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घर बैठे पर्यवेक्षक कर रहे खाद्यान्न का सत्यापन

केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम लाकर हर गरीब का पेट भरने का सपना संजो रही है, लेकिन सरकारी कारिंदे इसे पलीता लगा रहे हैं। अव्यवस्था का गढ़ बनी राशन वितरण प्रणाली हर स्तर पर घपले और घोटालों का शिकार हो रही है। वितरण में पारदर्शिता के लिहाज से जिन कारिंदों को जिम्मेदारी दी

By Edited By: Published: Sun, 24 Aug 2014 10:16 AM (IST)Updated: Sun, 24 Aug 2014 11:12 AM (IST)
घर बैठे पर्यवेक्षक कर रहे खाद्यान्न का सत्यापन

मेरठ, [संकल्प रघुवंशी]। केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम लाकर हर गरीब का पेट भरने का सपना संजो रही है, लेकिन सरकारी कारिंदे इसे पलीता लगा रहे हैं। अव्यवस्था का गढ़ बनी राशन वितरण प्रणाली हर स्तर पर घपले और घोटालों का शिकार हो रही है। वितरण में पारदर्शिता के लिहाज से जिन कारिंदों को जिम्मेदारी दी गई है, वह घर बैठे राशन वितरण का सत्यापन कर रहे हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर कोटा जारी हो रहा है।

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राशन व्यवस्था भ्रष्टाचार के गर्त में डूबती जा रही है। शासनादेश के मुताबिक पर्यवेक्षक गोदाम से राशन के उठान का सत्यापन से लेकर राशन वितरण अपनी मौजूदगी में कराएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। पर्यवेक्षक की सत्यापन रिपोर्ट जिस फार्म पर लगाई जाती है उसे राशन डीलर अपनी मर्जी से भरते हैं और पर्यवेक्षक घर बैठकर हस्ताक्षर व मुहर लगाकर अपने राशन वितरण की फर्जी रिपोर्ट लगा देते हैं। संयुक्त आयुक्त (खाद्य) की जांच में यह खुलासा हुआ है।

विभाग बना अनजान

सत्यापन की रिपोर्ट को लेकर जिला पूर्ति विभाग खाली हाथ है। कब-कब किस पर्यवेक्षक ने रिपोर्ट सौंपी, इसकी जानकारी तक नहीं है। वितरक दबे सुर में बता रहे हैं कि महज एक हजार रुपये में खाद्यान्न का घर बैठे सत्यापन पर्यवेक्षक करते हैं। साबुन गोदाम स्थित एफसीआइ गोदाम के एक अफसर के अनुसार सत्यापन की रिपोर्ट नहीं लाते वह जब पैसा जमा करने आते हैं तब रिपोर्ट लेकर आते हैं। ऐसे में बिना पिछले महीने की सत्यापन रिपोर्ट देखे ही अगले महीने का कोटा रिलीज किया जा रहा है।

डीलर के नपने पर खुली पोल

बीते दिनों संयुक्त आयुक्त खाद्य ने शिकायत पर परीक्षितगढ़ में निरीक्षण किया था। तब दिनेश कुमार अखिलेश कुमार उचित दर विक्रेता के यहां खामियां मिलीं। स्टॉक रजिस्टर में मिट्टी तेल व खाद्यान्न का सक्षम अधिकारी की ओर से सत्यापन हुआ ही नहीं था। डीसी ओर की अन्य दुकानों के बारे में जानकारी ली गई तो मामला खुला। बहरहाल डीएसओ ने दुकान को निलंबित कर दिया।

यह है पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी

* निगम कर्मियों को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जो हर महीने प्रारंभिक सप्ताह में राशन कोटे का सत्यापन करेंगे।

* अपने सामने राशन का वितरण कराएं।

* कितना वितरण हुआ, कितना स्टॉक है, इसका सत्यापन करें।

* अगले दिन फिर वतरण का सत्यापन।

* सत्यापन की रिपोर्ट सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता पूर्ति निरीक्षकों को सौंपें।

* पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर ही अगले महीने राशन कोटे का उठान हो।

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