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Rising India: ‘पहाड़ी’ व्यंजनों के नए ज़ायक़ों से शुरू किया कारोबार का नया सफ़र

बेंगलुरु स्थित पांच सितारा होटल में शेफ रहे टीकाराम पंवार को भी लॉकडाउन के दौरान गांव का रुख करना पड़ा लेकिन उनका गांव लौट आना गांव के लोगों के लिए वरदान बन गया। आज वह स्थानीय पहाड़ी व्यंजनों को बेहतर पैकेजिंग कर दूर-दूर तक पहुंचा रहे हैं।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 06:00 AM (IST)
Rising India: ‘पहाड़ी’ व्यंजनों के नए ज़ायक़ों से शुरू किया कारोबार का नया सफ़र
अचार के लिए लिंगुड़ा की सफाई करते हुए टीकाराम पंवार (बायें से पहले) व परिवार के सदस्य।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। बेंगलुरु स्थित पांच सितारा होटल में शेफ रहे उत्तराखंड के ठांडी निवासी टीकाराम पंवार को भी लॉकडाउन के दौरान गांव का रुख करना पड़ा, लेकिन उनका गांव लौट आना गांव के लोगों के लिए वरदान बन गया। आज टीकाराम अपने हुनर से स्थानीय पहाड़ी व्यंजनों को आधुनिकता में ढाल बेहतर पैकेजिंग कर दूर-दूर तक पहुंचा रहे हैं। इससे स्थानीय किसानों, श्रमिकों और महिलाओं को तो रोजगार का साधन मिल ही गया है, लोकल ब्रांड ने स्थानीय स्तर पर नई आस जगाने का काम किया है। लिंगुड़े का अचार, पहाड़ी मसाले, मिक्स दाल व भुजेला की बड़ी, हर्बल-टी आदि की बिक्री गति पकड़ चुकी है। इसके लिए वे किसानों से इन व्यंजनों के अनुरूप अनाजों-मसालों का उत्पादन करा रहे हैं। 

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कोरोना महामारी के चलते भले ही टीकाराम पंवार को बेंगलुरु के पांच सितारा होटल 'हयात' से शेफ की नौकरी छोड़कर वापस लौटना पड़ा हो, लेकिन रेसिपी तो मानो उनका जीवन का हिस्सा बन चुकी थी। सो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल के मंत्र को सार्थक सिद्ध करते हुए टीकाराम ने लिंगुड़े (डिप्लाजियम एसकुलेंटम) व खुबानी के अचार की रेसिपी तैयार की। उन्होंने घराट (पनचक्की) में पिसे मसाले, मिक्स दाल व भुजेला (पेठा) की बड़ी और पहाड़ में उपलब्ध औषधीय पौधों से हर्बल-टी तैयार की। इससे वह अब तक पांच लाख रुपये से अधिक की कमाई कर चुके हैं। साथ ही अन्य ग्रामीणों को भी रोजगार दे रहे हैं।  

(टीकाराम पंवार)

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 55 किमी दूर ग्राम ठांडी निवासी टीकाराम पंवार आठ साल तक दुबई और वर्ष 2018 के बाद बेंगलुरु के पांच सितारा होटल 'हयात' में शेफ रहे। कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन हुआ तो 12 मई को गांव लौट आए। हुनर तो था ही, सो गांव में ही कुछ नया करने का विचार मन में आया। फिर क्या था, पहाड़ के नदी-नालों के आसपास बहुतायत में उगने वाले लिंगुड़े का अचार बनाने की ठानी। शुरुआत में परिवार के साथ मिलकर टीकाराम ने लिंगुड़े का दो क्विंटल अचार तैयार किया, जो उत्तरकाशी व देहरादून में 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से हाथोंहाथ बिक गया। 

(ठांडी गांव में घराट पर मसाला तैयार होता हुआ।)

मसाले भी वह घराट में पीसकर ही तैयार कर रहे हैं। इससे ठांडी गांव के घराट संचालक चैत सिंह राणा को रोजगार मिला है। टीकाराम अब तक उनके घराट से पिसे 90 किलो मसाले बेच चुके हैं। इसी तरह उन्होंने स्थानीय औषधीय पौधों से हर्बल-टी भी तैयार की है, जो गांव से लेकर देहरादून तक आसानी से बिक रही है। इससे उन्हें 80 हजार रुपये की आय हुई है। टीकाराम बताते हैं कि घराट के मसाले और हर्बल-टी की कई स्थानों से डिमांड आ रही है। लिहाजा, इस ओर वह विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके अलावा वो मिक्स दाल की 40 किलो बड़ी और खुबानी का 70 किलो अचार भी बेच चुके हैं। 

पारंपरिक खानपान को पहचान दिलाने की मुहिम 

(अचार के लिए लिंगुड़ा की सफाई करते हुए टीकाराम पंवार के स्वजन।)

टीकाराम क्षेत्र के 35 काश्तकारों से अब तक 1.5 लाख रुपये की दाल, मंडुवा और अन्य पहाड़ी उत्पाद खरीद चुके हैं। इन्हें देहरादून में गढ़ बाजार के माध्यम से बेचा जा रहा है। बकौल टीकाराम, 'पहाड़ के पारंपरिक उत्पाद पौष्टिकता से लवरेज हैं। हमें बस इनके व्यवसाय का तरीका आना चाहिए। मैं इस दिशा में काम कर रहा हूं और कोशिश है कि गढ़वाल के सभी होटल व्यवसायियों तक इन उत्पादों को पहुंचाया जाए। इससे हमारे पारंपरिक व्यंजनों को नई पहचान मिलेगी।' 

कई रेसिपी कर चुके हैं तैयार

टीकाराम अब तक कंडाली की कापली, कंडाली-जख्या फ्राय राइस, इटालियन तरीके से हिंसर का पैनाकोटा, काले हिंसर का हलुवा, घिंगारू-किनगोड़े की चाट, गेहूं की ऊमी की चाट आदि की रेसिपी तैयार कर चुके हैं।  

पौष्टिकता से भरपूर है लिंगुड़ा

(टीकाराम द्वारा तैयार किया गया लिंगुड़ा और लाल चावल का पुलाव।)

रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर महेंद्रपाल परमार बताते हैं कि सब्जियों में सबसे अधिक पौष्टिकता लिंगुड़ा में है। यह एथाइरिएसी फैमिली का सदस्य है और दुनियाभर में इसकी 400 से अधिक प्रजाति हैं। लिंगुड़ा नमी वाले स्थानों पर मार्च से अगस्त के मध्य खूब उगता है। प्रचुर मात्रा में मिनरल व विटामिन पाए जाने के कारण यह औषधीय दृष्टि से भी बेहद उपयोगी है। 

(त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड)

उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 'राइजिंग इंडिया' के माध्यम से 'दैनिक जागरण' छिपी हुई प्रतिभाओं को आगे लाकर समाज को दिशा देने का सराहनीय कार्य कर रहा है। उत्तरकाशी जिले के ठांडी गांव निवासी टीकाराम पंवार भी ऐसी ही प्रतिभा हैं, जिन्होंने कोरोना काल में नौकरी गंवाने के बावजूद आपदा को अवसर में बदलकर समाज के सामने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। पहाड़ में जिन पेड़-पौधों की कोई कीमत नहीं समझी जाती थी, उन्हें भी टीकाराम ने अपने प्रयासों से बेशकीमती बना दिया। उनके बनाए लिंगुड़े के अचार की बढ़ती डिमांड इसका प्रमाण है। 

लिंगुड़े में मिनरल की मात्रा (प्रतिशत में)

कैल्शियम: 3.0

पोटेशियम: 8.0

कॉपर: 35.5

आयरन: 16

मैग्नीशियम: 8.5

प्रोटीन: 8.0

जिंक: 7.5

कॉर्बोहाइड्रेट: 4.0

लिंगुड़े में विटामिन की मात्रा (प्रति 100 मिलीग्राम)

विटामिन बी-1: 0.02 मिग्रा

विटामिन बी-2: 0.21 मिग्रा

विटामिन बी-3: 4.98 मिग्रा


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