Move to Jagran APP

आखिर क्या है फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’, चौकसे और राष्ट्रगान का आपस में कनेक्शन

सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला जरूर बदल दिया है, लेकिन इसके पीछे की मुहिम बेहद दिलचस्प है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 09 Jan 2018 02:37 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jan 2018 02:07 PM (IST)
आखिर क्या है फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’, चौकसे और राष्ट्रगान का आपस में कनेक्शन
आखिर क्या है फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’, चौकसे और राष्ट्रगान का आपस में कनेक्शन

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्‍ट्रगान को अनिवार्य बनाने के मामले में दिए गए ताजा फैसले के बाद अब इस पर शुरू बहस को विराम लग जाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2016 से पहले की स्थिति को बहाल करने पर मुहर लगा दी है। इस फैसले के बाद अब सिनेमाघरों में फिल्‍म से पहले राष्‍ट्रगान नहीं सुनाया जाएगा। इसकी अपील खुद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर चार पेज के हलफनामे में की थी। केंद्र का कहना था कि वह एक अंतर मंत्रिमंडलीय समिति का गठन कर रहा है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार नए सिरे से अधिसूचना जारी की जाएगी। आपको बता दें कि यह पूरा मामला सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने से जुड़ा है।

loksabha election banner

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30 नवंबर, 2016 को दिए आदेश में कोर्ट ने सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान के बजाने को अनिवार्य कर दिया था। उस दौरान लोगों को हर हाल में खड़े होना था। हालांकि बाद में दिव्यांगों के लिए अदालत ने अपने आदेश में संशोधन भी किया था। कोर्ट ने यह फैसला श्याम प्रसाद चौकसे की याचिका पर दिया था। उनकी मांग थी कि आम जन में राष्ट्र के प्रति सम्मान जगाने का यह कारगर तरीका है। लेकिन इस आदेश के बाद यह बहस का मुद्दा बन गया था।

आदेश के बाद शुरू हुई बहस

राजनीतिज्ञों से लेकर बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियों ने इसको लेकर अपनी-अपनी तरह से प्रतिक्रिया दी थी। इस पर छिड़ी बहस का सियासी पारा उस वक्‍त और बढ़ गया था जब इसी मुद्दे पर कुछ मामलों में मार-पीट की खबरें आई थीं। इसके अलावा सांसद असद्दुीन ओवैसी ने भी इस मामले में कहा था कि देशभक्ति दिखाने का यह कोई पैमाना नहीं है। बहरहाल इस मामले किसने क्‍या–क्‍या बयान दिए इनको हम आगे बताएंगे इससे पहले हम यह बता देते हैं कि आखिर इस मामले की शरुआत आखिर हुई कहां से थी।

मुहिम के पीछे वजह बने करण जौहर

सिनेमाहाल में राष्‍ट्रगान बजाने को अनिवार्य बनाने की मुहिम करीब 15 वर्ष पुरानी है। इस पूरी मुहिम के पीछे की दिलचस्‍प कहानी में करण जौहर का सबसे बड़ा किरदार है। आपको यह सुनकर हैरानी होगी। दरअसल, यह सारी कहानी उस वक्‍त शुरू हुई जब करण जौहर की फिल्‍म कभी खुशी, कभी गम रिलीज हुई। उस वक्‍त चौकसे भी फिल्‍म को देखने गए थे। इस फिल्‍म में एक जगह राष्‍ट्रगान की धुन सुनाई देती है। चौकसे को उस वक्‍त काफी बुरा लगा जब इस दौरान कुछ लोग तो खड़े हो गए लेकिन कई दूसरे लोग उनका मजाक बनाने लगे थे। इसके बाद ही चौकसे के मन में इस मुहिम को चलाने की बात आई। लिहाजा वर्ष 2013 में उन्‍होंने जबलपुर हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

कोर्ट के फैसले में कही गई थी ये बातें

हाईकोर्ट के बाद 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके ही हक में फैसला सुनाया। यह उनके लिए बड़ी जीत थी। सिनेमाहाल में फिल्‍म की शुरुआत में राष्‍ट्रगान को अनिवार्य रूप से बजाने के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के तहत कई और अहम बातें भी की थीं। कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा किसी भी तरह की गतिविधि में ड्रामा क्रिएट करने के लिए भी राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं होगा। राष्ट्रीय गान को वैरायटी सॉन्ग के तौर पर भी नहीं गाया जाएगा।

चौकसे की अपील में थी ये बातें

चौकसे की याचिका में यह भी अपील की गई थी कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रगान को अंत तक गाया जाना चाहिए, और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए याचिका में कोर्ट से यह आदेश देने का आग्रह भी किया गया था कि राष्ट्रगान को ऐसे लोगों के बीच न गाया जाए, जो इसे नहीं समझते इसके अतिरिक्त राष्ट्रगान की धुन बदलकर किसी ओर तरीके से गाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। चौकसे की याचिका में इसे राष्ट्गान के नियमों का उल्लंघन तब बताया था।

यह भी पढ़ें: नवाज के लिए किया ऐसी भाषा का इस्‍तेमाल जिसे सुनकर आपको भी आ जाएगी शर्म

यह भी पढ़ें: लालू के बिना चुनौतियों से निपटने की जुगत में राजद, आखिर कैसे पाएगी पार 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.