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अस्पताल से छुट्टी ले पहुंचे फर्ज निभाने

तेज बुखार और अस्पताल में भर्ती होना भी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के असिस्टेंट कमांडेंट जगमोहन को बचाव कार्य में जुटे अपने जवानों के साथ शामिल होने से नहीं रोक पाया। वह तेज बुखार में ही चमोली से मोटरसाइकिल उठाकर अपना फर्ज निभाने यूनिट पहुंच गए। वहीं, उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ से पैदा ह

By Edited By: Published: Tue, 25 Jun 2013 02:06 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2013 06:13 AM (IST)
अस्पताल से छुट्टी ले पहुंचे फर्ज निभाने

गौचर। तेज बुखार और अस्पताल में भर्ती होना भी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के असिस्टेंट कमांडेंट जगमोहन को बचाव कार्य में जुटे अपने जवानों के साथ शामिल होने से नहीं रोक पाया। वह तेज बुखार में ही चमोली से मोटरसाइकिल उठाकर अपना फर्ज निभाने यूनिट पहुंच गए। वहीं, उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ से पैदा हुए हालात पर काबू पाने में दिन-रात जुटे आइटीबीपी के जवानों का कहना है कि यह उनके घर का काम है, ड्यूटी का नहीं।

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जगमोहन ने बताया कि उन्होंने तीन बार अपने कमांडिंग अफसर से ड्यूटी पर लौटने की इजाजत मांगी, लेकिन उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें मंजूरी नहीं दी गई। इसके बाद उन्होंने चमोली से एक मोटरसाइकिल उठाई और राहत व बचाव कार्य में जुटे अपने दल से जा मिले। कुमाऊं क्षेत्र के एक जवान ने कहा कि आपदा में फंसे लोगों को निकालकर हम अपना ही काम कर रहे हैं। उनके अलावा कई अन्य जवानों ने हालात के मद्देनजर छुट्टियों पर जाने से इन्कार कर दिया।

8वीं आइटीबीपी बटालियन के कमांडिंग अफसर (सीओ) जीएस चौहान ने बताया, 'कई छुट्टी पर नहीं गए, तो कई जो छुट्टियों पर थे, खबर मिलते ही तत्काल वापस आ गए। हम उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं, क्योंकि हमारे बल में उत्तराखंड के युवा बड़ी तादाद में हैं। राहत व बचाव कार्य में लगे जवानों में 30 फीसद इसी क्षेत्र में जन्मे हैं और यहीं पले-बढ़े हैं। कई बार मुझे उनको काम करने से रोकना पड़ रहा है, ताकि वे आराम कर तैयार हो सकें।'

पौड़ी के आइटीबीपी जवान छेत लाल पूछते हैं कि मुझे क्यों थकना चाहिए। मुझे खुशी है कि मैं जरूरतमंदो को मदद पहुंचाने वालों में शामिल हूं। सीओ चौहान ने कहा कि अब मैंने अपने जवानों से लड़ना बंद कर दिया है, क्योंकि वे बचाव कार्य के लिए छुट्टी लेने को तैयार ही नहीं हैं। जवान कहते हैं, 'साहब छुट्टी लिखित में ले लो पर मुझे यहीं रखो।' इस समय आइटीबीपी के करीब 1,000 जवान राहत व बचाव कार्यो में लगे हैं।

'हम प्राकृतिक आपदा को तो नहीं रोक सकते, लेकिन त्रासदी के बाद 24 घंटे राहत व बचाव कार्य चलाया जा रहा है। जवान कठिन हालातों में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उनके प्रयासों को कमतर आंकने की जरूरत नहीं है।' -पी. चिदंबरम, वित्त मंत्री

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