प्राकृतिक गैस और खाद्यान्नों को GST के दायरे में लाने की तैयारी, जानिए- क्या पड़ेगा प्रभाव
जीएसटी से मिलने वाले रेवेन्यू के लगातार एक लाख करोड़ रुपये से नीचे रहने के बाद अब सरकार इसका दायरा बढ़ाने पर विचार करने लगी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जीएसटी से मिलने वाले रेवेन्यू के लगातार एक लाख करोड़ रुपये से नीचे रहने के बाद अब सरकार इसका दायरा बढ़ाने पर विचार करने लगी है। इसकी शुरुआत प्राकृतिक गैस और एटीएफ से हो सकती है। इसके अतिरिक्त खाद्यान्नों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की संभावनाओं पर विचार विमर्श का दौर शुरू हो गया है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी को अगले चरण में ले जाने की तैयारियों के बीच सरकर जहां एक तरफ दरों की संख्या को सीमित करने पर विचार कर रही है, वहीं कुछ ऐसे उत्पादों को शामिल करने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं, जिनसे सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू में कुछ वृद्धि हो सके। इसके तहत पांच पेट्रोलियम उत्पादों में से गैस और एटीएफ को सर्वाधिक संभावित लक्ष्य माना जा रहा है। हालांकि, इसका फैसला जीएसटी काउंसिल की बैठक में ही होगा। सूत्र बताते हैं कि बहुत संभव है कि इन दोनों उत्पादों पर काउंसिल में सहमति बन जाएगी।
इन्हीं संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने अगले दौर की बातचीत की तैयारी शुरू कर दी है। पेट्रोलियम मंत्रालय पहले ही इन दोनों उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव रख चुका है। जीएसटी की शुरुआत के वक्त सरकार ने पांचों पेट्रोलियम उत्पादों- पेट्रोल, डीजल, गैस, एटीएफ और कच्चे तेल को बाहर रखा था।
इसके अतिरिक्त सरकार खाद्यान्नों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना तलाशने में जुट गई है। राजस्व वृद्धि पर अधिकारियों की समिति ने इस तरह के उत्पादों पर विचार करना आरंभ कर दिया है। जीएसटी से पूर्व वैट के समय में खाद्यान्नों पर व्यापारियों को राज्यों में परचेज टैक्स अदा करना होता था, पर जीएसटी लागू होने के बाद परचेज टैक्स समाप्त हो गया। लेकिन अब अधिकारियों का समूह इस संभावना की तलाश कर रहा है कि क्या रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के जरिए इन उत्पादों पर जीएसटी लागू किया जा सकता है? ऐसा होने पर रजिस्टर्ड कंपनियां गैर पंजीकृत कारोबारियों के आधार पर जीएसटी का भुगतान कर सकती हैं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अभी यह केवल शुरुआती चर्चा में आया है। इस पर विस्तृत चर्चा होना बाकी है।
गौरतलब है कि जीएसटी लागू होने के बाद इस वर्ष केवल अप्रैल में रेवेन्यू की राशि एक लाख करोड़ को पार कर पायी है। सितंबर में यह 19 महीने के न्यूनतम 91916 करोड़ रुपये पर आ गई थी। इस स्थिति को देखते हुए सरकार जीएसटी का रेवेन्यू बढ़ाने के अलग अलग उपायों पर विचार कर रही है।