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प्रसाद की तरह बंटते हैं अर्जुन पुरस्कार: मिल्खा सिंह

सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का फैसला दो दिन में हो जाता है, लेकिन मेजर ध्यानचंद के नाम पर बरसों भी कोई फैसला नहीं हो पाता हैं। देश की खेल नीति पर यह सवाल फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने उठाया है। पद्मश्री मिल्खा सिंह ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रीय खेल नीति खासकर, पुरस्कारों के चयन पर पहले भी सवाल उठ

By Edited By: Published: Tue, 11 Mar 2014 07:32 AM (IST)Updated: Tue, 11 Mar 2014 07:52 AM (IST)
प्रसाद की तरह बंटते हैं अर्जुन पुरस्कार: मिल्खा सिंह

जालंधर। सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का फैसला दो दिन में हो जाता है, लेकिन मेजर ध्यानचंद के नाम पर बरसों भी कोई फैसला नहीं हो पाता हैं। देश की खेल नीति पर यह सवाल फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने उठाया है।

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पद्मश्री मिल्खा सिंह ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रीय खेल नीति खासकर, पुरस्कारों के चयन पर पहले भी सवाल उठाते रहे हैं और खुद भी अर्जुन पुरस्कार लेने से इन्कार कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अर्जुन पुरस्कार प्रसाद की तरह बांटे जा रहे हैं। जो मंत्रालय के चक्कर लगाता है, वही पुरस्कार पाता है।

फौजा सिंह का उदाहरण देते हुए मिल्खा सिंह ने कहा कि 100 साल से अधिक उम्र में सामान्य आदमी चल नहीं पाता और वह शख्स मैराथन में दौड़ता है। मिल्खा ने कहा कि यदि वह प्रधानमंत्री होते तो फौजा सिंह को सबसे पहले भारत रत्न से सम्मानित करते।

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