छह साल में अभ्यास के दौरान दो जवानों की मौत और 43 जवान हुए घायलः BSF रिपोर्ट
बीएसएफ ने अपने आंकड़ों में ये बताया है कि पिछले छह सालों में सीमा सुरक्षा बल के जवानों के प्रशिक्षण के दौरान गलती से मोर्टार के विस्फोट होने से दो मौत और 43 जवान लोग घायल हुए हैं।
नई दिल्ली (आइएएनएस)। पिछले छह सालों में सीमा सुरक्षा बल के जवानों के प्रशिक्षण के दौरान गलती से मोर्टार के विस्फोट होने से दो मौत और 43 जवान लोग घायल हुए हैं। दरअसल ये मोर्टार अपने वांछित लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही फट गए जिस वजह से ये सभी दुर्घटनाएं हुई। बीएसएफ ने अपने आंकड़ों में ये बताया है कि 2012 से लेकर 2017 के बीच राजस्थान के किशनगढ़, असम के डारंग और झारखंड के सीतागढ़ में कुल नौ फायरिंग श्रेणियों में ये घटनाए हुईं जिसमें देश को ये क्षति हुई।
इस वर्ष दो फायरिंग सीमाओं पर इस प्रकार के तीन विस्फोट की खबरे सामने आईं जिसमें 19 बीएसएफ कर्मी घायल हो गए जो पिछले छह सालों के आंकड़ों में सबसे ज्यादा है। साल 2014, 2015 और 2016 में केवल तीन ऐसी घटनाएं हुईं जिसमें क्रमशः एक, नौ और तीन बीएसएफ के जवान घायल हुए। 2013 में हुई दो घटनाओं में सात सैनिक घायल हुए जबकि 2012 की एक घटना में चार सैनिक घायल हुए थे। इस साल 30 मई को किशनगढ़ में पाक सीमा के करीब हुई घटना में नौ सैनिक घायल हो गए थे। यह घटना सुबह 8.30 बजे हुई थी जब बीएसएफ के जवान 51 मिमी मोर्टार के साथ अभ्यास कर रहे थे। इस घटना के बाद ही बीएसएफ ने अर्धसैनिक फैक्ट्री बोर्ड के सामने इस मुद्दे को उठाया। बोर्ड, रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है।
बीएसएफ इंस्पेक्टर जनरल (ऑपरेशन्स) राजीव कृष्णा ने बताया कि विस्फोट की जांच रिपोर्ट ऑर्डनेंस फॅक्टरी बोर्ड के अधिकारियों के साथ साझा की गई है ताकि इन मोर्टार की त्रुटियों की जांच कर सुधार कदम उठाये जाएं।
राजीव कृष्णा ने बताया, हर बार हम इसकी उचित जांच करके बोर्ड को रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। 30 मई की घटना की जांच में हमने मोर्टार के फ्यूज में विनिर्माण दोष पाया जिसके कारण वह अपने लक्ष्य तक पहुंचने के पहले ही विस्फोट हो जाता है। एक अन्य बीएसएफ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, " विस्फोटक की एक उचित मात्रा फ्यूज में भरी जाता है जो एक शक्तिशाली धुआं पैदा करता है जिससे उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिलती है। यदि विस्फोटक ठीक से नहीं जलता है तो वह लक्ष्य तक पहुंचने में असफल होता है।
257,000 मजबूत बीएसएफ को भारतीय सीमा की रक्षा करने का काम सौंपा गया है, हालांकि एक अर्धसैनिक बलों को सेना के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन यह गृह मंत्रालय के संचालन नियंत्रण के अंतर्गत आता है।
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