महाराष्ट्र में अब नेता विपक्ष पद पर रार
महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा के बीच का टकराव खत्म होने के बाद अब नेता विरोधी दल को लेकर कांग्रेस-राकांपा में रार शुरू हो गई है। अब तक यह पद शिवसेना के पास था। पिछले महीने सरकार का बहुमत सिद्ध करने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में विरोधी दल के नेता
मुंबई (राज्य ब्यूरो)। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा के बीच का टकराव खत्म होने के बाद अब नेता विरोधी दल को लेकर कांग्रेस-राकांपा में रार शुरू हो गई है। अब तक यह पद शिवसेना के पास था। पिछले महीने सरकार का बहुमत सिद्ध करने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में विरोधी दल के नेता पद पर 63 विधायकों वाली शिवसेना ने दावा कर यह पद हथिया लिया था। अब शिवसेना सरकार में शामिल हो चुकी है। इसलिए पुन: खाली हुए नेता विरोधी दल के पद पर 42 विधायकों वाली कांग्रेस और 41 विधायकों वाली राकांपा दोनों दावा कर रही हैं।
राकांपा तीन विधायकों वाले छोटे दल बहुजन विकास आघाड़ी व एक निर्दलीय विधायक से चुनाव पूर्व समझौता दिखाकर अपनी संख्या कांग्रेस से अधिक बता रही है। वहीं, कांग्रेस यह कहकर राकांपा के दावे को खारिज कर रही है कि राकांपा ने पिछले सत्र में भाजपा सरकार को समर्थन दिया था। इसलिए उसे नेता विरोधी दल का पद नहीं दिया जाना चाहिए। कांग्रेस अपने वरिष्ठ विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल को अपने विधायक दल का नेता चुन चुकी है और उन्हें ही नेता विरोधी दल के पद पर बैठाना चाहती है। राकांपा विधानसभा के अलावा विधान परिषद के नेता विरोधी दल एवं विधान परिषद अध्यक्ष के पद पर भी दावा ठोक रही है। विधान परिषद में भाजपा व शिवसेना के बाद सर्वाधिक 28 सदस्य राकांपा के ही हैं। विधान परिषद अध्यक्ष शिवाजीराव देशमुख को वह इस आधार पर हटाना चाहती है कि जब देशमुख को अध्यक्ष बनाया गया था, तब कांग्रेस- राकांपा एक थे। अब दोनों दलों में गठबंधन टूट चुका है। कांग्रेस-राकांपा की लड़ाई में शिवसेना कांग्रेस का परोक्ष समर्थन करती दिख रही है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के शनिवार के संपादकीय में राकांपा के दावे की आलोचना की गई है। बता दें कि शिवसेना पिछले सत्र में भाजपा सरकार को समर्थन दिए जाने के कारण राकांपा से चिढ़ी हुई है।
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