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एफडीआइ के लिए वोट भी देंगी माया

लोकसभा में एफडीआइ पर विपक्ष की हार के बाद सरकार ने राज्यसभा में भी अपनी जीत का रास्ता निकाल लिया है। बसपा और सपा ने उसकी मुश्किल खत्म कर दी है। सांप्रदायिक ताकतों को राज्यसभा में 'राजनीति' करने का मौका नहीं देने का हवाला देकर बसपा प्रमुख मायावती ने एफडीआइ पर मतदान से पहले ही सरकार का साथ देने का एलान कर दिया। जबकि, सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने वोटिंग के दौरान बहिर्गमन की घोषणा कर सरकार की रही सही चिंता भी दूर कर दी है।

By Edited By: Published: Thu, 06 Dec 2012 08:03 AM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2012 09:12 PM (IST)
एफडीआइ के लिए वोट भी देंगी माया

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में एफडीआइ पर विपक्ष की हार के बाद सरकार ने राज्यसभा में भी अपनी जीत का रास्ता निकाल लिया है। बसपा और सपा ने उसकी मुश्किल खत्म कर दी है। सांप्रदायिक ताकतों को राज्यसभा में 'राजनीति' करने का मौका नहीं देने का हवाला देकर बसपा प्रमुख मायावती ने एफडीआइ पर मतदान से पहले ही सरकार का साथ देने का एलान कर दिया। जबकि, सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने वोटिंग के दौरान बहिर्गमन की घोषणा कर सरकार की रही सही चिंता भी दूर कर दी है।

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इन स्थितियों से स्पष्ट हो गया है कि राज्यसभा में अब एफडीआइ पर महज बहस की औपचारिकता बची है। लोकसभा में बुधवार को खुदरा क्षेत्र [रिटेल] में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] के विरोध का भाजपा का प्रस्ताव गिरने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में इस पर चर्चा की शुरुआत हुई। उच्च सदन में प्रस्ताव अन्नाद्रमुक के डॉ वी मैत्रेयन ने पेश किया और रिटेल एफडीआइ का फैसला वापस लेने की जोरदार मांग की। इसके बाद सदन में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अपने धारदार तर्को से रिटेल एफडीआइ से देश, छोटे व्यापारियों और किसानों को होने वाले नुकसान गिनाए। उन्होंने इस मसले पर विरोध के बावजूद सरकार की मदद करने के लिए सपा, बसपा, द्रमुक और राकांपा की कड़ी आलोचना की और कहा, सरकार लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा [272] छूने में नाकाम रही। वह अल्पमत में है और उसके फैसलों का देश को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

जब बसपा प्रमुख मायावती का नंबर आया तो उन्होंने बहस का रुख एफडीआइ के बजाय भाजपा की ओर मोड़ दिया। बसपा के सीबीआइ के दबाव में आने के सुषमा स्वराज के लोकसभा में दिए बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, 'भाजपा इसलिए ऐसे आरोप लगा रही है क्योंकि अंगूर खंट्टे हैं और उसकी योजना विफल हो गई। यह भाजपा ही है जिसने मुझे ताज कॉरीडोर और आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआइ के चंगुल में फंसाने की कोशिश की। लिहाजा मेरी पार्टी भाजपा को कोई मौका न देते हुए रिटेल एफडीआइ पर सरकार के पक्ष में मतदान करेगी।'

सपा से नरेश अग्रवाल ने एफडीआइ का खुलकर विरोध किया। उन्होंने कहा, 'अब भी वक्त है। सरकार इस फैसले को वापस ले। एफडीआइ दस्ते कातिल है, किसानों को मार डालेगी। जब सरकार राजनीति में बिचौलियों को समाप्त नहीं कर पाई तो रिटेल एफडीआइ में कैसे करेगी। 20 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए तो देश का क्या होगा? व्यापारियों के हित में इस काले कानून को वापस लिया जाए।'

इससे पहले एफडीआइ पर फैसले का बचाव करते हुए कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार ने बहुत सोच-समझकर मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआइ को अनुमति देने का फैसला किया है। आर्थिक विकास के इस दौर में यह देश के लिए जरूरी है।

छोटे किराना बंद हुए तो आप भी नहीं बचेंगे: जेटली

थाइलैंड ने अपने यहां सबसे बाद में एफडीआइ लागू किया। महज तीन कंपनियों ने दस साल में वहां के 40 प्रतिशत खुदरा बाजार पर कब्जा कर लिया। बेल्जियम में एफडीआइ आने के बाद 79 प्रतिशत खुदरा व्यापार विदेशी कंपनियों ने हथिया लिया। खुदरा व्यापार की सबसे बड़ी अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने इसी साल सितंबर में मैनहटन [न्यूयॉर्क] में अपना स्टोर खोलने का फैसला किया था। अब तक नहीं खोल सकी। उसे फैसला वापस लेना पड़ा, क्योंकि उसके खुलने से मैनहटन के आसपास के छोटे खुदरा स्टोर बंद हो जाते। उसी तरह यदि अपने देश में भी खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी वाली कंपनियां आईं तो छोटे स्टोर बंद हो जाएंगे। और, तब आप भी [सरकार में] नहीं टिक पाएंगे।

आपका तर्क है कि एफडीआइ आने से किसानों को उनकी उपज का ज्यादा दाम मिलेगा। बिचौलिए हट जाएंगे। यदि यही सही है तो अमेरिका में किसानों को मालामाल हो जाना चाहिए था। हालत यह है कि अमेरिका और यूरोप अपने किसानों को जीवित रखने के लिए रोजाना 65 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देते हैं। इस इंटरनेशनल चेन ने क्या किया? आपको समझना चाहिए कि जब छोटे बिचौलिए बाहर होते हैं तो वॉलमार्ट जैसे सुपर मिडिलमैन आ जाते हैं।

सरकार अपने यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होने और खेती की उपज के 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाने का तर्क देती है। जबकि, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, जो खुद एक सरकारी संस्था है, उसकी रिपोर्ट खारिज करती है। उसके मुताबिक देश में अनाज का 3.9 प्रतिशत से छह प्रतिशत, दालों का अधिकतम 6.1 प्रतिशत, खाद्य तेल का छह प्रतिशत, मत्स्य का 2.9 प्रतिशत और मीट में 2.3 प्रतिशत ही बर्बाद जाता है। खुद कृषि मंत्री शरद पवार लोकसभा में इसी साल आठ मई को एक उत्तर में फल और सब्जियों के सिर्फ 5.8 से 18 प्रतिशत तक बर्बाद होने की बात कह चुके हैं।

यह साबित करता है कि आप आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। उसी के आधार पर कहते हैं कि कोल्ड चेन तैयार करने के लिए एफडीआइ की जरूरत है। क्या इस देश में कोल्ड चेन बनाना असंभव है? आपकी जो योजनाएं हैं, उन्हीं को संसाधनों को खड़ा करने से जोड़ दें तो बुनियादी ढांचे भी बनने लगेंगे। इसलिए एफडीआइ पर पुनर्विचार कर लीजिए।

आप दबाव डालकर एफडीआइ ला सकते हैं, लेकिन यह सही नहीं होगा क्योंकि लोकसभा में आपके पास बहुमत से 18 सांसद कम हैं। आपको बीते तीन साल से वहां 253 को 272 [बहुमत के लिए जरूरी सदस्य संख्या] बनाना पड़ रहा है।

राजनीतिक कारणों से हो रहा विरोध: कानून मंत्री

देश की वर्तमान परिस्थितियां हमें [सरकार] को एफडीआइ लाने के लिए विवश कर रही हैं। देश के आर्थिक विकास के लिए खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। देशहित के लिए यह जरूरी है। विरोध के राजनीतिक कारण हो सकते है, लेकिन वैचारिक कारण नहीं लगते।

देश में पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। कोल्ड चेन [स्टोरेज] नहीं हैं। बड़ी मात्रा में अनाज, फल एवं सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। यातायात के साधन नहीं हैं। इसलिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ ही फलों, सब्जियों एवं खाद्यान्न को बचाने के लिए एफडीआइ की अनुमति देना सही कदम है। राजग ने भी इसका फैसला किया था। देश के प्रति हमारी जवाबदेही है, इसलिए हम यह कदम उठा रहे हैं।

यह सच नहीं है कि किसान एफडीआइ का विरोधी है। पंजाब, महाराष्ट्र समेत दूसरे राज्यों की किसान यूनियनों ने उसका समर्थन किया है। भारती-वॉलमार्ट के संयुक्त उपक्रम से किसानों को अब तक काफी फायदा हुआ है। चीन ने अपने यहां एफडीआइ लागू किया। वहां खुले विदेशी स्टोर चीन के सिर्फ पांच प्रतिशत खुदरा बाजार पर ही कब्जा कर सके। वहां खुदरा बाजार की विदेशी कंपनियां 60 प्रतिशत अपना सामान दुनिया के बाजार में बेचती हैं। उस कारोबार का फायदा चीन को मिलता है।

किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले, उसमें बिचौलिए बड़ी बाधा हैं। एफडीआइ के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बिचौलिए बाहर हो जाएंगे। हां, यह जरूर है कि एफडीआइ में हमें सावधानी भी बरतनी होगी। कई देशों ने अपने यहां सौ फीसद एफडीआइ की छूट दी है। हमने अपने यहां इन चीजों का भी ध्यान रखा है। हमारे यहां एफडीआइ राज्यों पर बाध्यकारी नहीं है। ऐसे में व्यापक पैमाने पर देश में इसका सकारात्मक प्रभाव होगा।

वॉलमार्ट नहीं, अग्रवाल मार्ट के पक्ष में हूं: नरेश अग्रवाल

मैं वॉलमार्ट नहीं, अग्रवाल मार्ट के पक्ष में बोलने को खड़ा हुआ हूं। एक राजा ने प्रजा को आदेश दिया कि कल सब एक-एक बाल्टी दूध लाएंगे। सबने सोचा अगर हम पानी ले जाएंगे तो क्या फर्क पड़ेगा। अगले दिन सभी दूध की जगह पानी लेकर पहुंचे। एफडीआइ मामले में भी कहीं ऐसा ही न हो। डब्लूटीओ के वक्त भी ऐसी बातें कही गई थीं कि फायदा होगा। एक्सपोर्ट बढ़ेगा, विदेशी मुद्रा बढ़ेगी, लेकिन क्या हुआ। क्या हमारी अर्थव्यवस्था सुधरी? बचपन में हम कंचा लगी बोतल से ठंडा पीते थे तो अपना लगता था। अब बच्चा भी दूध की जगह कोकाकोला मांगता है। प्रधानमंत्री जी, क्या गारंटी है कि वे चीन का सामान 100 फीसद नहीं रखेंगे।

राजनीति में तो बिचौलिया समाप्त नहीं कर पाए तो यहां कैसे खत्म करेंगे। एफडीआइ तो दस्ते कातिल है। किसानों को मार डालेगी। अगर गांव से रोजगार छिना तो यह देश के लिए नुकसानदेह होगा। पूरी दुनिया में किसानों को सब्सिडी दी जाती है। हमारे यहां भी दी जाती है, लेकिन यूरिया, बिजली हर चीज के दाम बढ़ गए मगर सब्सिडी उतनी की उतनी है। हिंदुस्तान का उद्योगपति बाहर इन्वेस्ट कर रहा है। जबकि यहां किसान आत्महत्या कर रहा है। किसानों के बजट पर उद्योगपतियों से चर्चा होती है। किसानों से क्यों नहीं करते? 20 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए तो हालत खराब हो जाएगी। जिद से बात नहीं बनती। चेत जाओ। देश के व्यापारियों के हित में इस काले कानून को लागू मत करिए। और अंत में ''तुम्हारे वादों का कद भी तुम्हारे जैसा है, कभी जो नाप के देखो हमेशा कम निकलता है।''

राज्यसभा का गणित

एफडीआइ के साथ

कांग्रेस व सहयोगी दल - 95

बहुजन समाज पार्टी - 15

मनोनीत सदस्य - 10

एफडीआइ के खिलाफ

भाजपा, वामदल व अन्य - 115

समाजवादी पार्टी - 09

कुल सीटें - 245

मौजूदा संख्या - 244

-9 सदस्यों वाली सपा के बहिष्कार की सूरत में सदन की संख्या 235 रह जाएगी

-इस स्थिति में सरकार को जीत के लिए 118सदस्य चाहिए होंगे

-मनोनीत सचिन तेंदुलकर की गैर हाजिरी के बावजूद एफडीआइ के पक्ष में 119 सदस्य होंगे

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