महाशिवरात्रि पर महाकाल दर्शन के लिए पहली बार चार किमी लंबी कतार, 2 लाख भक्तों ने किए दर्शन
शासकीय पूजन के लिए भेंट किए 11 हजार रुपए मप्र शासन की ओर से महाशिवरात्रि पर नई परंपरा की शुरुआत हुई।
उज्जैन, राज्य ब्यूरो। ज्योतिर्लिग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर आस्था का सैलाब उमड़ा। करीब 2 लाख भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए।
ज्योतिर्लिग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर आस्था का सैलाब उमड़ा
सुबह के समय पहली बार दर्शनार्थियों की कतार चार किलोमीटर लंबी थी। हरसिद्धि चौराहा, चौबीस खंभा, गुदरी चौराहा, गोपाल मंदिर होते हुए भक्तों की कतार छत्रीचौक तक पहुंच गई। सुबह के समय भक्तों को दर्शन में करीब 5 घंटे का समय लगा।
सुबह 6.30 बजे से मंदिर आम दर्शन के लिए खुला
गुरुवार रात 2.30 बजे मंदिर के पट खुले। इसके बाद पुजारियों ने भस्मारती की। सुबह 6.30 बजे से आम दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ। दोपहर 12 बजे तहसील की ओर से भगवान की शासकीय पूजा हुई।
शाम 4 बजे सिंधिया व होलकर राजवंश की ओर से पूजन किया गया
शाम 4 बजे सिंधिया व होलकर राजवंश की ओर से पूजन किया गया। मध्यरात्रि 11 बजे से महानिशाकाल की पूजा शुरू हुई, जो रात्रिपर्यत चलती रही।
आज होगा नौ दिवसीय शिवनवरात्रि उत्सव का समापन
शनिवार तड़के भगवान के शीश सवामन फूल व फलों से बना सेहरा सजाया जाएगा। दोपहर 12 बजे साल में एक बार दिन में होने वाली भस्मारती होगी। दोपहर 2.30 बजे मंदिर समिति प्रवचन हॉल में पुजारियों के लिए पारणे का आयोजन करेगी। उन्हें भोजन कराकर दक्षिणा भेंट की जाएगी। इसके साथ नौ दिवसीय शिवनवरात्रि उत्सव का समापन होगा।
मप्र शासन की ओर से महाशिवरात्रि पर नई परंपरा की शुरुआत
शासकीय पूजन के लिए भेंट किए 11 हजार रुपए मप्र शासन की ओर से महाशिवरात्रि पर नई परंपरा की शुरुआत हुई। प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने दोपहर 12 बजे पूजन सामग्री भेंट कर सरकारी पूजा की शुरुआत कराई। उन्होंने पूजन के लिए सरकार की ओर से 11 हजार रुपए की राशि भेंट की। हालांकि प्रदेश सरकार के निर्णय के अनुसार प्रभारी मंत्री ने गर्भगृह के बाहर से भगवान के दर्शन किए।
महाशिवरात्रि पर कश्मीर में बदलाव का शंखनाद
विश्व प्रसिद्ध डल झील के किनारे गोपाद्री पर्वत के शिखर पर स्थित शंकराचार्य मंदिर में पिछले तीस सालों में पहली बार उमड़ी भक्तों की भारी भीड़ ने कश्मीर में बदलाव का शंखनाद कर दिया है। इतने वर्षो में पहली बार इतनी अधिक संख्या में यहां पहुंचे भोले के भक्तों के चेहरे पर न तो खौफ था और न ही असुरक्षा का कोई भाव। मौका था महाशिवरात्रि का। सिर्फ शंकराचार्य मंदिर में ही नहीं, लालचौक से कुछ ही दूरी पर झेलम किनारे स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर और सूर्ययार स्थित पौराणिक काल के शिव मंदिर में भी भक्ति की ऐसी ही बयार बही।