यूरिया घोटाला: तुर्की के नागरिकों पर सौ करोड़ का जुर्माना, छह साल की कैद
कर्सन लि. ने 9 जनवरी 1995 में करार किया था कि वह भारत में 200000 मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई करेगी।
नई दिल्ली [ प्रेट्र ] । 23 साल पुराने 133 करोड़ के यूरिया घोटाले में तुर्की के दो नागरिकों पर 100 करोड़ रुपये जुर्माना थोपने के साथ उन्हें छह-छह साल की सजा सुनाई है। तीसहजारी स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने यह फैसला किया। कोर्ट ने भारत के पीएम रहे पीवी नरसिम्हा राव के रिश्तेदार को भी मामले में दोषी माना और उसे भी जुर्माने के साथ सजा हुई है।
तुर्की नागरिक तुनाके अलांकुस और चिहान करांसी कर्सन लि. के एक्जीक्यूटिव रहे हैं। कोर्ट ने पूर्व पीएम के रिश्तेदार संजीवा राव पर एक करोड़ का जुर्माना लगाने के साथ तीन साल कैद की सजा सुनाई है। इनके अलावा कंपनी के भारतीय प्रतिनिधि एम संबाशिवा राव को पांच करोड़ जुर्माना व तीन साल की कैद की सजा सुनाई। नेशनल फर्टिलाइजर्स लि. (एनएफएल) के सीएमडी रहे सीके रामकृष्णन, तत्कालीन निदेशक दिलबाग सिंह कंवर को छह-छह लाख जुर्माने व तीन-तीन साल की कैद, डीमालेशम को पांच करोड़ जुर्माना व तीन साल की कैद, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलखन सिंह यादव के बेटे प्रकाश चंद्र यादव पर एक करोड़ का जुर्माना व तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
1996 में दर्ज किया था केस
सीबीआइ ने यह केस 1996 में दर्ज किया था। कर्सन लि. ने 9 जनवरी 1995 में करार किया था कि वह भारत में 200000 मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई करेगी। इसकी कीमत उस समय 133 करोड़ रुपये (उस समय डॉलर के मूल्य के बराबर की रकम) थी।
पूर्व भुगतान पर यूरिया की आपूर्ति करने की बात शर्तो में शामिल थी। 1995 में तुनाके अलांकुस के खाते में यूरिया की लगभग पूरी कीमत का पूर्व भुगतान एनएफएल ने कर दिया था। 14 नवंबर को कर्सन लि. के स्विटजरलैंड के जिनेवा स्थित पिकटेक बैंक के खाते में सारी रकम जमा करा दी गई थी। 29 नवंबर को यह रकम खाते में आ गई, लेकिन यूरिया नहीं भेजा गया। सीबीआइ ने आरोप पत्र में अलांकुस और चिहान करांसी को मुख्य साजिशकर्ता बताया।