लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण में आई 50 फीसद की कमी, 81% तक कम हुआ वाहनों का इस्तेमाल
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। 46वें स्थापना दिवस पर आयोजित वेबिनार में जारी की गई रिपोर्ट। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बोर्ड के काम को भी सराहा।
नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के प्रदूषण स्तर में 50 फीसद की कमी दर्ज की गई। वाहन से निकलने वाले धुएं एवं उद्योगों के बंद रहने से कोयला जलने में आई कमी से प्रदूषण का स्तर गिरा। सीपीसीबी ने आइआइटी दिल्ली व कानपुर के साथ मिलकर प्रदूषण के स्तर में कमी की रिपोर्ट तैयार की है। सीपीसीबी के 46वें स्थापना दिवस पर यह रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने वेबिनार में जारी की। इस दौरान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सीपीसीबी के कामकाज को भी सराहा।
उन्होंने कहा कि पिछले 45 साल से यह संस्थान हवा को सांस लेने योग्य बनाने के प्रयासों में जुटा है।सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गार्गवा ने बताया कि एक मार्च से 21 मार्च तक लॉकडाउन के पूर्व की अवधि, लॉकडाउन के प्रथम चरण (25 मार्च से 19 अप्रैल) और दूसरे चरण (20 अप्रैल से तीन मई) तक वायु प्रदूषण के आंकड़ों का अध्ययन किया।
इसी अंतराल में पिछले वर्ष के साथ प्रदूषण का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल आदि के बंद रहने को भी प्रदूषण के स्तर में कमी का कारक माना गया है। लोग कार्यालय जाने के लिए वाहन का प्रयोग करते हैं, लेकिन 25 मार्च से 19 अप्रैल तक कार्यालय जाने के लिए वाहनों के इस्तेमाल में 81 फीसद की कमी आई।
रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) के स्तर में 22 मार्च को 24 फीसद की कमी हुई, जबकि लॉकडाउन शुरू होते ही इसमें 50 फीसद की कमी दर्ज की गई। पीएम 10 के स्तर में 60 फीसद, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड के स्तर में 64 फीसद और बेंजीन के स्तर में 62 फीसद की कमी दर्ज की गई। डॉ. गार्गवा ने बताया कि अब सीपीसीबी राजधानी में वाहनों, धूल व औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के विभिन्न तरीकों पर विमर्श करेगा। साथ ही कोरोना काल में प्रदूषण के स्तर में भारी कमी का भी विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।