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देश के चुनावी इतिहास में पहली बार ई-नामांकन

देश के चुनावी इतिहास में पहली बार पश्चिम बंगाल के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ई-नामांकन पर मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 10:30 PM (IST)
देश के चुनावी इतिहास में पहली बार ई-नामांकन
देश के चुनावी इतिहास में पहली बार ई-नामांकन

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : देश के चुनावी इतिहास में पहली बार पश्चिम बंगाल के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ई-नामांकन पर मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस मामले में माकपा की बड़ी जीत हुई है। माकपा की ओर से हाई कोर्ट में ई-नामांकन मंजूर करने के लिए दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि 23 अप्रैल को दोपहर बाद तीन बजे तक ई-मेल से माकपा की ओर जितने भी नामांकन दाखिल हुए हैं, उन्हें स्वीकृति दें। साथ ही हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि कितने लोगों ने ई-मेल से नामांकन दाखिल किए हैं, उनकी सूची भी जारी करें। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद 14 मई को होने वाले मतदान को लेकर एक बार फिर संशय के बादल छा गए हैं।

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न्यायमूर्ति विश्वनाथ समाद्दार व न्यायमूर्ति अ¨रदम मुखर्जी की खंडपीठ ने माकपा द्वारा ईमेल से दाखिल किए गए नामांकन के मामले पर अभूतपूर्व फैसला सुनाया। गौरतलब है कि हाई कोर्ट की एकल पीठ ने पिछले सप्ताह ¨हसा की वजह से नौ प्रत्याशियों द्वारा वाट्सएप पर भेजे गए नामांकन की स्वीकृति का निर्देश दिया था। इसके बाद माकपा ने ईमेल से भेजे गए नामांकन को भी स्वीकार करने की मांग करते हुए दो जजों की पीठ में अपील की थी। उसी पर यह फैसला सुनाया गया है।

ई-नामांकन की सुविधा होती तो खून नहीं बहता : हाई कोर्ट

एक बार फिर खंडपीठ ने मंगलवार को चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि आयोग ई-नामांकन स्वीकार करने को लेकर उदासीन था। यदि ई-नामांकन की सुविधा दी जाती तो नामांकन प्रक्रिया के दौरान खून नहीं बहता। नामांकन की संख्या में भी वृद्धि होती। मतदाताओं को अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को चुनने का मौका मिलता, लेकिन आयोग की उदासीनता की वजह से ऐसा संभव नहीं हुआ। बाद में खंडपीठ ने निर्देश दिया कि 23 अप्रैल को दोपहर बाद तीन बजे तक जितने लोगों ने ई-मेल से नामांकन दाखिल किया है, उनके चुनाव लड़ने की व्यवस्था की जाए।

फैसले से 14 मई को चुनाव पर संशय

इस फैसले से आयोग के लिए समस्या खड़ी हो गई है, क्योंकि फिर से ई-नामांकन करने वाले उम्मीदवारों के लिए भी मतपत्र छापने होंगे। कुछ क्षेत्रों में लाखों मतदाता हैं। उस स्थिति में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या सभी नामों को शामिल कर इतने कम समय में मतपत्र मुद्रित किया जा सकेगा। माकपा नेता राबिन देव ने कहा कि वाममोर्चा की ओर से 800 प्रत्याशियों ने ईमेल से नामांकन किया है। वहीं, भाजपा नेता प्रताप बनर्जी ने कहा कि यदि माकपा प्रत्याशियों द्वारा ईमेल से भेजे गए नामांकन को स्वीकृति दी गई है तो भाजपा के करीब 2000 प्रत्याशियों ने तृणमूल के आतंक की वजह से ईमेल से जो नामांकन दाखिल किया है, उसे भी स्वीकार करना होगा। इसके लिए वे लोग भी हाई कोर्ट जा रहे हैं।

कनाडा में पहले से है प्रावधान

कनाडा में उम्मीदवार अपने नामांकन फॉर्म में सभी जरूरी जानकारियां भरकर उसे इंटरनेट के जरिये चुनाव अधिकारियों को भेज सकते हैं। हालांकि, नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने के 48 घंटों के भीतर उन्हें चुनाव अधिकारियों से अपने असली दस्तावेजों का सत्यापन कराना जरूरी होता है।


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