Fight Against Coronavirus: डीआरडीओ ने विकसित किया डिसइंफेक्शन चैंबर, पूरा शरीर हो जाएगा कीटाणुरहित
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने फुल बॉडी डिसइंफेक्शन चैंबर विकसित किया है।
पुणे, प्रेट्र। कोरोना वायरस का अग्रिम पंक्ति में रहकर सामना कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) ने फुल बॉडी डिसइंफेक्शन चैंबर विकसित किया है।
आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, महाराष्ट्र में अहमदनगर स्थित डीआरडीओ के व्हीकल रिसर्च एंड डेवलेपमेंट इस्टेब्लिशमेंट ने 'पर्सनेल सैनिटाइजेशन इंक्लोजर' विकसित किया है। चलकर निकल जाने वाले इस पोर्टेबल इंक्लोजर में सैनिटाइजर और सोप डिस्पेंसर लगे हैं। इसमें प्रवेश करते ही फुट पैडल के इस्तेमाल से कीटाणुरहित बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। चैंबर में प्रवेश करते ही बिजली से चलने वाला पंप हाइपोसोडियम क्लोराइड की कीटाणुनाशक धुंध पैदा करता है।
बता दें कि यह इंक्लोज 25 सैकेंड तक हाइपोसोडियम क्लोराइड स्प्रे करता है और इसके बाद अपने आप रुक जाता है। इस दौरान चैंबर में डिसइंफेक्शन की प्रक्रिया से गुजर रहे व्यक्ति को अपनी आंखें बंद रखनी होती हैं। 650 व्यक्तियों के डिसइंफेक्शन के बाद ही इस चैंबर में सैनिटाइजिंग सोल्यूशन को रिफिल करने की जरूरत होती है।
इस प्रणाली का निर्माण गाजियाबाद स्थित मैसर्स दास हिताची लिमिटेड की मदद से चार दिन में किया गया है। इसका इस्तेमाल अस्पतालों, मॉल्स, कार्यालयों और अहम प्रतिष्ठानों के प्रवेश और निकास पर व्यक्तियों को कीटाणुरहित बनाने के लिए किया जा सकता है।
इसी क्रम में हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत और चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बेलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी ने कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्सो के लिए फेस प्रोटेक्शन मास्क विकसित किए हैं। यह काफी हल्के हैं जिसकी वजह से इन्हें लंबे समय तक पहनना आरामदायक है।