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SC में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज से करेगी तीन तलाक पर सुनवाई

इस मामले की शुरुआत कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के बराबरी के हक को देखते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए की थी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 10 May 2017 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 11 May 2017 04:03 AM (IST)
SC में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज से करेगी तीन तलाक पर सुनवाई
SC में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज से करेगी तीन तलाक पर सुनवाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुस्लिमों में प्रचलित तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला पर सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गुरुवार से सुनवाई करेगी। कोर्ट मौलिक अधिकारों को संवैधानिक दायरे में परखेगा। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर संविधान पीठ की अध्यक्षता करेंगे। कुल सात याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं, जिनमें पांच पीड़ित महिलाओं की ओर से हैं। इस मामले की शुरुआत कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के बराबरी के हक को देखते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए की थी। बाद में पीडि़त महिलाओं ने भी तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह को चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक विचार के बिंदु तय नहीं किए हैं। हालांकि शुरुआत में ही कोर्ट ने साफ कर दिया था कि वह संवैधानिक दायरे में कानूनी मुद्दे पर विचार करेगा। किसी की व्यक्तिगत याचिकाओं पर विचार नहीं होगा। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने के छूट देते हुए गर्मी की छुट्टियों में 11 मई से नियमित सुनवाई करने का फैसला लिया था।

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विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट को दिए लिखित जवाब में सुनवाई का विरोध किया है। बोर्ड ने कहा है कि यह पर्सनल लॉ से जुड़ा मुद्दा है और कोर्ट इस पर सुनवाई नहीं कर सकता। पर्सनल लॉ कुरान और हदीस की रोशनी में बना है। सामाजिक सुधार के नाम पर पर्सनल लॉ को दोबारा नहीं लिखा जा सकता।

केंद्र ने कहा, महिलाओं से भेदभाव 

केंद्र सरकार ने अपने लिखित जवाब में एक बार में तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के साथ लिंग आधारित भेदभाव बताया है। सरकार का कहना है कि भारतीय संविधान किसी तरह के भेदभाव की इजाजत नहीं देता है।

सरकार ने विचार के लिए दिए हैं ये सवाल

-क्या एक बार में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह को संविधान के अनुच्छेद 25(1) के तहत संरक्षण प्राप्त है?

-क्या अनुच्छेद 25 संविधान में प्राप्त मौलिक अधिकारों के अधीन है। विशेष तौर पर अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार) के।

-क्या पर्सनल लॉ को अनुच्छेद 13 के तहत कानून माना जाएगा?

-क्या तीन तलाक, बहु विवाह और निकाह हलाला भारत द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय संधियों के दायित्वों के अनुरूप है? 

खास है यह पीठ

वैसे तो न्यायिक पीठ का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन जो पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है, वह भी खास है। पीठ में पांच धर्मो के न्यायाधीश शामिल हैं। इनमें मुख्य न्यायाधीश सहित तीन न्यायाधीश हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट आए हैं, जबकि न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और उदय उमेश ललित सीधे वकील से न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं। जस्टिस नरीमन सालिसिटर जनरल रह चुके हैं। यूयू ललित जाने-माने वकील थे।

ये न्यायाधीश करेंगे सुनवाई

-मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर

-जस्टिस कुरियन जोसेफ

-जस्टिस रो¨हग्टन फली नरीमन

-जस्टिस उदय उमेश ललित

-जस्टिस एस अब्दुल नजीर

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