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आर्थिक तंगी के बीच पाकिस्‍तान का बड़ा अरमान, भारत की बराबरी में आने को है बेताब

आर्थिक तंगी के बीच आखिर पाकिस्‍तान कैसे देगा अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को अंजाम।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 01:07 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 01:07 PM (IST)
आर्थिक तंगी के बीच पाकिस्‍तान का बड़ा अरमान, भारत की बराबरी में आने को है बेताब
आर्थिक तंगी के बीच पाकिस्‍तान का बड़ा अरमान, भारत की बराबरी में आने को है बेताब

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]।  पाकिस्‍तान की नवनिर्वाचित सरकार ने अपने अंतरिक्ष योजना को हरी झंडी दी है। यहां खास बात यह है पाकिस्‍तानी सरकार ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का ऐलान उस वक्‍त किया है, जब 15 अगस्‍त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से यह घोषणा की थी कि 2022 में आजादी की 75 सा‍लगिरह पर भारत मानव सहित गगनयान लांच करेगा। मोदी की इस घोषणा के तीन महीने बाद पाकिस्‍तान ने भी अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का ऐलान करते हुए कहा कि 2022 में पहला पाकिस्तान का नागरिक अंतरिक्ष पर जाएगा। यहां यह भी दिलचस्‍प है कि पाकिस्‍तान ने अपनी आजादी के 75वीं सालगिरह पर ही मानव सहित यान भेजने का ऐलान किया है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि भारत की बराबरी करने वाले पाकिस्‍तान की क्‍या है अंतरिक्ष विकास की पूरी यात्रा। आर्थिक तंगी के बीच आखिर पाकिस्‍तान कैसे देगा अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को अंजाम।

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चीन की मदद से अंतरिक्ष कार्यक्रम को अंजाम देगा पाक

पाकिस्तान ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का ऐलान उस वक्‍त किया है जब यहां के प्रधानमंत्री इमरान खान तीन नवंबर को चीन के दौरे पर जा रहे हैं। उनके चीन यात्रा के पहले पाकिस्‍तान के सूचना प्रसारण मंत्री फ़वाद चौधरी का कहना है कि 2022 में पहला पाकिस्तानी यान अंतरिक्ष जाएगा। दरअसल, इस अभियान के लिए चीन की सरकारी एजेंसी चाइना मेरीटाइम सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (सीएमएस) और पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी सुपार्को का आपस में करार हुआ है। इसलिए यह उम्‍मीद की जा रही है कि इमरान अपने चीनी दौरे में अं‍तरिक्ष कार्यक्रम को अंतिम रूप देंगे।

भारत-पाक का अंतरिक्ष कार्यक्रम

अगर दोनों देशों के अंतरिक्ष विकास की तुलना की जाए ताे भारत के आगे पाकिस्‍तान कहीं नहीं ठहरता है। भारत की अंतरिक्ष विकास की यात्रा को दुनिया लोहा मानती है। भारत में साल 2017-18 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का बजट क़रीब नौ हज़ार करोड़ रुपये रहा है। अनुमान है कि 2022 मिशन के लिए सौ अरब से कम रुपये खर्च होंगे। उधर, पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी सुपार्को का 2018-19 का कुल बजट 4.7 अरब रुपये है। ऐसे वक़्त में जब पाकिस्तान आर्थिक तंगहाली से गुज़र रहा है, तब उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम 2022 में कैसे मुमकिन है। यह महंगा मिशन उसके आर्थिक व्‍यवस्‍था को और भी गर्त में ले जा सकता है। उधर, भारत ने अपने स्‍वदेशी उपग्रह अंतरिक्ष विकास के क्षेत्र में खुद का लॉन्चपैड विकसित किया है। इतना ही नहीं, भारत दूसरे मुल्क़ों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष तक लेकर जाता है। 2017 में भारत ने एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े थे। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान अंतरिक्ष में भारत से कैसे मुक़ाबला करेगा।

1960 के दशक में शुरू हुआ स्‍पेश प्रोगाम

1960-61 में पाकिस्‍तान ने अमेरिका के सहयोग से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के जनक अयूब खान थे। शुरुअाती चरण में पाकिस्‍तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम पूरी तरह से अमेरिका पर आश्रित था। अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए रॉकेट अमेरिका से हासिल हुए। पाकिस्‍तान ने अपने प्रथम रॉकेट का रहबर-1 नाम दिया था। इसे कराची स्थित यानी पाकिस्तान स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमिशन (सुपारर्को) ने अंतरिक्ष से छोड़ा गया था। रहबर-1 का मकसद मौसम विज्ञान संबंधी जानकारी मुहैया कराना था। अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिहाज से पाकिस्‍तान के जनरल अयूब खान के कार्यकाल को सवर्णिम काल कहा जा सकता है। अयूब खान ने कुछ वैज्ञानिकों को रॉकेट लॉन्च के लिए अमेरिका भेजा। इन वैज्ञानिकों ने नासा में बाकायदा प्रशिक्षण हासिल किया। उस वक्‍त अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक अब्दुस सलाम का डंका बजता था। अब्‍दुस को पाकिस्‍तान का होमी भाभा कहा जाता था।

विकास की जगह सुरक्षा बनी प्राथमिकता

1960 के दशक में पाकिस्‍तान ने बहुत जोर-शोर से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी, लेकिन बाद के दौर में इस कार्यक्रम को सरकारी तवज्‍जोह नहीं मिल सकी। 1970 के दशक में पाकिस्‍तान के हुक्‍मरानों की ओर से अंतरिक्ष कार्यक्रम को वह तरजीह नहीं मिल सकी। जुल्‍िफकार अली भुट्टो के शासन काल में अंतरिक्ष कार्यक्रम की जगह मिसाइल कार्यक्रम ने ले लिया। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिसाइल प्रोजेक्‍ट से जोड़ दिया गया। इस तरह पाकिस्‍तान ने विकास की जगह सुरक्षा को प्राथमिकता दी। हालांकि 1980 के दशक में इस अंतरिक्ष कार्यक्रम को जान डालने की एक कोशिश की गई, ल‍ेकिन वह विफल रही। पाक वैज्ञानिक मुनीर अहमद ख़ान का यह अभियान सफल नहीं हुआ। उस वक्‍त पाकिस्‍तान में जिया उल हक़ की हुकूमत थी। अब पाकिस्‍तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम चीन पर आश्रित है। 1990 में पाकिस्‍तान की पहली सेटलाइन बद्र-1 चीन से लांच किया गया।

एशिया महाद्वीप में पाकिस्तान ऐसा तीसरा देश और दुनिया का 10वां देश था, जिसने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक रॉकेट छोड़ा था। पाकिस्तान ने अंतरिक्ष में रेहबर-1 1962 में सोनमियानी रॉकेट रेंज से छोड़ा गया था। इसी के दो दिन बाद रेहबर-2 को भी सफलतापूर्वक छोड़ा गया था। 1990 में पाकिस्तान ने बद्र-1 को लॉन्च किया और 2002 में बद्र-2 को लॉन्च किया गया।


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