भारत को मिला न्यूमोनिया का पहला स्वदेशी टीका, सीरम द्वारा विकसित टीके को हर्षवर्धन ने किया लांच
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की मौजूदगी में न्यूमोनिया का पहला स्वदेशी टीका लांच किया। यूनिसेफ के आंकड़े के अनुसार न्यूमोनिया के कारण भारत में हर साल एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को न्यूमोनिया का पहला स्वदेशी टीका (न्यूमोकोकल पॉलीसैक्राइड कांजुगेट'-पीसीवी) लांच किया। पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) ने इसे अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी स्वास्थ्य संगठन पाथ और बिल एवं मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से विकसित किया है, जिसे 'न्यूमोसिल' नाम दिया गया है।
हर्षवर्धन ने कहा- भारत न्यूमोनिया के टीके के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर था, जो बहुत महंगे थे
हर्षवर्धन ने न्यूमोनिया के स्वदेशी टीके को आत्मनिर्भर भारत की तरह एक कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि अभी तक भारत न्यूमोनिया के टीके के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर था, जो बहुत महंगे थे। उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि देश की प्रमुख फार्मा कंपनी ने स्वदेशी टीका विकसित किया है और कोरोना लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार से इसका लाइसेंस भी हासिल कर लिया। दुनियाभर में हर साल पांच साल से कम उम्र के लगभग 10 लाख बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण न्यूमोनिया है।'
हर किसी के पहुंच के दायरे में होगा न्यूमोनिया का टीका: पूनावाला
इस मौके पर सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि यह टीका विशेष मिश्रण के आधार पर तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि टीके की कीमत को कम रखने की कोशिश की गई है, ताकि यह हर किसी के पहुंच में आ सके। न्यूमोनिया के इस टीके को विकसित करने में करीब एक दशक का समय लगा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि दूसरी कंपनियों के टीके के मुकाबले यह सस्ता है, जिसे कम और मध्य आय वाले देश भी आसानी से हासिल कर सकते हैं।
सीरम इंस्टीट्यूट बना न्यूमोनिया का टीका सप्लाई करने वाला दुनिया का तीसरा संस्थान
अभी तक भारत में फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ही न्यूमोनिया का टीका सप्लाई करती थीं। अब सीरम इंस्टीट्यूट एडवांस मार्केट कमिटमेंट (एएमसी) के तहत (पीसीवी) टीके की सप्लाई करने वाला दुनिया का तीसरा संस्थान बन गया है। यूनिसेफ के आंकड़े के अनुसार, न्यूमोनिया के कारण भारत में हर साल शून्य से पांच वर्ष आयुवर्ग के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चूंकि न्यूमोनिया श्वसन संबंधी बीमारी है, ऐसे में कोरोना महामारी के दौरान न्यूमोनिया का टीका बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है। इस टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन से जनवरी में ही मंजूरी मिल चुकी है।
न्यूमोनिया के चलते भारत में हर साल एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती: यूनिसेफ
यूनिसेफ के आंकड़े के अनुसार, न्यूमोनिया के कारण भारत में हर साल शून्य से पांच वर्ष आयुवर्ग के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चूंकि न्यूमोनिया श्वसन संबंधी बीमारी है, ऐसे में कोरोना महामारी के दौरान न्यूमोनिया का टीका बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है। इस टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन से जनवरी में ही मंजूरी मिल चुकी है।