अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर का आरोप, देश के मौजूदा हालात के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार
अफगानिस्तान की पहली महिला अफगान मेयर (First woman Afghan mayor) ने पाकिस्तान पर तालिबान को खुला समर्थन देने का आरोप लगाया है। कई पूर्व सरकारी अधिकारी और अफगान विशेषज्ञ भी तालिबान के कब्जे के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार मानते हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को लेकर पहली महिला अफगान मेयर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है। जरीफा गफरी ने मंगलवार को कहा कि देश की मौजूदा स्थिति में पाकिस्तान की स्पष्ट भूमिका है और अफगानिस्तान का हर बच्चा इस बात को जानता है। पाकिस्तान पर तालिबान को खुला समर्थन देने का आरोप लगाया गया है।
जरीफा गफरी देश की सबसे कम उम्र की मेयरों में से एक हैं। गफरी 26 साल की उम्र में वह मैदान शहर की मेयर बनी। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद गफरी देश छोड़कर जर्मनी चली गई हैं। कई पूर्व सरकारी अधिकारी और अफगान विशेषज्ञ भी तालिबान के कब्जे के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार मानते हैं।
पूर्व मेयर ने अपने देश की स्थिति के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय समेत सभी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि आज अफगानिस्तान जो कुछ भी झेल रहा है, उसके लिए स्थानीय लोगों, राजनेताओं, बच्चों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सहित सभी को दोषी ठहराया जाना चाहिए। स्थानीय लोगों ने कभी भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर आवाज नहीं उठाई।
अफगानिस्तान में अपने पिछले कुछ दिनों को याद करते हुए गफरी ने कहा कि तालिबान के अतंकी उनकी तलाश में उसके घर आयए थे औऱ उन्होंने उनके गृह रक्षक को बुरी तरह से पीटा। उन्होंने कहा कि मैं किसी को माफ नहीं कर सकती क्योंकि आज मैंने पिछले 20 साल की सभी उपलब्धियां खो दी हैं। मेरे पास आज कुछ भी नहीं बचा है। आज मेरे पास सिर्फ मेरी जमीन की मिट्टी है।
महिला मेयर ने दावा किया कि तालिबान उनके खिलाफ बोलने वालों को एक-एक करके मार रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान को अफगानों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा, गफारी ने कहा, 'निश्चित रूप से। क्या आप जानते हैं कि वे (तालिबान) मेरे जैसे लोगों को क्यों मार रहे हैं? क्योंकि वे नहीं चाहते कि अन्य लोगों को पता चले कि वे क्या हैं। वे नहीं करते चाहते हैं कि अफगानिस्तान के लोग उनके खिलाफ खड़े हों।
तालिबान द्वारा देश पर कब्जा करने के बाद लोगों में भय और दहशत का माहौल है। अफगानिस्तान के कई लोग आतंकवादी समूह से बचने के लिए देश से भागने की कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त, मिशेल बाचेलेट ने कहा कि उन्हें तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के हनन की कठोर और विश्वसनीय रिपोर्ट मिली है, जिसमें नागरिकों की फांसी भी शामिल है।