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पहली बार धूमकेतु पर उतरेगीं प्रयोगशाला

्रसुदूर अंतरिक्ष की दुनिया में पहली बार किसी धूमकेतु के धरातल पर मानव अपनी प्रयोगशाला उतारने का कारनामा करने जा रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने यह बीड़ा उठाया है। नवंबर में रोजिटा अंतरिक्षयान अपने साथ ले जा रहे फिले नामक प्रयोगशाला क ो धूमकेतु 67 पी चिरयुमोव गेरासिमेंको पर

By Edited By: Published: Thu, 24 Jul 2014 10:47 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 10:48 PM (IST)
पहली बार धूमकेतु पर उतरेगीं प्रयोगशाला

नैनीताल, [रमेश चंद्रा]। सुदूर अंतरिक्ष की दुनिया में पहली बार किसी धूमकेतु के धरातल पर मानव अपनी प्रयोगशाला उतारने का कारनामा करने जा रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने यह बीड़ा उठाया है।

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नवंबर में रोजिटा अंतरिक्षयान अपने साथ ले जा रहे फिले नामक प्रयोगशाला क ो धूमकेतु 67 पी चिरयुमोव गेरासिमेंको पर स्थापित कर देगा। यह लैंडिंग जितनी रोमांचकारी होगी, उतनी ही चुनौतियों से भरी भी होगी। वैज्ञानिक पिछले डेढ़ दशक से मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। धूमकेतुओं की उपयोगिता को लेकर अब तक दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियों के अंतरिक्षयान इनके पास से गुजरते रहे हैं। साथ ही धूमकेतु से टकराकर महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाने का सफल प्रयास भी कर चुके हैं। लेकिन पहली बार किसी धूमकेतु पर प्रयोगशाला उतारने की घटना दर्ज होने जा रही है। 2004 में रोजिटा अंतरिक्षयान को रवाना कर दिया गया था। छह अगस्त को यह यान चिरयुमोव गेरासिमेंको धूमकेतु के काफी नजदीक पहुंच जाएगा और मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर धूमकेतु की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। इसके बाद यान से फिले प्रयोगशाला को धूमकेतु की नाभिक में उतारने का कार्य शुरू हो जाएगा, जो नवंबर में संपन्न हो पाएगा। इस धूमकेतु की बनावट बड़ी विचित्र है। इसमें अलग से एक गूमड़ निकला हुआ है। कुछ दिन पहले ही इसकी तस्वीरें ली गई हैं, जिससे इसके आकार की वास्तविकता का पता चला है। अभी यह धूमकेतु पृथ्वी से करीब 40 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। इसके आकार के कारण प्रयोगशाला क ो इसके ऊपर उतारने के कार्य को वैज्ञानिक बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं। फिले में अत्याधुनिक यंत्र लगे हैं, जो इस धूमकेतु के बारे में नवीनतम जानकारी दे सकेंगे। भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलूर के खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर के अनुसार इस मिशन की सफलता धूमकेतुओं के रहस्यों की परतें खोलने में मददगार साबित होंगी। पहली बार होने जा रही इस घटना को लेकर वैज्ञानिकों में उत्साह है।

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