Move to Jagran APP

कोरोना लॉकडाउन के दौरान घरों में रह रहे लोगों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दिया माइक्रोग्रीन मंत्र

विटामिन पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के खजाने के रूप मे जाना जाता है। माइक्रोग्रीन्स को सुपर फूड की श्रेणी में भी रखा जाता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 06:23 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:23 PM (IST)
कोरोना लॉकडाउन के दौरान घरों में रह रहे लोगों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दिया माइक्रोग्रीन मंत्र
कोरोना लॉकडाउन के दौरान घरों में रह रहे लोगों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दिया माइक्रोग्रीन मंत्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना के लॉकडाउन में ही घरों में रह रहे लोगों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने माइक्रोग्रीन्स का मंत्र दिया है। घरों में एक सप्ताह से दो सप्ताह के सीमित समय में ही पोषक तत्वों से भरपूर विभिन्न फसलों की माइक्रोग्रीन्स खेती की जा सकती है। गांव या शहरी घरों के सीमित जगह में इसकी सफल खेती की जा सकती है। माइक्रोग्रीन्स शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद उपयोगी है।

loksabha election banner

बच्चों के लिए सीखने का एक रोचक खेल

इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च के उपमहानिदेशक डॉक्टर एके सिंह ने बताया कि माइक्रोग्रीन्स उगाना आसान है। इन्हें लगाने से काटने तक एक से दो सप्ताह का समय चाहिए। इसे लॉकडाउन की अवधि में कर सकते हैं। इन्हें स्वयं उगाना रोमांचक और खासकर बच्चों के लिए सीखने के अतिरिक्त एक रोचक खेल भी है। इन्हें उगाना मजेदार और कम मेहनत का काम है। थोड़े दिन के अंतराल पर इन्हें कई बार कई बार उगाया जा सकता है।

किचन में पूरे साल माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है

दिलचस्प बात यह है कि किचन में पूरे साल माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है। बशर्ते सूर्य की रोशनी मिलती हो। विटामिन, पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के खजाने के रूप मे जाना जाता है। माइक्रोग्रीन्स को सुपर फूड की श्रेणी में भी रखा जाता है।

तने, पत्तियों एवं बीज-पत्र का उपयोग किया जाता है, जड़ों का नहीं

भारतीय परिवेश में चना, मूंग व मसूर को अंकुरित करके खाना आम है। इसमें माइक्रोग्रीन्स इनसे थोड़ा सा अलग है। अंकुरित बीजों या स्प्राउट्स में हम जड़, तना एवं बीज-पत्र को खाने में प्रयोग में लाते हैं। लेकिन माइक्रोग्रीन्स में तने, पत्तियों एवं बीज-पत्र का उपयोग किया जाता है। जड़ों को नहीं खाते हैं। आमतौर पर माइक्रोग्रीन्स को मिट्टी या उससे मिलते जुलते मीडिया पर उगाया जाता है।

माइक्रोग्रीन्स उगा कर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है

सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रापिकल हार्टिकल्चर के डायरेक्टर डॉक्टर शैलेंद्र राजन ने बताया कि इसमें मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीज का उपयोग किया जा सकता है, जो आसानी से जल्दी ही तैयार हो जाएगी। घर में उपलब्ध मेथी, मटर, मसूर दाल, मसूर, मूंग, चने की दाल को स्प्राउट्स के जगह माइक्रोग्रीन्स से रूप में उगा कर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।

कैंची से काटकर उसका उपयोग खाने में किया जा सकता है

माइक्रोग्रीन्स के लिए 3 से 4 इंच मिट्टी की परत वाले किसी भी डिब्बे अथवा ट्रे को लिया जा सकता है। मिट्टी की सतह पर बीज को फैलाकर उस पर मिट्टी की एक पतली परत डाल कर नमी के लिए उस पर थोड़ा पानी डाल देते हैं। दो तीन दिन के भीतर बीज अंकुरित हो जाते हैं। इन्हें थोड़ी धूप वाली जगह में रखकर उन पर दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव किया जाता है। एक सप्ताह में यह काटने लायक हो जाता है, जिसे कैंची से काटकर उसका उपयोग खाने में किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.