पांचवें वेतन आयोग की गलतियां सातवें तक नहीं सुधरीं, हजारों कर्मचारी परेशान
पिछले ढाई दशक से कुछ मामूली खामियों में सुधार न हो पाने से नाराज तकनीकी कर्मचारियों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। पांचवें वेतन आयोग की गलतियां सातवें वेतन आयोग तक नहीं सुधर पाईं हैं, जिससे कृषि मंत्रालय के सात हजार से अधिक तकनीकी कर्मचारियों की हालत पस्त है। पिछले ढाई दशक से कुछ मामूली खामियों में सुधार न हो पाने से नाराज तकनीकी कर्मचारियों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
विरोध प्रदर्शन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के सभी 108 संस्थानों और साढ़े छह सौ कृषि विज्ञान केंद्रों के तकनीकी कर्मचारी हिस्सा लेंगे। आइसीएआर के कर्मचारी नेताओं ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को भी इस बारे में विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। यह मामला संसद में भी उठाया गया है, जिसका जवाब भी तकनीकी रूप से दिया गया है। लेकिन कर्मचारियों के हिस्से अभी भी कुछ नहीं आया है।
दरअसल आइसीएआर में वैज्ञानिकों के साथ तकनीकी कर्मचारियों की लंबी चौड़ी फौज है। इसके अलावा प्रशासनिक सेवा के कर्मचारी भी हैं। तकनीकी कर्मचारियों की संख्या सात हजार से भी अधिक है। पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों में एक ऐसी विसंगति हुई, जिससे तकनीकी कर्मचारियों के प्रोमोशन की रफ्तार को धीमा कर दिया। प्रोमोशन का विकल्प घटने को लेकर कर्मचारी लगातार मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी व्यथा कोई सुनने वाला नहीं है।
केंद्रीय सेवाओं में कर्मचारियों को न्यूनतम तीन प्रोमोशन मिलने का प्रावधान है। लेकिन इस वर्ग के कर्मचारियों को केवल दो मौके मिल सकते हैं। जबकि समानांतर केंद्रीय वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर) में तकनीकी कर्मचारियों को यह अवसर मिल रहा है। आइसीएआर कर्मचारी नेताओं की मांग में सरकार ने उपमहानिदेशक (इंजीनियरिंग) सुंदरम कमेटी बनाकर इस मामले की जांच करने को कहा। रिपोर्ट कर्मचारियों के पक्ष में आई तो इसे गवर्निग बॉडी में रखा, जहां इसका अनुमोदन करते हुए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन कर दिया गया। यहां से भी हरी झंडी मिल गई।
इस बारे में एक सवाल संसद में भी पूछा गया है, जिसके जवाब में बताया गया कि मंत्रालय की ओर से प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेज दिया गया है। लेकिन कर्मचारी नेताओं ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने इस बारे में कुछ और जानकारी मांगी है। लेकिन सालभर बाद भी आइसीएआर की ओर से मांगी गई सूचनाएं नहीं भेजी जा सकी हैं। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग इसमें जानबूझकर हीलाहवाली कर रहे हैं।