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भारत ने सुपरसोनिक मिसाइल 'ब्रह्मोस' का किया सफल परीक्षण, जानें क्या है खासियत

भारत में निर्मित दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल 'ब्रह्मोस' का गुरुवार को राजस्थान के पोखरण में एक बार फिर सफल परीक्षण किया गया।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 03:52 PM (IST)
भारत ने सुपरसोनिक मिसाइल 'ब्रह्मोस' का किया सफल परीक्षण, जानें क्या है खासियत
भारत ने सुपरसोनिक मिसाइल 'ब्रह्मोस' का किया सफल परीक्षण, जानें क्या है खासियत

जयपुर (जेएनएन)। राजस्थान के पोखरण में गुरूवार सुबह 8:42 बजे ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल "ब्रह्मोस" का स्वदेशी सीकर के साथ सफल परीक्षण किया गया। यह सीकर डीआरडीओ और सेना द्वारा मिलकर विकसित किया गया है। यह दुनिया की सबसे तेज एंटी शिप मिसाइल है। मिसाइल के इस परीक्षण के दौरान पोकरण में डीआरडीओ के अधिकारियों के साथ सेना और ब्रह्मोस के अधिकारी भी मौजूद थे। इसके साथ ही पोखरण में बन गया एक और इतिहास। 

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परीक्षण के दौरान सटीक हमला करने में माहिर इस मिसाइल ने तय टार्गेट पर पिन पॉइंट निशाना लगाया । इससे पहले इस मिसाइल को पहली बार पिछले वर्ष नवंबर में फायटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से दागा गया था। भारत सरकार इस मिसाइल को सुखोई में लगाने के लिए काम शुरू कर चुकी है और अगले तीन सालों में कुल 40 सुखोई विमान ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हो जाएंगे। सुखोई में ब्रह्मोस फिट होने से क्षेत्र में एयरफोर्स की ताकत काफी बढ़ जाएग।

ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रेज मिसाइल है,यह 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 290 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। इसका निशाना अचूक है। यह कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण रड़ार की पकड़ में नही आ सकती है। इस मिसाइल को भारत और रूस के ज्वाइंट वेंचर के रूप में विकसित किया गया है। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मिसाइल के सफल परीक्षण पर ट्वीट करके डीआरडीओ और सेना को बधाई दी है।

क्या है इसकी खासियत

ब्रह्मोस की रफ़्तार 2.8 मैक (ध्वनि की रफ़्तार के बराबर) है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है। हाल में आई खबरों के मुताबिक ब्रह्मोस जैसी क्षमता वाली मिसाइल अभी तक चीन और पाकिस्‍तान ने विकसित नहीं की है।

ऐसे रखा गया मिसाइल का नाम 'ब्रह्मोस'

ब्रह्मोस भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है जिसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा को मिलाकर रखा गया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। यह मिसाइल भारत की अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीकी में अग्रणी देश बना दिया है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। गौरतलब है कि ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था। मौजूदा समय में यह थल व नौसेना की थाती तथा भारतीय वायु सेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बन चुका है। यह मिसाइल सबसे पहले 2005 में नौसेना को मिली थी। नौसेना के सभी डेस्ट्रॉयर और फ्रीगेट युद्धपोतों में ब्रह्मोस मिसाइल लगी हुई है।

इस तरह करता है दुश्मन पर वार

यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छिपे दुश्मनों के ठिकाने को भी निशाना बना सकती है। आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीकी से ऊर्जा प्राप्त करती है। इसको मार गिराना लगभग असंभव है। ब्रह्मोस ऐसी मिसाइल है जो दागे जाने के बाद रास्ता बदल सकने में भी सक्षम है। लक्ष्य तक पहुंचने के दौरान यदि टारगेट मार्ग बदल ले तो मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है। इसलिए इसे ‘दागो और भूल जाओ’ भी कहा जाता है। यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है इसलिए रडार की पकड़ से बाहर है।

अगले 10 साल में भारत बनाएगा 2000 ब्रह्मोस

मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर के करीब है। इससे पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। चीन इस मिसाइल को अस्थिरता पैदा करने वाले हथियार के तौर पर देखता है। भारत इस मिसाइल के जरिये दक्षिणी चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता की धार को भोथरा करने में कामयाब होगा। इसलिए कि कई देश इस मिसाइल को खरीदना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत अगले 10 साल में 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा।

हालांकि ब्रह्मोस के अलावा भी भारत के पास कई अन्य शक्तिशाली मिसाइलें हैं जिनकी ताकत का दुनिया लोहा मानती है।

-इनमें से एक अग्नि-1 मिसाइल है जिसका सफल परीक्षण 25 जनवरी, 2002 को किया गया। अग्नि-1 में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चित करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे। अग्नि-2 मिसाइल का परीक्षण जब 11 अप्रैल, 1999 को हुआ तो पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गई थी, क्योंकि इन दोनों देशों के कई बड़े शहर इसकी जद में आ गए थे। इसी तरह अग्नि-3, अग्नि-4 और अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर भारत अपनी ताकत का लोहा मनवा चुका है। भारत के पास सतह से सतह पर मार करने वाला सामरिक प्रक्षेपास्त्र शौर्य भी है जिसकी मारक क्षमता 750 से 1900 किलोमीटर है। यह भारत का पहला हाईपर सुपरसोनिक मिसाइल भी है।

-भारत के पास पृथ्वी मिसाइल भी है और यह मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा है।

-स्वदेशी मिसाइलों की श्रृंखला में भारत के पास नाग मिसाइल है जिसका सफल परीक्षण 1990 में किया गया।

-इसी तरह धनुष मिसाइल स्वदेशी तकनीकी से निर्मित पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का नौसैनिक संस्करण है। यह प्रक्षेपास्त्र परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता रखता है।

-भारत ने 1990 में आकाश मिसाइल का परीक्षण किया। जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल की तुलना अमेरिका के पेटियॉट मिसाइल से की जाती है। इस मिसाइल की खूबी यह है कि यह एक समय में आठ भिन्न लक्ष्य पर निशाना साध सकती है। अब ब्रह्मोस मिसाइल दागकर भारत ने अपनी सभी मिसाइलों की मारक क्षमता को और धारदार बना दिया है। भारत के पास मिसाइलों का यह असाधारण बेड़ा भारत की महान सैन्य शक्ति को ही निरूपित करता है।


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