पांच IIT को मिलेगा आइएनआइ का दर्जा, आइआइटी (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा।
नई दिल्ली, एएनआइ। लोकसभा में शुक्रवार को आइआइआइटी (संशोधन) विधेयक पेश किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा। इसमें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला और रायचुर में बनने वाले पांच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आइआइआइटी) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आइएनआइ) का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक के तहत इन पांच आइआइआइटी के अलावा पीपीपी मोड पर तैयार मौजूदा 15 आइआइआइटी को भी आइएनआइ का दर्जा दिया जाएगा। इन संस्थानों को डिग्री देने की अनुमति दी जाएगी। इन सभी आइआइआइटी को अन्य यूनिवर्सिटी की तरह ही बीटेक, एमटेक और पीएचडी की डिग्री देने का अधिकार होगा। इस विधेयक के तहत 2014 व 2017 के प्रिंसिपल एक्ट में संशोधन करने तथा पांचों संस्थानों को वैधानिक दर्जा दिए जाने का भी प्रावधान है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि आइआइआइटी में शिक्षा का स्तर उद्योग जगत की मांग के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने विज्ञान को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। बीजद के भतर्ृहरि महताब ने कहा कि इन संस्थानों को ऐसा होना चाहिए जिससे देश में स्टार्टअप की संस्कृति को बढ़ावा मिले।
कोरोना वायरस के खिलाफ 'एयरलेन्स माइनस कोरोना'
आइआइटी और एम्स के पूर्व छात्रों देबयान साहा और शशि रंजन ने कोरोना वायरस के खिलाफ 'एयरलेन्स माइनस कोरोना' नाम से एक यंत्र बनाया है। यह सड़कों पर चलते हुए शहर को संक्रमण मुक्त करता चलेगा। यह अस्पताल, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, शॉपिंग मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जाएगा और उसकी सतह को संक्रमण मुक्त कर देगा, जहां से कोरोना का प्रसार हो सकता है। इन दोनों के अनुसार, कोरोना वायरस को मारने के लिए पानी की बूंदों में बिजली का प्रवाह किया जाता है। उन्होंने चार्ज या आयनित पानी की बूंदों का उपयोग करके कोरोना वायरस को मारने का एक नया तरीका ईजाद किया। कोरोना डिस्चार्ज का उपयोग करके पानी की बूंदों को आयनित किया जा सकता है।