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आजादी के बाद पहली बार सैन्य अभ्यास में एक साथ भारत-पाक

आजादी के बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब भारत और पाकिस्तान की सेनाएं मिलकर सैन्य अभ्यास करेंगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 09:08 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 12:09 AM (IST)
आजादी के बाद पहली बार सैन्य अभ्यास में एक साथ भारत-पाक
आजादी के बाद पहली बार सैन्य अभ्यास में एक साथ भारत-पाक

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूसी शहर चेल्याबिंस्क में बुधवार से शुरु होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत बहुराष्ट्रीय देशों का संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए भारत और पाकिस्तान की सेनाएं रुस पहुंच चुकी है। आजादी के बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब भारत और पाकिस्तान की सेनाएं मिलकर सैन्य अभ्यास करेंगी। 

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पीस मिशन-2018

भारत और पाकिस्तान की सेनाएं 22 से 29 अगस्त के बीच एससीओ के झंडे तले आतंकवाद विरोधी साझा सैनिक अभ्यास में भाग ले रहे है। पीस मिशन-2018 के नाम से ज्ञात इस अभ्यास में रूस, पाकिस्तान, चीन, भारत, किर्गिजिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकस्तान के तीन हजार से अधिक सैनिक भाग ले रहे है। एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद दोनों ही देश ताशकंद के रिजनल एंटी टेररिज्म स्ट्रकचर (आरएटीएस) का हिस्सा है, जिसके तहत यह अभ्यास कराया जाता है।

अविश्वास की बड़ी खाई

इस सैन्य अभ्यास से पहले सभी के मन में एक ही सवाल है कि भारत और पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में कैसे एक दूसरे का सहयोग करेंगे। दोनों ही देशों के बीच अविश्वास की बड़ी खाई है, और दोनो ही कई मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ है। हालांकि, एससीओ के तहत सीमित आतंकवाद विरोधी सहयोग संभव है। लेकिन, दोनों देश द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास की जगह बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास को चुन सकते हैं।

गौरतलब है कि भारत की ओर से इस अभ्यास में भारतीय थलसेना की 5-राजपूत रेजिमेंट के सैनिकों को भेजा गया है। भारतीय सैन्य टुकड़ी में थलसेना के 167 जवान और वायुसेना के 33 जवान भाग ले रहे है।

आतंकवाद के खिलाफ रुपरेखा

बता दें कि आतंकवाद के खिलाफ इस साझा सैन्य अभ्यास की रूपरेखा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)ने तैयार की है। एससीओ चीन के प्रभाव वाली एक सुरक्षा संस्था है। सुरक्षा समूह की इस संस्था पर चीन का प्रभुत्व है जिसे अब नाटो की बराबरी कर सकने वाली संस्था के तौर पर देखा जा रहा है।

सुत्रों के मुताबिक यह सैन्य युद्धाभ्यास रूस के उरल पहाड़ों पर आयोजित किया गया है, इस संयुक्त अभ्यास का मकसद शांति की स्थापना करना और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए संगठन के 8 देशों के बीच एक-दूसरे का सहयोग करना है। बताते चले कि भारत और पाकिस्तान दोनों देश साल 2005 में इस संगठन के अस्थायी सदस्य बने थे और उन्हें पूर्णकालिक सदस्यता पिछले साल ही मिली है।

साल में दो बार होता है अायोजन

इस साझा अभ्यास में भाग लेने वाली भारतीय सैन्य टुकड़ी की अगुवाई ब्रिगेडियर रैंक के अफसर करेंगे। एससीओ का साझा सैन्य अभ्यास साल में दो बार आयोजित होता है। इस संगठन के दो अन्य भागीदार देश भारत और चीन के सैनिक पहले भी साझा अभ्यास करते रहे हैं। इस साल सितम्बर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच द्विपक्षीय अभ्यास सितम्बर में करने की योजना भी है,जो बीते साल डोकलाम में तनाव की वजह से रद्द कर दिया गया था।


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