स्वामीनाथन फार्मूले से तय हो फसलों की कीमत: बादल
खेती को लाभकारी बनाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने स्वामीनाथन फार्मूले से फसल की कीमत निर्धारित करने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान बादल में राज्य में लंबित कई परियोजनाओं को त्वरित गति से लागू करने और पड़ोसी राज्यों की तर्ज
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खेती को लाभकारी बनाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने स्वामीनाथन फार्मूले से फसल की कीमत निर्धारित करने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान बादल में राज्य में लंबित कई परियोजनाओं को त्वरित गति से लागू करने और पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर पंजाब में भी उद्योगों को सहूलियत उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि गेंहू और धान की तर्ज पर भारतीय खाद्य निगम को मकई और सूरजमुखी की भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की जरूरत बताई।
प्रधानमंत्री से उनके निवास पर पहुंच प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि देश में खेती को लाभकारी बनाने के लिए फसलों के स्वामीनाथन फार्मूले से कीमत तय करना जरूरी है। इस फार्मूले में फसल की लागत पर 50 फीसद लाभ के साथ कीमत करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कृषि विविधीकरण की केंद्र सरकार की योजना पर भी चर्चा की। बादल का कहना था कि फिलहाल कृषि विविधीकरण में सिर्फ फसलों पर ध्यान केंद्रीत है। जबकि किसानों की खुशहाली के लिए इसमें डेयरी, मछली पालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन और फल-सब्जी उत्पादन को शामिल करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राज्य के कोआपरेटिव बैंकों के पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल 7000 करोड़ रुपये की सहायता की मांग की। नाबार्ड के माध्यम से इन बैंकों को यह सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
पंजाब में उद्योगों की बदहाली का लेखा-जोखा पेश करते हुए प्रकाश सिंह बादल ने जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में उद्योगों को मिल रही सुविधाएं यहां भी उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों में उद्योगों को मिल रही विशेष सुविधाओं के कारण पंजाब में कल-कारखाने बंद हो रहे हैं और इन राज्यों में स्थानांतरित हो रहे हैं। ऐसे में नए उद्योग शुरू होने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की कीमत पर पंजाब के उद्योगों के साथ ऐसा व्यवहार कहीं से उचित नहीं है।
बादल में प्रधानमंत्री से राज्य के विभिन्न नहर परियोजनाओं पर तत्काल काम शुरू करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि सतलुज कैनाल के निर्माण के लिए 918 करोड़ रुपये की योजना बन कर तैयार है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। इसी तरह उन्होंने अपर बारी दोआब कैनाल को पुननिर्माण के लिए तत्काल 1375 करोड़ रुपये की सहायता की मांग की। यह नहर 1889 में बनी थी और अब केवल 63 फीसद क्षमता से काम कर रहा है।