ताज पर SC ने लिया संज्ञान, ताजमहल की सुरक्षा पर चार सप्ताह में राज्य सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा कि, इन क्षेत्रों में लेदर उद्योग और होटल खोले जा रहे हैं, क्यों? क्या इसके पीछे कोई खास कारण है?
नई दिल्ली (प्रेट्र)। भारतीय सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर से दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक आगरा के ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर सख्त नजर आ रहा है। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक महीने के भीतर ताज महल की सुरक्षा और संरक्षण संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी स्पष्टीकरण देने को कहा है कि ताजमहल के आस-पास के क्षेत्र (टीटीजेड) में लेदर के उद्योग क्यों लगाए जा रहे हैं। पर्यावरणविद एम सी मेहता ने जिन्होंने प्रदूषणकारी गैसों के प्रभाव से ताज की सुरक्षा पर हो रहे खतरे को लेकर एक याचिका दायर किया था। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए।
राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय
बता दें कि टीटीजेड (ताज ट्रेपैजियम जोन) 10,400 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश के जिले आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस, एताह और राजस्थान का भारतपुर जिला आता है। जस्टिस एम बी लोकुर और दीपक गुप्ता की एक पीठ ने राज्य सरकार को इस पर दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। बताया जा रहा है कि, इस क्षेत्र में अचानक से बढ़ रही उद्योग गतिविधि से ताजमहल के सुरक्षा पर संकट पैदा हो गया है जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है।
'ताजमहल के आस-पास क्यों खोले जा रहे उद्योग'
राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता प्रस्तुत हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा कि, इन क्षेत्रों में लेदर उद्योग और होटल खोले जा रहे हैं, क्यों? क्या इसके पीछे कोई खास कारण है? मेहता ने इसके जवाब में कहा कि वे इस मुद्दे पर जानकारी जुटाकर जवाब देंगे। बताया जा रहा है कि, इसी बीच राज्य सरकार ने आगरा शहर में जल आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाने के लिए 234 पेड़ों को काटने के लिए कोर्ट में एक अलग आवेदन फाइल किया है। हालांकि जजों की पीठ ने राज्य सरकार को टीटीजेड में लगाए गए पेड़ों का ब्योरा देने का निर्देश दे दिया है।
'सैकड़ों साल पहले बने उपाय आज पर्याप्त नहीं'
शीर्ष अदालत कहा था कि सैकड़ों साल पहले ताजमहल को संरक्षित रखने के लिए जो उपाय किए गए थे वे आज के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए भविष्य की पीढ़ी के लिए 17वीं शताब्दी की ऐतिहासित इमारत को सहेज कर रखने के लिए राज्य सरकार को ये निर्देश दिया गया। बता दें कि 1631 में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया था। यह मस्जिद यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है।