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जहरीली हुई छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायी नदियां, जीवाणुओं की भरमार, ऑक्सीजन घटी

केमिकल टेस्ट की रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायिनी नदियां हसदेव खान महानदी शिवनाथ और केलो का पानी ‘जहर’ बन गया है। जानें कैसे हैं हालात...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 10:21 AM (IST)
जहरीली हुई छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायी नदियां, जीवाणुओं की भरमार, ऑक्सीजन घटी
जहरीली हुई छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायी नदियां, जीवाणुओं की भरमार, ऑक्सीजन घटी

अनुज सक्सेना, रायपुर। भारत के राज्‍य एक-एक करके प्रदूषण की चपेट में आते जा रहे हैं। केमिकल टेस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायिनी नदियां हसदेव, खान, महानदी, शिवनाथ और केलो का पानी ‘जहर’ बनता जा रहा है। जांच में पाया गया है कि इन नदियों के पानी में एसिड की मात्र लगातार बढ़ रही जिससे ऑक्सीजन घटती जा रही है। यही नहीं हानिकारक कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया भी मानक से सात गुना तक अधिक पाया गया है।

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सरकार की टेंशन बढ़ी 

नदियों के पानी की गुणवत्‍ता को लेकर किए गए अध्‍ययन की रिपोर्ट ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यही कारण है कि न केवल नदियों, बल्कि उनके पानी से जनजीवन और फसलों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने एक्शन प्लान तैयार कराया जा रहा है। यही नहीं सरकार ने एक्‍शन प्‍लान के क्रियान्वयन के लिए अलग से कमेटी भी बनाई है। राज्य सरकार ने पांच प्रमुख नदियों के पानी का साल 2016, 2017, 2018 में केमिकल टेस्ट कराया था।

लगातार बढ़ रहा पीएच 

रिपोर्ट में पाया गया है कि पानी में हाइड्रोजन की संभावना (पीएच) लगातार बढ़ोत्‍तरी हो रही है। हाइड्रोजन की मात्रा अधिकतम सीमा के नजदीक पहुंच गई है। विशेषज्ञों की मानें तो पानी में हाइड्रोजन की मात्र न्यूनतम 6.5 और अधिकतम 8.5 होनी चाहिए। लेकिन रिपोर्ट कहती है कि पांचों नदियों के पानी की पीएच यूनिट सात को भी पार कर चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ने का मतलब है कि पानी में एसिड बढ़ रहा है। 

ऑक्सीजन लेवल कम 

अध्‍ययन के मुताबिक, हसदेव, खान, शिवनाथ और केलो नदियों के पानी में प्रति लीटर पर सात मिलीग्राम या उससे अधिक होना चाहिए लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम पाई गई है। जबकि मानक के अनुसार, इसे छह मिलीग्राम तक रहना चाहिए। राज्‍य की हसदेव कोरबा जिला, खान नदी रायपुर जिला, महानदी कांकेर, धमतरी गरियाबंद जिला, शिवनाथ नदी बलौदाबाजार-भाटापारा जिला और केलो नदी रायगढ़ जिले के लोगों के लिए जीवनदायिनी है।

कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की भरमार 

रिपोर्ट कहती है कि पांचों नदियों में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की अधिकतम संख्या भी हानिकारक स्‍तर के ऊपर है। मानक के मुताबिक, प्रति 100 मिलीलीटर में अधिकतम 50 कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया हो सकते हैं लेकिन नदियों में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया 46 से 350 तक पाए गए हैं। इनसे कमजोरी, अल्सर, अपचय, पेट में मरोड़ की समस्या होती है। सरकार ने नदियों के पुनरुद्धार की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग, उद्योग विभाग को सौंपा है।

यह है एक्शन प्लान

राज्‍य सरकार के एक्‍शन प्‍लान के मुताबिक, उद्योगों से निकलने वाली गंदगी एवं केमिकलयुक्त पानी को साफ करने के बाद नदी में छोड़ा जाएगा। जो उद्योग ऐसा नहीं करेंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। नालों के गंदे पानी की सफाई के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) एवं डिस्पोजल प्लांट बनेंगे। यही नहीं औद्योगिक, व्यवसायिक एवं अन्य क्षेत्रों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सख्ती से लागू कराया जाएगा। बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में पौधरोपण अभियान चलेगा। ठोस अपशिष्ठ व प्लास्टिक को नदियों में जाने से रोका जाएगा।


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