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फ्रॉड नीरव मोदी ने की बकाया धनराशि लौटाने की गोलमोल पेशकश: पीएनबी

पंजाब नेशनल बैंक ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि बैंक के साथ धोखाधड़ी करने वाले अरबपति ज्वैलर नीरव मोदी ने धनराशि लौटाने की पेशकश की है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 15 Feb 2018 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2018 09:52 PM (IST)
फ्रॉड नीरव मोदी ने की बकाया धनराशि लौटाने की गोलमोल पेशकश: पीएनबी
फ्रॉड नीरव मोदी ने की बकाया धनराशि लौटाने की गोलमोल पेशकश: पीएनबी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड का शिकार हुए पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि बैंक के साथ धोखाधड़ी करने वाले अरबपति ज्वैलर नीरव मोदी ने धनराशि लौटाने की पेशकश की है। हालांकि उन्होंने इस संबंध में कोई ठोस प्रस्ताव बैंक के समक्ष नहीं रखा है। उधर रिजर्व बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि इस घोटाले में फंसी राशि का बोझ पीएनबी से खुद उठाने को कहा है। 

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पीएनबी में 11,400 करोड़ रुपये के फ्रॉड का मामला सामने आने के बाद पूरे घटनाक्रम पर सफाई देने के लिए मीडिया से मुखातिब, हुए पीएनबी के प्रबंध निदेशक सुनील मेहता ने इस कांड का भंडाफोड़ करने के लिए अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यह मामला 2011 का है और इसे बैंक ने पकड़कर जांच एजेंसियों के पास मामला दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि बैंक इस मामले में अब तक 10 अधिकारियों को निलंबित कर चुका है। उन्होंने कहा कि पीएनबी ने खुद इस मामले की जानकारी सेबी को भी दी।

मेहता ने कहा कि इस घोटाले के प्रमुख कर्ता-धर्ता उद्योगपति नीरव मोदी ने उनसे संपर्क कर बकाया राशि को लौटाने की पेशकश की है। मोदी से यह कहा गया है कि पैसे लौटाने के प्रस्ताव को आधिकारिक तौर पर भेजे तभी उस पर विचार किया जाएगा। मेहता ने कहा कि पीएनबी प्रबंधन की मंशा पर कोई शक नहीं करे क्योंकि हम हर तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ हैं। यही वजह है कि जैसे ही यह मामला संज्ञान में आया इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई। बैंक ने स्वयं ही इस धोखाधड़ी को पकड़ा है जो वर्ष 2011 से ही चला आ रहा था। यह मामला जनवरी में ही पकड़ा गया और 29 जनवरी, 2018 को इसकी जांच सीबीआइ से करवाने का अनुरोध किया गया। साथ ही जो कर्मचारी इसे अंजाम दे रहे थे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। अगर जरुरी हुआ तो फोरेंसिक जांच भी करवाई जाएगी। साथ ही अन्य बैंकों को भी इस मामले के बारे में सतर्क किया गया है। बैंक के पास इस संकट से उबरने की क्षमता है।

इस बीच मामले की गंभीरता को देखते हुए आरबीआइ भी पूरे हालात की लगातार निगरानी कर रहा है। इस बारे में आरबीआइ ने पीएनबी के साथ ही दूसरे अन्य सभी बैंकों से बात की है। दूसरे सभी बैंकों ने सारी जिम्मेदारी पीएनबी पर ही डाली है कि उसकी तरफ से जारी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) को सही मानते हुए नियमों के मुताबिक, संबंधित उद्योगपतियों की कंपनियों को फंड उपलब्ध कराये जा रहे थे। ऐसे में घाटे की पूरी तरह से पीएनबी को उठाना चाहिए। आरबीआइ के सूत्रों का कहना है कि पीएनबी पर सख्ती दिखा कर देश के सभी बैंकों के सामने एक उदाहरण पेश करने की जरूरत है। अगर यह मान भी लिया जाए कि दूसरे बैंक इसमें शामिल थे तब भी इसकी शुरुआत पीएनबी के उस शाखा से हो रही थी जहां से नीरव मोदी व अन्य रत्‍‌न व आभूषण कारोबारियों को नियमों की अनदेखी करके हीरे-मोती आयात करने के लिए लेटर आफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किये जा रहे थे। इसलिए यह घाटा पीएनबी को ही उठाना चाहिए। घोटाले की राशि 11,400 करोड़ रुपये की है जो पीएनबी के पूरे बाजार पूंजीकरण का तकरीबन एक तिहाई है।

कैसे उठाएगा पीएनबी यह बोझ
सवाल यह भी उठ रहा है कि पीएनबी एक झटके में इस राशि को किस तरह से उठाएगा। पीएनबी को इस राशि को इसी तिमाही में अपनी बैलेंस शीट में दिखाना होगा। इस बारे में पीएनबी, वित्त मंत्रालय और आरबीआइ के बीच विचार विमर्श शुरु हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक एक सीधा उपाय यह है कि फिलहाल सरकार की तरफ से पीएनबी को दी जाने वाली पूंजीकरण की राशि को बढ़ा दी जाए। दूसरा रास्ता यह है कि केंद्रीय बैंक की तरफ से पीएनबी के लिए विशेष उपाय किये जाए। इस बारे में हफ्ते भर में निर्णय होने के आसार हैं। 


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