बढ़ने लगता है। चेहरा बिगड़ने लगता है।
पहला प्रत्यारोपण
इस बीमारी के कारण जब पहली बार जेरोमी के चेहरे का हुलिया बिगड़ा तो उन्होंने 2010 में पेरिस के एक अस्पताल में पूरे चेहरे का प्रत्यारोपण कराया। इसमें आंसू ग्रंथि और पलकें तक बदली गईं। यह दुनिया का पहला मामला था जिसमें पूरे चेहरे का प्रत्यारोपण किया गया था। यह ऑपरेशन सफल रहा।
एंटीबायोटिक ने किया बेहाल
ऑपरेशन के कुछ समय बाद ही उन्हें मामूली जुकाम हुआ। इसे ठीक करने के लिए उन्होंने एंटीबायोटिक दवा खाई। बदकिस्मती से यह एंटीबायोटिक उनके ट्रीटमेंट में शामिल दवाओं के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाया। इसके चलते 2016 में उनके शरीर में प्रत्यारोपित चेहरे के प्रति अस्वीकृति के लक्षण उभरने लगे। उनका चेहरा फिर से बिगड़ने लगा।
दो महीने बिना चेहरे के गुजारे
पिछले साल नवंबर में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके चेहरे को नेक्रोसिस ने अपने शिकंजे में ले लिया। इस अवस्था में किसी अंग या ऊतक के अंदर मौजूद कोशिकाएं मृत हो जाती हैं। ऐसा किसी बीमारी, चोट या खून के प्रवाह अवरुद्ध होने से हो सकता है।
नेक्रोसिस के चलते उनका चेहरा हटा दिया गया। अब इंतजार था उपयुक्त डोनर मिलने का, जिसका चेहरा जेरोमी को प्रत्यारोपित किया जा सके। इस इंतजार में जेरोमी ने अस्पताल में दो महीने गुजारे।
फिर मिली नई पहचान
आखिरकार जेरोमी को डोनर मिला। पेरिस से कई किमी दूर दुघर्टना में मारे गए एक 22 वर्षीय युवक का चेहरा पेरिस के जॉर्जेस पॉम्पिडोउ अस्पताल लाया गया। इस बार चेहरा विकृत न हो इसके लिए जेरोमी को तीन महीने तक विशेष ब्लड ट्रीटमेंट दिया गया। इसके बाद उन्हें दूसरी बार चेहरा प्रत्यारोपित किया गया। यह चेहरा जेरोमी का तीसरी चेहरा है, जिसे उन्होंने अपना लिया है। इसे पाकर वह खुश हैं और खुद को बीस वर्ष छोटा कहते हैं।
हिम्मत की मिसाल
अस्पताल में मौजूद हर एक शख्स जेरोमी के जज्बे और हिम्मत की मिसाल देता है। अस्पताल के कार्यकर्ताओं के मुताबिक इस गंभीर स्थिति में भी जेरोमी ने संयम बनाए रखा। चेहरे के लिए इंतजार करते समय उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। बल्कि वे खुशमिजाज बने रहे। उनके अंदर गजब की इच्छाशक्ति है जिसने उन्हें मजबूत बनाए रखा।
2005 में हुआ पहला चेहरा प्रत्यारोपण
अब तक दुनिया में 40 बार चेहरे का प्रत्यारोपण किया गया है। फ्रांस में 2005 में पहली बार इसाबेले डिनोइर का चेहरा प्रत्यारोपित किया गया था। तुर्की, फ्रांस, अमेरिका और स्पेन चेहरे के प्रत्यारोपण से जुड़ी शोध के मामले में अग्रणी देश हैं।