विकसित देशों में तेजी से घट रही प्रजनन दर, भारत की है ये स्थिति
अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल द लैंसेट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 70 साल में कई देशों में प्रजनन क्षमता में बड़ी गिरावट आई है। 1950 में औसत प्रजनन दर 4.7 बच्चे प्रति महिला थी जो पिछले साल तक 2.4 हो गई।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल द लैंसेट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 70 साल में कई देशों में प्रजनन क्षमता में बड़ी गिरावट आई है। 1950 में औसत प्रजनन दर 4.7 बच्चे प्रति महिला थी जो पिछले साल तक 2.4 हो गई। हालांकि इस दौरान वैश्विक आबादी में तीन गुना वृद्धि हुई है जो अलग-अलग देशों में प्रजनन दर के अंतर को दिखाती है। 70 सालों में पचास फीसद घटी प्रजनन दर
बड़ा अंतर
विश्व में सबसे ऊंची प्रजनन दर 7.1 नाइजर में है। वहीं सिंगापुर और जापान जैसे देश 1.3 दर के साथ अंतिम पायदान पर हैं। निम्न प्रजनन दर वाले विकासशील देशों की सूची में भारत शीर्ष पर है। यहां प्रति महिला पर 2.1 प्रजनन दर है।
सिकुड़ रही आबादी
पिछली पीढ़ी द्वारा नई पीढ़ी को स्थानापन्न करने के लिए 2.05 जन्म दर जरूरी होती है। विश्व में तकरीबन आधे देशों में इससे निम्न जन्म दर है। इसका सीधा सा मतलब है कि इन देशों में नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी की जगह नहीं ले पा रही है। अगर यही हाल रहा तो भविष्य में इन देशों की आबादी बहुत कम हो जाएगी तो जनसांख्यिकीय संतुलन के लिहाज से खतरनाक होगा।
आधुनिकता बना कारण
अध्ययन में शामिल 91 फीसद देशों में आबादी अनुपात में प्रजनन दर घटी है जिसमें अधिकांश विकसित देश शामिल हैं। इसकी वजह शिशु मृत्यु दर, महिलाओं का शिक्षित और कार्यरत होना है। गर्भ निरोधक की अत्याधिक पहुंच भी अहम कारण है। विकसित बनाम अविकसित विश्व में अलग-अलग देशों में प्रजनन दर में भारी अंतर देखने को मिला है। विकसित देशों की तुलना में अविकसित और गरीब देशों में उच्च प्रजनन दर है।
बड़ी आशंका
भारत में प्रति महिला औसत प्रजनन दर 2.1 है। जब भी किसी देश में प्रजनन दर इससे नीचे आती है तो जनसंख्या पिरामिड सिकुड़ना शुरू हो जाता है। खासतौर से उन देशों में जहां बाल मृत्यु दर ज्यादा है।